Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Shahron me Mahilao ki Stithi”, “शहरों में महिलाओं की स्थिति” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
शहरों में महिलाओं की स्थिति
Shahron me Mahilao ki Stithi
शहरों में महिलाआंे की स्थिति इस दृष्टि से तो अच्छी है कि उन्हें यहाँ रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं। वे आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर हैं। वे स्वतंत्रता का उपभोग कर रही हैं। उन्हें अनेक प्रकार की सुख-सुविधाएँ उपलब्ध हैं। परिवार में उनके महत्त्व को माना जाता है।
अब हम दूसरी दृष्टि से महानगरों में महिलाओं की स्थिति पर दृष्टिपात करते हैं। पिछले कुछ वर्षों से महिलाओं का महानगरों में रहना सुरक्षित नहीं माना जा रहा है। महानगरों में उनके साथ बलात्कार की घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है। महानगरों की महिलाओं की फैशन-प्रियता और अंग-प्रदर्शन ने बलात्कार की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है। अनेक बार सामूहिक बलात्कार का समाचार सुनने में आता है। अल्पवयस्क लड़कियों को भी हवस का शिकार बनाया जा रहा है। इस प्रकार महानगरों में महिलाएँ सुरक्षित नहीं हैं।
महानगरों की महिलाएँ तनावग्रस्त रहती हैं। उन पर काम का तथा परिस्थितियों का भारी दबाव रहता है। दफ्तरों की भागमभाग उन्हें बुरी तरह थका देती है, ऊपर से वहाँ बैठे लोगों की घूरती आँखें उन्हें सहज नहीं रहने देतीं। सभी उसका शोषण करना चाहते हैं, तरीका भले ही अलग-अलग रहता हो। महिलाओं को विवशता के चलते यह सब झेलना पड़ता है।
महानगरों में महिलाओं का घरेलू जीवन उतना सुखी नहीं है जितना वह ऊपर से दिखाई देता है। अधिकांश पतियों का व्यवहार उनके प्रति शंकालु एवं संवेदनशील होता है। बच्चों को भी उनसे बहुत अपेक्षाएँ होती हैं। इसी चक्कर में वह अपने ढंग से जीने का तरीका ही भूल जाती हैं। उन्हें तो सभी को संतुष्ट रखना पड़ता है। महानगरों के जीवन में कृत्रिमता अधिक है। इससे महिलाएँ भी अछूती नहीं है। वे विरोधाभासों के मध्य जीती हैं।
महानगरों की महिलाओं की स्थिति की तुलना छोटे नगरों या गाँवों से की जाए तो लगता है कि महानगरों की महिलाएँ अधिक स्वतंत्रता का उपयोग कर रही हैं। उनको अनेक प्रकार के अधिकार प्राप्त हैं। पर हमें यह भी देखना होगा कि उन्हें इन अधिकारों को पाने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता हैं एक प्रकार से उनका जीवन सहज नहीं रह गया है। उनके ऊपर काम तथा परिवार का काफी बोझ रहता है।
पिछले कुछ वर्षों से महानगरों की महिलाएँ निरंतर बलात्कार, अपहरण तथा हत्या की शिकार हो रही हैं। दिल्ली और मुंबई में इस प्रकार की घटनाएँ प्रायः प्रतिदिन घटती रहती हैं। दिल्ली में रात के समय एक महिला प्रत्रकार की हत्या कर दी गई। गैंग रेप भी एक सामान्य सी बात हो गई है। जब कोई नेता उन्हंे यह सलाह देता है कि महिलाएँ रात के समय घर से निकलें ही नहीं, तब उनकी सुरक्षा के दावों की कलई ही खुल जाती है।
महानगरों की महिलाएँ इस दृष्टि से भले ही अच्छी स्थिति में हैं कि उनका बाहरी जीवन अन्य छोटे नगरों या गाँवों की महिलाओं से अधिक सुखी है। उन्हें दैनिक उपभोग की अधिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। वह सज सँवर कर बाजारों में खरीददारी करती हैं, उनके बच्चे अच्छे पब्लिक स्कूलों में पढ़ते तथा वे नौकरी करके धन कमाती हैं।
इन सब बातों के अतिरिक्त महानगरों की महिलाओं की सुरक्षा के प्रति सरकार को अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। अब तो महानगरों की महिलाएँ राजनीति में भी काफी दखल रखने लगी हैं। वे कई राज्यों में मुख्यमंत्री पद तक सँभाल रही हैं अतः उनकी सरकारों को महिलाओं की स्थिति में सकारात्मक सुधार लाने के प्रति अधिक प्रयत्नशील होने की आवश्यकता है।