Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Samajwad ” , ”समाजवाद” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
समाजवाद
Samajwad
समाजवाद सरकार का एक रूप है। इसमें उत्पादन पर सरकार का अधिक से अधिक नियंत्रण होता है। निजी मलकीयत के मुकाबले सरकारी मालिकाना समाजवाद का आवश्यक हिस्सा है। इस सिद्धांत के मुताबिक निजीकरण ने आर्थिक असमानता बढ़ाई है। समाजवाद का मुख्य उद्देश्य सभी नागरिकों को प्रसन्न रखना है बजाये इसके कि कुछ गिने-चुने अमीरों को सुख सुविधा देना।
पूंजीवादी व्यवस्था में कई बुराइयाँ हैं। उद्योगों की आपसी स्पर्धा के कारण सारा ध्यान पैसे और ताकत पर केंद्रित हो जाता है। इसमें छोटे आदमी का खून निचोड़ लिया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर आर्थिक असमानता पैदा होती है। अमीर और अमीर तथा गरीब पहले से भी गरीब हो जाता है। समाज में एक असहजता पैदा होने लगती है। समाजवाद इन समस्याओं से मुक्ति दिलाने का एक साधन लगता है। समाजवाद मज़दूरों से कम काम लेना, अच्छी सुविधाएँ प्रदान करना और बेरोज़गारी से बचाव सुनिश्चित करता है।
समाजवाद में भी सब कुछ अच्छा नहीं है। इसमें भी कई खामियां हैं। समाजवाद में निजी समानता जैसी कोई चीज़ नहीं है। एक ऐसी व्यवस्था जो समानता के आधार पर टिकी हो, सफल नहीं हो सकती। इसके अतिरिक्त निजी मालिकाने को खत्म करने से उत्पादन प्रभावित होता है। आर्थिक प्रतिस्पर्धा के परिणाम अच्छे ही निकलते हैं। समाजवाद का श्रमिकों पर बुरा प्रभाव पड़ा है क्योंकि वे रोजगार के प्रति आश्वस्त होते हैं इसलिए वह काम कम करते हैं जिसका असर उत्पादन घटने के फलस्वरूप सामने आता है।
समाजवाद पूंजीवाद को खत्म करने में सफल नहीं रहा है। शुरू-शुरू में इसके प्रति जो आकर्षण था वह धीरे-धीरे समाप्त हुआ है। जिन देशों ने समाजवादी विचारधारा की सरकार को अपनाया है, उनके परिणाम उत्साहवर्धक नहीं रहे। जैसे कि दावा किया गया था, समाजवाद कोई जादू की छड़ी साबित नहीं हुआ है। इसने व्यक्ति के शरीर को पोषित किया है लेकिन इससे उसकी आत्मा मर गई। सोवियत संघ, पोलैंड, यूगोस्लाविया तथा दूसरे अन्य देश जिन्होंने समाजवादी विचारधारा की सरकार स्थापित की, उनके पतन ने समाजवादी विचारधारा की कमियों को उजागर कर दिया है।