Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Mere Vidyalaya Ka Chaprasi”, “मेरे विदयालय का चपरासी” Complete Essay for Class 9, 10, 12 Students.
मेरे विदयालय का चपरासी
Mere Vidyalaya Ka Chaprasi
हमारे विद्यालय में मोहन नाम का एक चपरासी है। वह विद्यालय में घंटी बजाने का कार्य करता है। उसकी आय बत्तीस वर्ष है। वह अत्यंत फुर्तीला तथा चुस्त है। वह अपने काम के लिए सदैव सजग रहता है। उसकी लंबाई लगभग छ: फुट है तथा उसका शरीर बहुत स्वस्थ है। वह विद्यालय के बने मकानों में अपने परिवार के साथ रहता है। उसके माता-पिता तथा पत्नी सब उसके साथ रहते हैं। उसके दो बच्चे भी हैं। उनके नाम नरेंद्र नाथ तथा सुरेंद्र मोहन हैं। वे हमारे विद्यालय में ही पढ़ते हैं। मोहन का व्यवहार बहुत अच्छा है। वह कभी बच्चों से डाँट-फटकार कर बात नहीं करता है। वह सदैव बहुत सादा तथा अच्छा बनकर रहता है। वह विद्यालय में खाकी रंग की पेंट तथा कमीज पहनकर आता है। वह सदा साफ-सुथरे कपड़े पहनता है। मोहन एक कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारी है तथा वह विद्यालय में सदैव अपने कार्य को पूरी जिम्मेदारी से निभाता है।
वह कभी विद्यालय से अनुपस्थित नहीं रहता है। वह सभी अध्यापकों का भी आदर करता है। वह पानी पीने की टंकी में पानी भरता है। कक्षा की मेज-कुर्सियों को साफ करता है। वह सही समय पर घंटी बजाता है। यह उसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। इसमें जरा-सी देर या जल्दी से पूरे विद्यालय की समय व्यवस्था अनियमित हो जाएगी। उसके ऊपर विद्यालय की काफी जिम्मेदारियाँ हैं, किंतु वह कभी अपने कार्य के प्रति उदासीन नहीं होता है। उसका वेतन अत्यंत कम है। वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर अच्छा नागरिक बनाना चाहता है। वह अत्यंत परिश्रमी है। विद्यालय की छुट्टी होने के बाद तथा रविवार को वह ऑटो रिक्शा चलाकर अतिरिक्त पैसे कमा लेता है।
उसे सिगरेट, गुटखा या शराब पीने जैसी बुरी आदतें नहीं हैं। वह परिवार के लिए ही नहीं विद्यालय के लिए भी निष्ठावान है। हमारे मन में भी उसके लिए अच्छे गुणों के कारण अत्यधिक सम्मान है। विद्यालय के सभी बच्चे उसका आदर करते हैं तथा उसे ‘मोहन भैया’ कहकर बुलाते हैं। किसी विद्यालय की उन्नति में ऐसे जिम्मेदार तथा निष्ठवान कर्मचारियों का योगदान भी कम नहीं होता है।