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Ekda, “एकदा” Hindi motivational moral story of “Maithili Sharan Gupt” for students of Class 8, 9, 10, 12.

एकदा

Ekda

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त से एक नेताजी मिले और उन्हें हरिजनोद्धार कार्यक्रमों में भाग लेने व सहयोग देने के लिए प्रेरित करने लगे। उनका उत्साह देखकर, गुप्त जी उनके साथ काम करने के लिए तैयार हो गये।

एक रविवार को चाय पर दोनों बैठे, तो मैथिलीशरण गुप्त जी ने उन नेताजी से कहा, “महोदय, आज तो रविवार है, हम आज के दिन फल-फूल के अतिरिक्त कुछ खाते नहीं, दो गन्ने मंगाते है- एक हम चूसेगें और एक आप !”

नेताजी सकपकाए और बोले, “गुप्त जी, थोड़ी परेशानी की बात है।”

“क्या मतलब!” मैथिलीशरण जी ने पूछा।

नेताजी ने कहा-“बात यह है कि दांत ज़रा नकली हैं”

“इन दांतों से गन्ना चूसते बनता नहीं।”

गुप्त जी तुरंत, बोल उठे-“अच्छा तो आपके दांत चूसने-खाने के लिए नहीं हैं, केवल दिखाने के लिए हैं। कहीं आपके हरिजनोद्धार कार्यक्रम में भी तो यही बात लागू नहीं होती।’ “

इस टिप्पणी से वह नेता जी इतना झपे कि उन्होंने शर्म से अपना कार्यक्रम ही बदल दिया।

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