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Valentine’s Day “प्रेम दिवस- 14 फरवरी” Hindi Nibandh, Essay for Class 9, 10 and 12 Students.

प्रेम दिवस- 14 फरवरी (Valentine’s Day)

भारत में इस दिन 14 फरवरी को मदनोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है, जबकि विश्व के अन्य देशों में इसे ‘संत वेलंटाइन दिवस’ के रूप में मनाते हैं।

प्रेम का अर्थ (meaning of love)

टॉलस्टाय एक दिन सुबह एक गाँव की सड़क से निकले। एक भिखारी ने हाथ फैलाग। टॉलस्टाय ने अपने जेब तलाशे, लेकिन जेब खाली थे। वह सुबह घूमने निकले थे अर पैसे नहीं थे।

उन्होंने जब भिखारी को कहा, मित्र! क्षमा करो, पैसे मेरे पास नहीं है, तुम जरूर दुख मानोगे, लेकिन मैं मजबूरी में पड़ गया हूँ। पैसे मेरे पास नहीं है। उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा, मित्र! क्षमा करो।

उस भिखारी ने कहा कोई बात नहीं। आपने मित्र कहा, मुझे बहुत कुछ मिल गया और बहुत लोगों ने मुझे अब तक पैसे दिए थे, लेकिन आपने जो दिया है, वह किसी ने भी नहीं दिया था। मैं बहुत अनुगृहीत हूँ।

एक शब्द प्रेम का, मित्र, उस भिखारी के हृदय में क्या निर्मित कर गया, क्या बना गया। टॉलस्टाय सोचने लगा। उस भिखारी का चेहरा बदल गया, वह दूसरा आदमी मालूम पड़ा। यह पहला मौका था कि किसी ने उससे कहा था, मित्र! भिखारी को कौन मित्र कहता है? इस प्रेम के एक शब्द ने उसके भीतर एक क्रान्ति कर दी, वह दूसरा आदमी है। उसकी हैसियत बदल गई, उसकी गरिमा बदल गई, उसका व्यक्तित्व बदल गया। वह दूसरी जगह खड़ा हो गया। वह पद-दलित एक भिखारी नहीं है, वह भी एक मनुष्य है। उसके भीतर एक नया क्रिएशन शुरू हो गया। प्रेम के एक छोटे से शब्द से।

हार्दिक अनुभव है प्रेम (Love is a heartfelt experience)

एक व्यक्ति आँख बंद करके आपके हाथ को प्रेम से छूता है, स्पर्श वही होता है, वही व्यक्ति क्रोध से भरकर आपके हाथ को छूता है, स्पर्श वही होता है। जहाँ तक स्पर्श के शारीरिक मूल्यांकन का सवाल है, दोनों स्पर्श में कोई बुनियादी फर्क नहीं होता। फिर भी जब कोई प्रेम से भरकर हृदय को छूता है, तो उसी छूने में से कुछ निकलता है जो बहुत भिन्न है और जब कोई क्रोध से छूता है, तो कुछ निकलता है जो बिल्कुल और है। और कोई अगर बिल्कुल निष्पक्षता से, तटस्थता से छूता है, तो कुछ भी नहीं निकलता है। छूना एक सा है, स्पर्श एक सा है।

अगर हम भौतिकशास्त्री से पूछने जाएंगे, तो वह कहेगा कि हाथ पर एक अदमी ने हाथ को छुआ, कितना दबाव पड़ा, दबाव नापा जा सकता है। हाथ पर कितना विद्युत् का आघात पड़ा, वह भी नापा जा सकता है। एक हाथ से दूसरे हाथ में कितनी उमा, कितनी गर्मी गई, वह भी नापी जा सकती है। लेकिन वह ऊष्मा, वह हाथ का दबाव, किसी भी रास्ते से यह न बता सकेगा कि जिस आदमी ने छुआ उसने क्रोध से छुआ था कि प्रेम से छुआ था। फिर भी स्पर्श के भेद हम अनुभव करते हैं। निश्चित ही स्पर्श, कवल हाथ की गर्मी, हाथ का दबाव, विद्युत् के प्रभाव का जोड़ नहीं है, कुछ ज्यादा है।

प्रेमिल स्पर्श (Loving touch)

जब मैं आपके हाथ को अपने हाथ में लेता हूँ, तो क्या घटता है? जब मैं आपके हाथ को अपने हाथ में लेकर दबाता तो आप कहते हैं बहुत प्रेम किया जा रहा है या बहुत दुश्मनी की जा रही है। व्याख्याओं की बात है, हाथ दोनों में दबाए जाते हैं। सिर्फ इंटरप्रिटेशंस का फर्क है और कहना मुश्किल है कि जब हाथ दबाया जा रहा है, तो एक सैकण्ड के भीतर दोनों बातें भी हो सकती हैं कि दबाते वक्त शुरू किया गया था प्रेम से और आखिर में दुश्मनी से अलग किया गया था। इसमें कोई बहुत कठिनाई नहीं है। एक क्षण में इतना सब बदलता है। तो जब मैं आपका हाथ दबा रहा हूँ, तो आप कहते हैं प्रेम कर रहा हूँ, लेकिन हो क्या रहा है ?

विद्युत् के कुछ कण विद्युत् के दूसरे कणों पर दबाव डाल रहे हैं। और मजे की बात यह है कि आपका और मेरा हाथ कभी भी स्पर्श नहीं कर पाते हैं। बीच में फासला बना ही रह जाता है। स्पेस बनी ही रह जाती है। कम हो जाती है। दूर होती है तो दिखाई पड़ती है, कम होने लगती है तो दिखाई नहीं पड़ती। जब बहुत कम हो जाती है तो दिखाई नहीं पड़ती।

जब दो हाथ एक-दूसरे को दबा रहे हैं, तब भी दोनों हाथों के बीच में खाली जगह होती है। उसी खाली जगह पर दबाव पड़ता है। आपके हाथ पर दबाव नहीं पड़ता। उस खाली जगह का दबाव आपके हाथ पर पड़ता है। खाली जगह के दबाव को प्रेम और दुश्मनी समझी जा रही है। प्रेम और शत्रुता स्पर्श में नहीं होकर भावनाओं में है, आपके हाथ मिलाने, गले मिलने का अंदाज ही आपकी अनुभूति को प्रकट करते हैं। जरूरी है हम प्रेमिल बने रहे, तभी यह दुनिया प्रेमपूर्ण होगी।

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