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Posts tagged "Hindi Nibandh" (Page 27)
सहकारिता Sahkarita प्रस्तावना : पैदा होते ही बच्चे :के अन्दर दूसरे बच्चे से हिलमिल कर रहने की पवित्र भावना स्वत: उत्पन्न होती है। कुछ बड़ा होकर बच्चा, इसी प्रवृत्ति के कारण अन्य दूसरे बच्चों के साथ खेल कर धूल-धूसरित होता है। यह उसके अन्दर अच्छी धारणा है ; किन्तु बड़ा होकर यही बच्चा व्यक्ति के रूप में परस्पर कलह करता है। इससे उसे संसार में भोगों का उपभोग करते हुए भी...
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March 27, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
संयुक्त राष्ट्र संघ Sanyukt Rashtra Sangh प्रस्तावना : युद्ध ने सदैव विनाश का इतिहास लिखा है। युद्ध की भयंकर ज्वाला में सभ्यताएँ भस्म होती हैं, संस्कृतियाँ सिसकने लगती हैं और सत्य अपना मुँह छिपा लेता है। ललित कलाओं में सत्य, शिव और सौन्दर्य का लोप होता है तथा उनके स्थान पर दानवी घृणा का प्रचार ही उनका लक्ष्य बन जाता है। साहित्य प्रेम और सहानुभूति के प्रसार के स्थान पर...
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March 27, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
राष्ट्रीय एकता Rashtriya Ekta प्रस्तावना : क्षेत्रफल, जनसंख्या, भाषा और वेशभूषा आदि की दृष्टि से भारत एक उपमहाद्वीप कहा जाता है। यहाँ के विभिन्न राज्यों के निवासी बाह्य दृष्टि से एक-दूसरे से भिन्न प्रतीत होते हैं। भाषाओं की दृष्टि से तो संसार के अन्य किसी देश में इतनी अधिक भाषाएँ नहीं बोली जाती हैं। इतनी विभिन्नता होने पर भी यहाँ एक ऐसी एकता पाई जाती है जो सम्पूर्ण देश को एक...
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March 27, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
परिवार नियोजन Parivar Niyojan प्रस्तावना : सैकड़ों वर्षों की दासता के पश्चात् स्वतन्त्रता का आलिंगन कर भारत ने आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक और औद्योगिक आदि क्षेत्रों में पर्याप्त उन्नति की। आज के वैज्ञानिक युग में अच्छा स्वास्थ्य लाभ औषधियों के माध्यम से प्राप्त किया। मानव के अन्दर स्वाभाविक रूप से प्रजनन की प्रक्रिया में वृद्धि हो गई। मनुष्य के जीवन की समस्त प्रसन्नता उसके परिवार में निहित होती है; किन्तु यदि परिवार...
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March 27, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
लाटरी वरदान या अभिशाप Lottery Vardan ya Abhishap प्रस्तावना : महात्मा गाँधी के अनुसार- “सच्चा अर्थशात्र कभी भी उच्च सदाचार के नियमों से नहीं टकराता ; क्योंकि सच्चे सदाचार को अच्छे आर्थिक तन्त्र पर आधारित होना चाहिए। ऐसा आर्थिक तन्त्र जो दानव पूजा को प्रोत्साहित करता हुआ सबल व्यक्तियों को निर्बल का शोषण करके सम्पत्तिवान बनाता है, एक निष्कृष्ट अर्थ तंत्र है। उससे तो सर्वनाश हो जाएगा। सच्चा आर्थिक तन्त्र तो...
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March 27, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
दहेज प्रथा एक अभिशाप Dahej Pratha ek Abhishap प्रस्तावना : प्राचीन काल में पूँजीपति घरानो से दहेज प्रथा का प्रचलन हुआ था। हमारे सबसे प्राचीन धार्मिक ग्रन्थ ऋग्वेद में तथा साथ ही अथर्ववेद में भी अनेक स्थानों पर दहेज के सम्बन्ध में संकेत मिलते हैं। सीना, सुभद्रा, द्रोपदी एवम् उत्तरा के विवाह में भी दहेज दिया गया था। राजा-महाराजाओं और ऊँचे कुलों से शुरू हाने वाली ये दहेज-प्रथा की समस्या आजकल...
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March 27, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
आतंकवाद का आतंक Aatankwad ka Aatank प्रस्तावना : मानव को अपने सहजात या स्वाभाविक गुण-कर्म एवं प्रकृति से शान्त, अहिंसक एवं सहकारिता और प्रेम-भाईचारा जैसी भावनाओं से आप्लावित होकर रहने-जीने वाला प्राणी माना गया है। फिर भी कई बार कई प्रकार की विषम या विरोधी प्रवृत्तियाँ उसके भीतर दुबके बैठे हिंसक प्राणी को उसी प्रकार उकसाती रहा करती हैं, जैसे आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार कि बार-बार नाखून काटते रहने...
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March 27, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साम्प्रदायिकता के प्रभाव Sampradayikta ke Prabhav प्रस्तावना : विष यानि बुरा और हानिकारक, अमृत यानि अच्छा और लाभदायक। वास्तव में इस विश्व में अपनी अवधारणा और स्थिति में कोई भी वस्तु, व्यक्ति और स्थान आदि विष पौर स्थान आदि विष या अमृत कुछ भी नहीं हुआ करते। वह तो हमारी दृष्टि, सोच और व्यवहार ही है। जो किसी वस्तु को विष या अमृत अर्थात् अहितकर या हितकर बना दिया करता है।...
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