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Chirsthayi Shakti, “चिरस्थायी शक्ति” Hindi motivational moral story of “Mahatma Budha” for students of Class 8, 9, 10, 12.

चिरस्थायी शक्ति

Chirsthayi Shakti

महात्मा बुद्ध आस्वान राज्य के किसी नगर से गुजर रहे थे। वह स्थान उनके विरोधियों का गढ़ था। जब विरोधियों को बुद्ध के नगर में होने का पता चला तो उन्होंने एक चाल चली। एक कुलटा स्त्री के पेट पर बहुत सा कपड़ा बांधकर भेजा गया। वह स्त्री, जहाँ बुद्ध थे, वहाँ पहुँची और जोर-जोर से चिल्लाकर कहने लगी- “देखो, यह पाप इसी महात्मा का है। यहाँ ढोंग रचाए घूमता है और अब मुझे स्वीकार भी नहीं करता।

नगर में खलबली मच गई, उनके शिष्य आनन्द बहुत चिंतित हो उठे और पूछा- “भगवान ! अब क्या होगा?”

बुद्ध हँसे और बोले, “तुम चिन्ता मत करो, कपट देर तक नहीं चलता। चिरस्थायी फलने-फूलने की शक्ति केवल सत्य में ही है।” इसी बीच उस स्त्री की करधनी खिसक गयी और सारे कपड़े ज़मीन पर आ गिरे। पोल खुल गयी। स्त्री अपने कृत्य पर बहुत लज्जित हुई। लोग उसे मारने दौड़े पर बुद्ध ने यह कहकर उसे सुरक्षित लौटा दिया, “जिसकी आत्मा मर गई हो, वह मरों से बढ़कर है, उसे शारीरिक दण्ड से क्या लाभ !”

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