Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Modern Culture”, “आधुनिक-संस्कृति” Complete Essay Nibandh, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
आधुनिक-संस्कृति
Modern Culture
आधुनिकता बनाम प्राचीनता–आधुनिक संस्कृति प्राचीन हिन्दू और मुस्लिम, संस्कृतियों तथा पाश्चात्य संस्कृति का समन्वित रूप है।
सौन्दर्यमय दृष्टिकोण बनाकर जीवन के विषय में विचार करना, उसे अपनाना आधुनिक संस्कृति है। ‘स्व’ के अहम की वृद्धि और निजी सुख की अभिलाषा आधुनिक संस्कृति के लक्षण हैं। निरार्ग, प्रकृति और राज्य के विधि-विधाओं का तिरस्कार आधुनिक संस्कृति का उद्देश्य है।
सनातनता एवं निरन्तरता-आदि काल से अजम्न प्रवाहित भारतीय संस्कृति ने विरोधी आक्रमण संस्कृतियों के उपादेय तत्त्वों को ग्रहण कर अपने मूल रूप को यथावत् रखा। अपनी प्राचीन चिन्तन-पद्धति का उपहास, अपने सांस्कृतिक परिवेश से घृणा, अपनी परम्पराओं के प्रति आक्रामक रवैयों का विकास ब्रेनवाश का परिणाम है।
पवित्रता से व्यापार की ओर-श्री जयदत पंत के शब्दों में हमारे तीर्थ अब पवित्रता के अर्थ को खोकर पर्यटन-व्यवसाय के लिए आकर्षण का केन्द्र कहे। जाने लगे। सभ्यता और कला के उत्कर्ष की प्रतीक हमारी मूर्तियाँ आदि तस्करी की शिकार हो गई, जिनके आगे हमारी पिछली पीढ़ी तक के कोटिशः लाग धूप जलाकर माथा नवाते थे, वे विदेशों में करोड़पतियों के उद्यानो और उनके निजी संग्रहालयों की शोभा बन गई हमारे देवी-देवताओं की कीमत लगाई गई और हमने उनको रात के अन्धेरे में बेच दिया।
कृत्रिमता–आधुनिक, संस्कृति के मूलाधार सौन्दर्य और प्रेम ने जीवन के हर क्षेत्र में सौन्दर्य के दर्शन किए। आधुनिक संस्कृति में अभिशप्त मानव को सावन के गधे की तरह हरा-हरी ही दिख रहा है। यह देख कवि
महाकवि प्रसाद की आत्मा चीख उठी, नर के बांटे क्या नारी की नग्न मूर्ति ही आई।
वैयक्तिक-आधुनिक संस्कृति अहम् और निजी जीवन को महत्व देती है। अतः सर्वत्र अहमु का बोलबाला है। विद्यार्थी विद्रोह पर उतारू हैं, कर्मचारी हड़ताल पर आमादा हैं और अहम् में डूबी सत्ता आतंक फैला रही है। दूसरी ओर निजी जीवन में पारिवारिक एकता नष्ट हो रही है। बहू को परिवार इसलिए बुरा लगता है कि सामूहिक परिवार की समझौता भावना में उसके अहं को ठेस प्रहुँचती है।
संग्रह-प्रवृति का विकास-धन और सम्पत्ति की संग्रह प्रवृत्ति आधुनिक संस्कृति का अंग हैं, जो भारतीय संस्कृति के ‘त्याग’ को दुत्कारती है। विभिन्न पदार्थों में मिलावट करके तिजोरियाँ भरो, तस्करी करके अपनी अगली पीढ़ी को भी धनाढ्य बनाया, कानून के प्रहरियों को रिश्वत की मार से क्रीतदास बनाया। विधि-वेत्ताओं की सहायता से कानून का पोस्टमार्टम कर अपने पक्ष में निर्णय पलटवाए।
भारतीय जीवन पर गहरा प्रभाव-आधुनिक-संस्कृति का भारतीय जीवन संस्कारों पर प्रभाव नकारा नहीं जा सकता। आज हम बच्चों का जन्मदिन मोमबत्ती बुझाकर मनाते हैं, विवाह-संस्कारों के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अंग ‘पूजा-पाठ’ को शीघ्रतम निपटाना चाहते हैं, सप्त-नदी और प्रतिज्ञाओं का मजाक उड़ाते हैं, ‘विवाह मुकुट’ का स्थान ‘टोपी ने ले लिया है। मृतक के तेरह दिन शास्त्रीय विधि-विधान से कौन पूरे करता है।
प्रयास की आवश्यकता—प्राचीनता को आधुनिक संस्कृति में परिवर्तित करने का प्रयास अबाधि गति से चल रहा है। आयुर्वेदिक चिकित्सक एल्योपैथिक पद्धति से रोग दूर करते हैं। पूजा-अर्चना में धूप-दीप के स्थान पर बिजली के बल्ब जलते हैं।
उपभोक्ता संस्कृति की ओर–आधुनिकता घर-घर में घुस गई। पाजामा-धोती ‘नाइट सूट’ बन गये। पैंट-बुशर्ट और टाई परिधान बने। जूते पहनकर मेज-कुर्सी पर भोजन करने लगे। माता का चरण-स्पर्श माँ के चुम्बन में बदला। पब्लिक-स्कूलों में ही हमें ज्ञान के दर्शन होते हैं। शराब और नशीली गोलियों में। परम तत्व की प्राप्ति जान पड़ती है। केक काटकर और मोमबत्ती बझाकर ‘बर्थ डे’ मनाया जाता है।