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Kya Manushya ka koi bhavishya hai? “क्या मनुष्य का कोई भविष्य है?” Hindi Essay 300 Words for Class 10, 12.

क्या मनुष्य का कोई भविष्य है?

Kya Manushya ka koi bhavishya hai?

क्या मनुष्य का कोई भविष्य है ? यह एक विवादास्पद विषय है। इस प्रश्न का उत्तर मनुष्य के स्वभाव पर निर्भर करता है कि वह आशावादी है या निराशावादी। जो आशावादी हैं वे सकारात्मक उत्तर देंगे और जो निराशावादी हैं वे नकारात्मक उत्तर देंगे। कुछ लोग सोचते हैं कि आने वाले दिनों में लोगों का भविष्य उज्ज्वल होगा और वे प्रसन्न तथा सम्पन्न होंगे। दूसरी तरफ ऐसे लोग हैं जो सोचते हैं कि उनका भविष्य अन्धकारमय होगा और वह दिन दूर नहीं है जब वे अपने आपको समाप्त कर लें।

यदि यह प्रश्न, ‘क्या मनुष्य का कोई भविष्य है?’ मुझसे पूछा जाए तो मैं ‘हाँ’ में उत्तर दूँगा। मेरी धारणा है कि भूतकाल में मनुष्य मौत, रोग, सूखा, विनाश और सर्वनाश के अधीन था। मध्यकाल में युद्ध और लड़ाईयाँ आम बात थी, उनके कारण कई लोगों की जानें चली जाती थीं। चिकित्सा विज्ञान विकसित नहीं हुआ था इसलिए चेचक, प्लेग, मलेरिया जैसी बीमारियाँ बराबर होती रहती थीं। महामारियों के फैलने से बहुत लोगों की मृत्यु हो जाती थी, अतः उनकी आयु ज्यादा नहीं होती थी। किन्तु शल्य-चिकित्सा और अन्य दवाओं को धन्यवाद देना होगा जिनके चलते आज बहुत जानें बचाई जा रही हैं। विज्ञान के विकास से हरित क्रान्ति हो रही है और कृत्रिम वर्षा से सूखे की स्थिति पर नियंत्रण रखा जा रहा है। बाढ़ की भी रोकथाम हुई है। इसके कारण विनाश होता है और इसका चारों तरफ असर होता है। इस प्रकार मनुष्य और सम्पत्ति का विनाश बहुत रोका गया है।

यह विज्ञान का युग है। अतः, आज के आधुनिक युग में, हमारे पास भूतकाल में जो कुछ था, उसका विपरीत है। आधुनिक युग में हमारे पास शांति, समृद्धि और सम्पन्नता है। जिन्दगी आसान, आरामदेह और विलासमय हो गई है। भौतिक दृष्टि में हम अपने पूर्वजों से काफी अच्छी हालत में हैं। आज मनुष्य प्रसन्न, मुक्त और निर्भीक है। वह दीर्घायु हो गया है और उसकी विलासिता कई गुना बढ़ी है और इस प्रकार उसके पास शांति और सम्पन्नता का नया क्षितिज है।

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