Vishva-Prem, “विश्व-प्रेम” Hindi Moral Story, Essay of “Swami Dayanand Saraswati” for students of Class 8, 9, 10, 12.
विश्व-प्रेम
Vishva-Prem
स्वामी दयानंद ने फर्रुखाबाद में नगर के किनारे एक झोंपड़ी में अपना डेरा डाला था। कैलास नामक एक युवक की उन पर बड़ी श्रद्धा थी। एक दिन वह उनके पास आया और उसने अंदर आने की अनुमति माँगी। दयानंद हँसते हुए बोले, “यदि कैलास इस छोटे-से झोंपड़े में प्रवेश कर सकता है, तो उसे अवश्य आना चाहिए।”
अंदर आते ही वह बोला, “स्वामीजी ! आज मैं आपके पास किसी खास उद्देश्य से आया हूँ। बात यह है कि मेरे मन में रह-रहकर यह विचार उठता है कि इतनी साधना करने के बाद जब आप मोक्ष प्राप्त करने के अधिकारी हो गए हैं, तब फिर आप इस संसार की चिंता क्यों करते हैं?”
प्रश्न सुनकर स्वामीजी मुसकरा दिए, बोले, “कैलास! यह भी कोई प्रश्न है? जब मुझे साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि संसार में जहाँ-तहाँ अशांति है, यह अश्रु-सागर में डूब रहा है, दुःखों की अग्नि में झुलस रहा है, अत्याचारों से त्रस्त है, तब भला ऐसी स्थिति में उसे नजरअंदाज कैसे कर सकता हूँ? मैं मोक्ष-प्राप्ति का इच्छुक नहीं हूँ, न ही शांतिपूर्वक मुक्ति चाहता हूँ। मैं मुक्त होऊँगा, तो सबको साथ लेकर, अन्यथा मुझे मुक्ति नहीं चाहिए। कैलास! इसे अच्छी तरह समझ लो कि जो सच्चे हृदय से जनार्दन से प्यार करना चाहता है, उसे चाहिए कि वह जनता से, जो कि जनार्दन की ही कृति है, पहले प्यार करे, तभी जनार्दन का प्यार उसे मिलेगा ।”