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Hindi Essay on “Maulana Abul Kalam Azad” , ”मौलाना अबुल कलाम आजाद” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

मौलाना अबुल कलाम आजाद

Maulana Abul Kalam Azad

मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 17 नवंबर, 1888 को मक्का में हुआ था। उनके बचपन का नाम अहमद था। उनके पिता उन्हें ‘फिराजबख्त’ के नाम से पुकारते थे। फिराजबख्त का अर्थ होता है सौभाज्य अथवा आशाओं का हीरा। ये दोनों नाम उनके बचपन तक रहे। बड़े होने पर उनका नाम अबुल कलाम हो गया। आजाद उनका उपनाम था।

सत्रह वर्ष की अवस्था में वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए मिस्र गए। काहिरा के अल-अजहर विश्वविद्यालय में उन्होंने दो वर्षों तक शिक्षा प्राप्त की।

सन 1912 में उन्होंने एक उर्दू साप्ताहिक अल हिलाल का प्रकाशन और संपादन शुरू किया। उस पत्र द्वारा अबुल कलाम ने राष्ट्र को धार्मिक एकता और भाईचारे का संदेश दिया। उन्होंने निष्पक्ष और निर्भीक होकर पत्रकारिता-धर्म का पालन किया। सन 1915 में सरकार ने इस पत्र का प्रकाश बंद करा दिया। उसके बाद उन्होंने सन 1916 में ‘अल-बलाग’ नामक पत्र का प्रकाशन और संपादन किया। वे ‘अल-बलाग’ के काध्यम से गोरी सरकार के खिलाफ आग उगलते रहे। कुछ ही महीने बाद ‘अल-बलाग’ के प्रकाशन पर सरकार ने रोक लगा दी। मौलाना को बंगाल से निर्वासित कर दिया गया। वे झारखंड के रांची शहर में जाकर रहने लगे। अंग्रेजों को इससे भी संतोष नहीं हुआ और सरकार ने उन्हें उनके घर में ही नजरबंद कर दिया। नजरबंदी के दौरान उन्होंने दो महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं। पहली पुस्तक का नाम था ‘गुब्बारे खातिर’। दूसरी कुरआन शरीफ पर लिखी गई टिप्पणी थी।

सन 1920 में जेल से रिहा होने के बाद मौलाना कांग्रेस में शामिल हो गए। सन 1921 में कांग्रेस-सत्याग्रह में अन्य कांग्रेसियों के साथ वे भी गिरफ्तार कर लिए गए। सन 1923 में जब वे जेल से रिहा हुए तब कांग्रेस दो दलों में बंट चुकी थी। गदम दल और नरम दल।

सन 1930 में मौलाना को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। सन 1954 में वे पुन: कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में चुने गए। इस पद पर वे छह वर्षों तक बने रहे।

सन 1947 में देश के विभाजन और आजादी के पश्चात मौलाना को भारत सरकार में शिक्षा मंत्री का पद भार दिया गया। इस पद पर वे लगातार 11 वर्षों तक रहे। उन्होंने अंतिम श्वास तक देश की सेवा की।

12 फरवरी 1957 को उनका देहांत हो गया।

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commentscomments

  1. Syed Aijaz says:

    Nice

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