Vivah Samaroh ka Varnan “विवाह समारोह का वर्णन” Hindi Essay 400 Words for Class 10, 12.
विवाह समारोह का वर्णन
Vivah Samaroh ka Varnan
विवाह एक बन्धन है जो दो लोगों को एक स्थायी और आजीवन सहचारिता में बाँधता है। यह परिवार के लिए एक अविस्मरणीय घटना होती है। यह उत्सव, खुशी, दिखावा और उत्तेजना से भरा होता है।
इस साल अप्रैल के महीने में मैं अपने बड़े भाई के विवाह में भाग लेने के लिए कानपुर गया था। हम लोग कानपुर कालका मेल से गए। बारातियों में लगभग चालीस व्यक्ति थे। मैं अपने मित्रों के साथ बैठा था। मेरे पिताजी और मेरे चाचा समान की रखवाली कर रहे थे।
मेरे दोस्त सुरेश ने दिल्ली से गाड़ी के छूटते ही गाना शुरू कर दिया। उसके गीत की सभी ने प्रशंसा की। हम बहुत ही प्रसन्न और सरल मुद्रा में यात्रा कर रहे थे। हम लोगों ने जिन्दगी की सभी चिन्ताओं और परेशानियों को भुला दिया था। अलीगढ़ में रेलगाड़ी रुकने पर हम लोगों ने हलका नाश्ता किया और चाय पी कानपुर में कन्या पक्ष के लोगों ने हमारा हार्दिक स्वागत किया। वहाँ से हमने धर्मशाला की ओर प्रस्थान किया। शाम को हम कन्या के निवास की ओर बारात लेकर गए। हमारा वहाँ गर्मजोशी से स्वागत हुआ और मिठाईयाँ बाँटी गई।
रात्रि भोजन के बाद हममें से कुछ वापस धर्मशाला लौट गये और कुछ वहाँ विवाह-समारोह को देखने के लिए रह गये। मैं उन लोगों में से एक था जो वापस नहीं लौटे थे। कुछ मामूली रस्मों के बाद विवाह का मुख्य समारोह शुरू हो गया। दुल्हन सुन्दर-सी गुलाबी साड़ी और कीमती स्वर्ण आभूषण पहने थी और विवाह-वेदी पर आने के पहले उसे घूँघट से ढंक दिया गया था। वेदिका बहुत अच्छी तरह से विभिन्न रंगों के फूलों और ध्वजपटों से सजी थी। दोनों पक्षों के पण्डित एक-दूसरे के विपरीत बैठे थे। फिर दूल्हा और दुल्हन को वेदिका में जल रही अग्नि के चारों ओर सात बार चक्कर लगाने को कहा गया। उन्हें एक-दूसरे को कुछ वचन देने वाले पवित्र शब्द कहने को कहा गया।
अगले दिन बारात ने कानपुर से प्रस्थान किया। हम फिर दिल्ली जाने वाली रेलगाड़ी के एक आरक्षित डिब्बे में सवार हो गये। दूल्हा-दुल्हन के साथ तरजीही सलूक किया गया और उन्हें एक प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठाया गया।
जिस भव्यता के साथ विवाह सम्पन्न हुआ, वह मेरी स्मृति में आजीवन तरोताजा रहेगा।