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Hindi Essay on “विरह प्रेम की जागृति गति है और सुषुप्ति मिलन है” Complete Hindi Nibandh for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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विरह प्रेम की जागृति गति है और सुषुप्ति मिलन है प्रस्तावना : मनुष्य भावनाओं का पुतला है। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण भावना है प्रेम। प्रेम के दो पक्ष हैं 1. संयोग पक्ष, 2. वियोग पक्ष। जिस पक्ष में प्रियतम और प्रियतमा एक साथ और अनुकूल मनोवृत्ति से रहते हैं, वह है प्रेम का संयोग पक्ष इसमें प्रियतम और प्रेयसी का मिलन होता है और जिसमें प्रियतम और प्रेयसी का विछोह रहता है,...
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Hindi Essay on “Vahi Manushya he ki jo Manushya ke liye Mare”, “वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे” Complete Hindi Nibandh for Class 10, Class 12 and Graduation.

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वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे Vahi Manushya he ki jo Manushya ke liye Mare प्रस्तावना : पारस्परिक सहयोग का मानव-जीवन में विशेष महत्व है। इस सद्भावना के अनेक रूप हमें विश्व में दृष्टिगत होते हैं। कहीं पर यह पारस्परिक सहयोग स्वार्थपरता पर अवलम्बित है, तो कहीं धूर्तता और कूटनीति का चोला पहने हुए है और सहयोग में बदले की भावना भी रहती ही है। यह सद्भावना ही...
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Hindi Essay on “Jeevan Maran Vidhi Hath”, “जीवन-मरण विधि हाथ” Complete Hindi Nibandh for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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जीवन-मरण विधि हाथ Jeevan Maran Vidhi Hath प्रस्तावना : मानव स्वयं अपना भाग्य निर्माता है। वह अपनी इच्छानुसार हर कार्य कर सकता है। उसका भविष्य उसकी अपनी मटठी में है। यह धुन पुरातन युग से सुनी जा रहा है। इसी का मनन कर हम कर्मरत हैं। पर इसका फल कौन देता है ? इस पर कभी सोचा नहीं, विचारा नहीं। जब पता चलता है कि फलदाता भगवान् है, इंसान नहीं, तब...
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Hindi Essay on “Paradhin Supnehu Sukh Nahi”, “पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं Complete Hindi Nibandh for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं Paradhin Supnehu Sukh Nahi Best 5 Essays on “Paradhin Sapnehu Sukh Nahi” निबंध नंबर :-01  प्रस्तावना : सामान्यतः मानव अपने जीवन में जो कुछ भी कार्य करता है, उसका एक मात्र उद्देश्य होता है कि वह अपने को सुखी कर सके। अपना विकास कर सके और जितना भी जीवन उसने जीना है उतना स्वाभाविक रूप में जी सके। लेकिन मानव का आदि काल से अब तक का...
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Hindi Essay on “Dheeraj Dharam mitra aru nari”, “धीरज धर्म मित्र अरु नारी” Complete Hindi Nibandh for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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धीरज धर्म मित्र अरु नारी Dheeraj Dharam mitra aru nari आपत्ति काल की अवस्था : आपत्ति काल वह अग्नि युग है, जिसमें सुख-शांति जल कर भस्म हो जाती है, आँखों से नींद काफूर हो जाती है, चित्त में अस्थिरता का साम्राज्य छा जाता है, सुगम से सुगम कार्य दुष्कर प्रतीत होने लगता है, अच्छा, बुरा दीखने लगता है, पाप वृत्ति की ओर हृदय भागने लगता है और बुद्धि भ्रष्ट हो जाती...
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Hindi Essay on “Kami Krodhi Lalachi inse Bhakti na Hoye”, “कामी, क्रोधी, लालची, इनसे भक्ति न होय” Complete Hindi Nibandh for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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कामी, क्रोधी, लालची, इनसे भक्ति न होय Kami Krodhi Lalachi inse Bhakti na Hoye   भक्ति का स्वरूप : भक्ति ईश्वरीय अवस्था में प्रेम प्रदर्शित करने की वह वत्ति है। जिसके होने पर मानव की काम, क्रोध, मोह, लोभ, ईष्र्या आदि कुत्सित भावनाएँ सदैव के उच्चता । लिए लुप्त हो जाती है। भक्त वत्सल अपनी लोकिकता को त्याग कर ईश्वरीय आस्था में मग्न हो जाता है। ऐसा करने वाला इस विश्व...
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Hindi Essay on “Baru Bhal Baas Narak Karitata”, “बरू भल बास नरक करिताता” Complete Hindi Nibandh for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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बरू भल बास नरक करिताता Baru Bhal Baas Narak Karitata व्यवहार का औचित्य, : यह लोक कथा प्रचलित है-पावस के रंग में रंगी हुई शीत निशा में एक बन्दर वृक्ष की शाखा पर ठिठुरा बैठा था। उसी वृक्ष की एक शाखा पर गौरैया का सुन्दर घोंसला था। वह उसमें बैठी बन्दर की अवस्था को निहार रही थी। दयाभाव से सहानुभूति हेतु वह कह उठी, “तुम इतने बुद्धिमान् एवं शक्तिशाली जीव होकर...
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Hindi Essay on “Jo Toku Kanta bove Tahi Boye Phool”, “जो तोकू काँटा बुवै ताहि बोय तू फूल” Complete Hindi Nibandh for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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जो तोकू काँटा बुवै ताहि बोय तू फूल Jo Toku Kanta bove Tahi Boye Phool दुष्टता और सज्जनता की सीमा : इस विश्व में दुष्टता ही सज्जनता की कसौटी है; क्योंकि जब दुष्ट अपने कुकृत्यों से सज्जन को चोट पहुँचाता है, तब वह अपनी सहनशीलता से सब हर्जुम कर जाता है और प्रतिशोध की भावना को कभी भी प्रगट नहीं होने देता। इसी कारण से वह समाज में सज्जनता की उपाधि...
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