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Hindi Essay on “Acharya Narendra Dev” , ”आचार्य नरेंद्रदेव” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

आचार्य नरेंद्रदेव

Acharya Narendra Dev

आचार्य नरेंद्रदेव भारत की अग्रिम पंक्ति के नेताओं में से एक थे।

उनका जन्म 31 अक्तूबर 1889 को सीतापुर (उत्तरप्रदेश) में हुआ था। उन्होंने सन 1902 में स्कूल में प्रवेश लिया था और 1904 में आठवीं कक्षा उत्तीर्ण की। सन 1906 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की।

सन 1906 से 1911 तक वे इलाहाबाद में रहे। उस दौरान वे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और डॉ. गंगानाथ झा से बहुत प्रभावित हुए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने बी.ए. की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। एम.ए. की परीक्षा उन्होंने वाराणसी के क्वींस कॉलेज में उत्तीर्ण की। इलाहाबाद से ही उन्होंने वकालत की डिग्री प्राप्त की।

नरेंद्रदेव प्रमुख रूप से सोशलिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता थे। सन 1942 में सोशलिस्ट पार्टी कांग्रेस से अलग हो गई। वे भी कांग्रेस से अलग हो गए। सन 1921 के असहयोग आंदोलन के चलते उन्हें वकालत का पेशा छोडऩा पड़ा था। आगे चलकर काशी विश्वविद्यालय के खुलते ही उसमें अध्यापक हो गए।

नरेंद्रदेव प्रदेश कांग्रेस संगठन में बहुत रुचि लिया करते थे। सन 1926 में वे काशी विद्यापीठ के अध्यक्ष बने।

भारत की आजादी की लड़ाई में उनका बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा। स्वतंत्रता-आंदोलन के दौरान सन 1930-31 और 1932 में वे जेल गए थे। सन 1934 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का प्रथम अधिवेशन हुआ आचार्य नरेंद्रदेव को उस अधिवेशन का अध्यक्ष बनाया गया था। सन 1937 के आम चुनाव में वे उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए थे। उस समय वे प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे।

सन 1941 में क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, किंतु दिसंबर 1941 में जेल से मुक्त कर दिया गया था। रिहाई के बाद गांधीजी ने उन्हें अपने पास बुला लिया।

किसानों की भलाई के लिए उन्होंने कईं कार्य किए। सन 1931 और 1942 में उन्होंने ‘अखिल भारतीय किसान सम्मेलन’ की अध्यक्षता की। सन 1954 में वे ‘प्रजा सोशलिस्ट पार्टी’ के अध्यक्ष बने।

19 फवरी 1956 को आचार्य नरेदं्र देव का निधन हो गया।

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