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Posts tagged "Hindi essays" (Page 222)
साहित्य में प्रकृति-चित्रण प्रकृति अपने-आप में सुंदर है और मानव-स्वभाव से ही सौंदर्य-प्रेमी माना गया है। इसी कारण प्रकृति और मानव का संबंध उतना ही पुराना है, जितना कि इस सृष्टि के आरंभ का इतिहास। सांख्यदर्शन तो मानव-सृष्टि की उत्पति ही प्रकृति से मानता है। आधुनिक विकासवाद का सिद्धांत भी इसी मान्यता को बल देता है। अन्य दर्शन पृथ्वी, जल, वायु, अग्रि, और आकाश नामक जिन पांच तत्वों से सृष्टि की...
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June 24, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
छायावाद : प्रवृतियां और विशेषतांए संवत 1900 से आरंभ होने वाले आधुनिक काल का तीसरा चरण छायावाद के नाम से याद किया जाता है। इसे अंग्रेजी काव्य में चलने वाले स्वच्छंदतावाद का परिष्कृत स्वरूप माना गया है। उस युग में विद्यमान अनेक प्रकार के राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक, नैतिक बंधनों के प्रति युवकों के मन में उत्पन्न असंतोष के भाव ने हिंदी में इस काव्यधारा को जन्म दिया। ऐसा प्राय सभी स्वीकार...
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June 24, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
हिंदी-साहित्य को नारियों की देन साहित्य को किसी भी जाति और समाज की जीवंतता को प्रमाणित करने वाली धडक़न कहा जा सकता है। जिस प्रकार जीवन और समाज की धडक़न बनाए रखने में स्त्री-पुरुष दोनों का सामान हाथ है, उसी प्रकार जीवन के विविध व्यावहारिक एंव भावात्मक स्वरूपों के निर्माण में भी दोनों का समान हाथ है। साहित्य उन भावनात्मक रूपों में से एक प्रमुख एंव महत्वपूर्ण विद्या स्वीकार किया जाता...
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June 24, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारतीय संस्कृति की विशेषतांए ‘संस्कृतिै’ शब्द ‘संस्कार’ से बना माना गया है। इस कोई प्रत्यक्ष, मूर्त या साकार स्वरूप नहीं हुआ करता, वह तो मात्र एक अमूर्त भावना है। भावना भी सामान्य नहीं, बल्कि गुलाब की सी ही कोमल, सुंदर और सुंगधित भी। वह भावना जो अपने अमूर्त स्वरूप वाली डोर में न केवल केसी विशेष भू-भाग के निवासियों, बल्कि उससे भी आगे बढ़ सारी मानवता को बांधे रखने की अदभुत...
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June 24, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages3 Comments
मेरा प्रिय लेखक यह सभी जानते और मानते हैं कि कवि और लेखक बनाने से नहीं बनते, बल्कि जन्मजात हुआ करते हैं। प्रकृति ही कुछ लोगों को ऐसी सृजन-प्रतिभा प्रदान करके जन्म दिया करती है, जिसके कारण साहित्य का उपवन हमेशा फूला-फला रहा करता है। हिंदी-साहित्य के आंगन में ऐसे अनेक लेखकर-रत्न जन्म ले चुके हैं कि जिनका लोहा आज भी सारा विश्व स्वीकार करता है और भविष्य में भी निरंतर...
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June 24, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages3 Comments
मेरा प्रिय कवि ‘पसंद अपनी-अपनी’ यह कहावत हर क्षेत्र में समान रूप से लागू होती है। हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी का यह सौभाज्य रहा है कि समय-समय पर इसमें काव्य रचने वाले महान और युगांतकारी कवि जन्म लेते रहे ह और आज भी ले रहे हैं। सामान्य रूप से वे सभी मुझे पसंद भी हैं। क्योंकि अपने भाव और विचार-जगत में निश्चय ही वे सब अपना उदाहरण आप हैं। उनकी वाणी युगानुरूप...
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June 24, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साहित्यकार का दायित्व Sahityakar ka Dayitav निबंध नंबर :- 01 साहित्य का सर्जक साहित्यकार भी सबसे पहले एक मनुष्य अर्थात सामाजिक प्राणी ही हुआ करता है। उस समाज का प्राणी, कि जिसका सहित्य के साथ अन्योन्याश्रिता का संबंध माना गया है। दोनों एक-दूसरे से भाव-विचार-सामग्री और प्रेरणा प्राप्त करके अपने प्रत्यक्ष स्वरूप का निर्माण तो किया करते ही हैं, अपने-आपको सजाया-संवारा भी करते हैं। निर्माण, सृजन और सजाने-संवारने की इस सारी...
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June 24, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
साहित्य और समाज निबंध नंबर :- 01 मानव-जीवन और उसके द्वारा गठित समाज संसार में सर्वाोच्च है। इसी कारण सहित्य, कला, ज्ञान-विज्ञान, दर्शन, धर्म आदि स्थूल या सूक्ष्म संसार में जो कुछ भी है, वह सब जीवन और मानव-समाज के लिए ही है, यह एक निर्विवाद मान्यता है। उससे पर या बाहर कुछ भी नहीं। मानव एक सामाहिक प्राणी है। वह व्यक्ति या समूह के स्तर जो कुछ भी सोचता, विचारता...
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June 24, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment