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Posts tagged "Hindi Paragraph" (Page 40)
कश्मीर समस्या The Kashmir Problem विश्व में ‘धरती का स्वर्ग’ के नाम से विख्यात कश्मीर आज बहुत अशांत है। स्वर्ग का तात्पर्य होता है, जहां शांति हो, वैभव हो। कवि कल्हड़ ने ठीक कहा है, “यहां जैसी विद्या, ऊंचे-ऊंचे ग्रह, केशर, हिममिश्रित शीत जल और घर-घर दाक्षा तो स्वर्ग में भी दुर्लभ हैं।” किंतु धरती के स्वर्ग कश्मीर की स्थिति आज बिलकुल विपरीत है। सर्वत्र अशांति, हिंसा, बलात्कार और प्रदर्शनों को...
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May 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
गुट-निरपेक्षता Gut-Nirpekshta द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद संसार में दो प्रमुख शक्तियां उभर कर सामने आईं। ये शक्तियां थीं-अमेरिका और रूस। दोनों में एक-दूसरे से अधिक शक्तिशाली बनने की होड़ थी। दोनों अधिक-से-अधिक आग्नेय और परमाणु अस्त्र बनाने में संलग्न थे। दोनों स्वतंत्र राष्ट्रों को अपने-अपने खेमे में लेने के लिए आतुर थे। भारत के स्वतंत्र होने के बाद अनेक अफ्रीकी और 52 एशियाई देश स्वतंत्र हुए। इन नव स्वतंत्र देशों...
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May 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अधिकार ही कर्त्तव्य है Adhikar hi Kartvya Hai “सड़कें गंदी हैं नालियाँ रुकी हुई हैं, गन्दा पानी गली-गली में फैल रहा है। बराबर चेतावनी दी जा रही है कि शहर में हैजा फैल रहा है, मलेरिया जोर पकड़ रहा है, शहर को साफ-सुथरा रखो। कटी, खुली चीजें मत खाओ। पर कौन सुनता है?” रामअवध बराबर मन ही मन बड़बड़ा रहा था। दूरभाष पर जगह-जगह, मोहल्ले-मोहल्ले से उसे यह शिकायत सुनाई जा...
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January 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
होली है Holi Hai होली का पुनीत पर्व सर्वश्रेष्ठ ऋतु बसन्त में मनाया जाता है। इस पर्व का हिन्दी कवियों ने विस्तृत वर्णन किया है। कवियों की होली जन-साधारण जैसी हुल्लडबाजी की होली नहीं है। उन्होंने आत्माभिव्यक्ति एवं अपने युग के आहान को भी होली-कविता में व्यक्त किया है। अतएव हिन्दी कविता में होली का वर्णन विविध रूपों में हुआ है। जन-साधारण तो होली रंग, गलाल, केसर, कीचड़ आदि से...
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January 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
समाज और कुप्रथाएँ Samaj Aur Kuprathaye हम जहाँ रहते हैं, जिनके बीच में रहते हैं, वह समाज है। समाज मनुष्यों के मिल-जुलकर रहने का स्थान है। व्यक्ति अकेला नहीं रह सकता। आज व्यक्ति जो भी कुछ है, वह समाज के कारण हैं। तो व्यक्ति है, उसका विकास या पतन है। बिना समाज के व्यक्ति की कल्पना नहीं की की,जा सकती। सभ्यता, संस्कृति, भाषा आदि सब समाज की देन है। समाज...
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January 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
रेगिस्तान की यात्रा Registan Ki Yatra भारत में हिमालय भी है और रेगिस्तान भी, रेत के टीले ही टोले हैं रोगिस्तान में। पानी को तरसता है रेगिस्तान। नदियों का नितांत अभाव है वहाँ, मीलों तक जनहित प्रदेश वर्षों से सोया पड़ा है। दिन में तपता रेगिस्तान रात में अत्यन्त मधर हो जाता है। तपते हुए तीबे रात को ठण्डे हो जाते हैं। नंगे पाँव उन पर चलते हुए अद्भुत सुकून...
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January 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
रोजगार का अधिकार Rojgar Ka Adhikar आज रोजगार पाने की समस्या विकट रूप धारण कर चुकी है। लगभग सारी दुनिया इस समस्या से ग्रस्त हैं तीसरी दुनियाँ के देशों का इसका अभिशाप भोगना पड़ रहा है। भारत में इस समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। जनसंख्या में निरंतर तीव्रगति से संवर्द्धन महिलाओं का रोजगार में तेजी से प्रवेश, प्रौद्योगिकी का तेजी से मनुष्य का स्थान लेना, अकाल मृत्यु से...
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January 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
दहेजः एक दानव Dahej Ek Danav शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब दहेज के कारण किसी वधू को जलाया या मारा नहीं गया हो दहेज की माँग अंधस्वार्थ का प्रतीक है और स्त्री-पुरूष की समानता का विरोधी स्वर है। दहेज लेना और देना दोनों ही अपराध माने जाते हैं। सरकार यह कानून बना चुकी है फिर भी सरेआम दहेज लिया जा रहा है और दिया जा रहा है। ताज्जुब तो...
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January 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
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