Visheshokti Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | विशेषोक्ति अलंकार की परिभाषा और उदाहरण
विशेषोक्ति अलंकार
Visheshokti Alankar
कारण तो मौजूद रहे,
फिर भी हो न सके कोई काज।
विशेषोक्ति वहाँ जानिये,
बनिये गुणी और सरताज ।
परिभाषा – जहाँ कारण के उपस्थित होने पर भी कार्य नहीं होता, वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है।
नेहि न नैननि की कछु उपजी बड़ी बलाय।
नीर भरे नित प्रति रहें, तऊ न प्यास बुझाय ।
इस उदाहरण में विशेषोक्ति अलंकार है क्योंकि कारण रहने पर भी कार्य नहीं होता। जैसे अमृत की वर्षा होने पर भी प्यास मिटने रूपी कार्य नहीं हो रहा है।
अब छूटता नहीं छुड़ाये, रंग गया हृदय है ऐसा,
आँसू से धुला निखरता, यह रंग अनोखा कैसा।
इस उदाहरण में आँसू से धोने पर भी रंग छूटने की बजाय और निखर रहा है।
फूलहिं फलहिं न बेंत, जदपि सुधा बरसहिं जलदा
मूरख हृदय न चेत, जो गुरु मिलहिं पिसंचि सम ।।
इस उदाहरण में विशेषोक्ति अलंकार है क्योंकि कारण रहने पर भी कार्य नहीं होता। जैसे अमृत की वर्षा होने पर भी बेंत फलता-फूलता नहीं है, गुरु के प्रयास के बाद भी मूर्ख, ज्ञानी नहीं हो पाता।