Hindi Essay on “Charitra Bal”, “चरित्र बल” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.
चरित्र बल
Charitra Bal
कहते हैं अगर धन चला जाए तो कुछ भी नहीं जाता, यदि सेहत चली जाए तो बहुत कुछ चला जाता है, लेकिन यदि चरित्र चला जाए तो सब कुछ चला जाता है । हमारी संस्कृति में भी जीवन और चरित्र को बहुत महत्त्व दिया गया है । चरित्र-बल से ही मनुष्य सांसारिक सुखों को प्राप्त करता है ।
चाहे कोई व्यक्ति कितना ही विद्वान धनवान बलवान क्यों न हो परन्त यदि वह चरित्रवान नहीं, तो सब कुछ व्यर्थ है । विद्वान से लोग ज्ञान प्राप्त करेंगे और उसे भूला देंगे । बलवान से केवल भयभीत होंगे, लेकिन मान-सम्मान तो केवल चरित्रवान का ही होगा । उसके आगे सभी नत-मस्तक होंगे । शत्रु भी उसकी प्रशंसा करेंगे । चरित्रवान व्यक्तियों का समाज उन्नत होता है । चरित्रवान होने के लिए केवल एकाध गुण ही काफी नहीं बल्कि अनेक गुणों के समूह उसे विद्वान बनाते हैं । रावण का उदाहरण लें-वह विद्वान था, शिव भक्त था, चार वेदों का ज्ञाता था, परन्तु सीता-हरण के कारण दुरचरित्र बन गया । कहां गई सच्चरित्रता!
चरित्र की परिभाषा क्या है ? नपे तुले शब्दों में हम कहते हैं कि जो देश से द्रोह नहीं करता, भ्रष्टाचारी नहीं करता, जमाखोरी नहीं करता,पर स्त्री तथा पर पुरुष पर दृष्टि नहीं डालता, वह चरित्रवान है । दूसरे शब्दों में कर्त्तव्य पालन विनय, मधुर-भाषण, उदारता, लालच से दूर रहना, आत्म निर्भर होना, शुद्ध व्यवहार करना सदचरित्रता है । हम चरित्रवान बनने के लिए भगवान की भक्ति करते हैं सरल सादा जीवन बिताने का ढोंग करते हैं, गरीबों पर दया करते हैं परन्तु यदि हृदय में दुर्भावनाएं हैं तो हम दुराचारी है । कर्त्तव्य-पालन सच्चरित्रता है। जो केवल अपने लिए जीता है वह स्वार्थी है। वह समाज पर एवम् देश पर बोझ है । भय, वचन, कर्म में श्रेष्ठ तथा कर्त्तव्य-निष्ठ, त्यागी, ईमानदार व्यक्ति ही चरित्रवान है ।
सच्चरित्र व्यक्ति कर्त्तव्य पालन करने वाला होता है । एक डाक्टर यदि पूरे मनोयोग से अपने मरीज़ों का उपचार करता है, उनसे मीठा बोलता है, सहानुभूति रखता है, लेकिन गरीबों पर दया नहीं करता,उनसे भी पैसे ऐंठता है तो वह सच्चरित्र डाक्टर नहीं । सद्-चरित्र उदार दृष्टिकोण वाला होता है, जो समाज का कल्याण करने वाली होती है । वह दूसरों के दुःख से दुःखी होकर उनके लिए कुछ करने को उत्सुक होता है । वह आत्मनिर्भर होता है । वह दसरों के सहारे अपना जीवन नहीं जीता । वह अपने बल पर जीता है । वह दूसरों का सहारा बनता है, दूसरों पर बोझ नहीं । इसलिए आत्मनिर्भरता भी सच्चरित्रता का अंग है । पराये धन की ओर देखकर लालच में आना, ईष्यालु न होना भी चरित्रवान व्यक्ति के गुण है । सच्चरित्र व्यक्ति के व्यवहार में शुद्धि होती है। उसके अपने मन में कोई खोट नहीं होता। उसका व्यवहार दर्पण की तरह साफ होता है ।
भारतीय संस्कृति और इतिहास में ऐसे अनेकों पुरुष हुए जिन्होंने अपन महान चरित्र से समय, संस्कृति और इतिहास को बदल दिया.जिनमें श्रीराम, कृष्ण, शिवाजी, गुरु गोबिन्द सिंह, स्वामी विवेकानन्द, गांधी, नेहरु आदि प्रमुख है। सच्चरित्र व्यक्ति का जीवन व्यक्ति समाज देश के लिए अनुकरणीय होता है। चरित्र की रक्षा करने के लिए तो जीवन का बलिदान तक देने की स्थिति आ जाता है। अत: सच्चरित्र होना बहुत कठिन है, परन्तु अपने सच्चरित्र की रक्षा करना उससे भी अधिक कठिन है। कुछ भी हो हममें इतना चारित्रिक-बल होना चाहि कि जीवन में कोई स्थिति आ जाए कभी भी हमारा चारित्रिक पतन न हो। हम सदा चरित्र के बल पर आगे बढ़े ताकि हमारा राष्ट्र एक सदढ और चरित्रवान राध कहलाए।
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