Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Declining level of education” , “शिक्षा का गिरता स्तर” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
शिक्षा का गिरता स्तर
Declining level of education
शिक्षा का अर्थ–गाँधी जी कहते थे- “शिक्षा से मेरा अभिप्राय है बच्चे की संपूर्ण शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों का सर्वांगीण विकास। साक्षरता न तो शिक्षा का अंत है और न आरंभ।” अरविंद लिखते हैं– “शिक्षा का कार्य आत्मा को विकसित करने में सहायता देना है।“
वर्तमान शिक्षा–दुर्भाग्य से आज की शिक्षा का स्तर बहुत गिर चुका है। आज के विद्यालय छात्रों को आजीविका और पाठ्यक्रम की शिक्षा देते हैं। पाठ्यक्रम में छात्र के मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास को कोई महत्त्व नहीं दिया जाता। इसलिए वे न तो समाज-सेवा की ओर ध्यान देते हैं और न ही अध्यात्म को किसी काम की चीज़ मानते हैं। वे पैसा कमाने की मशीन तो बन जाते हैं किंतु अच्छे आदमी भी हों, इसकी कोई गारंटी नहीं।
बौद्धिक श्रम को महत्त्व–वर्तमान शिक्षा केवल बौद्धिक श्रम को महत्त्व देती है। प्रतियोगिताओं में परीक्षा इस बात की होती है कि कौन कितनी सूचनाओं को एक साथ ढो सकता है। जिसने तकनीक का अच्छा अभ्यास किया होता है, वही प्रतियोगिता जीत लेता है। इस प्रवृत्ति का बुरा परिणाम यह हो रहा है कि समाज-सेवा या प्रशासन में भी ऐसे लोग जा रहे हैं जिन्होंने न कभी समाज-सेवा की और न जिन्हें सेवा के संस्कार मिले। बस वे नौकरी में जाते ही पैसा कमाने की होड़ करने लगते हैं। सेवा, विकास, अच्छा इनसान, आत्मा का विकास आदि शब्द उन्हें व्यर्थ प्रतीत होने लगते हैं।
दोषी कौन–आज पैसा ही भगवान हो गया है। पैसे वाले को ही शरीफ, धनी को ही “भले घर का” माना जाता है। यही कारण है कि सब लोगों का लक्ष्य पैसा कमाना हो गया है। यदि त्यागी-तपस्वी को सम्मान मिलता होता. तो लोग इस दिशा में भी बढ़ते। भले और भोले इनसान को आज मूर्ख माना जाता है।
परंपरागत व्यवसायों के नष्ट होने से भी शिक्षा का स्तर गिरा है। जब से औद्योगिकीकरण शुरू हुआ है, नई तरह के प्रशिक्षित कर्मचारियों का निर्माण करने की जिम्मेदारी शिक्षा पर आ पड़ी है। मैकाले को कंपनी का शासन चलाने के लिए भारतीय क्लको की जरूरत थी। उसने ऐसी ही शिक्षा पद्धति शुरू की। परंतु आज यह समझना चाहिए कि मनष्य शरीर ही नहीं, आत्मा भी है। अतः उसकी आत्मिक शक्तियों को भी विकसित किया जाना चाहिए। तभी शिक्षा अपने लक्ष्य को पूरा कर सकेगी।