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[Update] Hindi Essay on “Vartman Shiksha Pranali” , ”वर्तमान शिक्षा प्रणाली” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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वर्तमान शिक्षा प्रणाली  Vartman Shiksha Pranali निबंध नंबर:01  शिक्षा का वास्तविक अर्थ होता है, कुछ सीखकर अपने को पूर्ण बनाना। इसी दृष्टि से शिक्षा को मानव-जीवन की आंख भी कहा जाता है। वह आंख कि जो मनुष्य को जीवन के प्रति सही दृष्टि प्रदान कर उसे इस योज्य बना देती है कि वह भला-बुरा सोचकर समस्त प्रगतिशील कार्य कर सके। उचित मानवीय जीवन जी सके। उसमें सूझ-बूझ का विकास हो, कार्यक्षमतांए...
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Hindi Essay on “Vidyarthi Ka Varshik Mohotsav” , ”विद्यालय का वार्षिक मोहोत्सव ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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विद्यालय का वार्षिक मोहोत्सव  मानव-स्वभाव जन्मजात रूप से ही उत्सव प्रिय है। उत्सव का अर्थ है-आनंद। इसलिए उत्सव का नाम सुनते ही मेरा रोम-रोम नाचने लगता है, फिर चाहे वह दीवाली-दशहरा का त्योहार हो या विद्यालय में कोई छोटा-बड़ा आयोजन ही क्यों न हो। उत्सव-त्योहार को आनंदपूर्वक, उत्साह से भरकर मनाना शायद हमारी संसकृति की एक बड़ी ही महत्वपूर्ण देन है। तभी तो हम न केवल उत्सवों-त्योहारों की प्रतीक्षा ही करते...
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Hindi Essay on “Sainik Shiksha Aur Vidyarthi” , ”सैनिक-शिक्षा और विद्यार्थी ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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सैनिक-शिक्षा और विद्यार्थी  Compulsory Military Education निबंध नंबर : 01 जीवन में सफलता पाने के लिए हर प्रकार की शिक्षा अनिवार्य है। ‘शिक्षा’ शब्द का व्यापक अर्थ केवल कुछ किताबें पढक़र, एक के बाद एक परीक्षांए पास करते जाना ही नहीं है, बल्कि वास्तविक अर्थ है जहां से जो कुछ भी अच्छा और उपयोगी मिल सके, वह सब कुछ सीखना और अपना लेना। इस ्रव्यापक अर्थ और संदर्भ में ही ‘सैनिक-शिक्षा...
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Hindi Essay on “Vidyarthi Aur Anusashan” , ” विद्यार्थी और अनुशासन ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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विद्यार्थी और अनुशासन नियमित अर्थात समाज, संस्था द्वारा निर्धारित या स्वंय उसके नियमों का पालन करते हुए जीवन जीने का प्रयत्न ही अनुशासन है। अनुशासन किसी वर्ग या आयु-विशेष के लोगों के ही नहीं, बल्कि सभी के लिए परम आवश्यक हुआ करता है। जिस जाति, देश और राष्ट्र-जनों में अनुशासन का अभाव रहता है, वे अधिक समय तक अपना अस्तित्व नहीं बनाए रख सकते। यदि किसी अन्य कारण से अस्तित्व बना...
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Hindi Essay on “Vidyarthi Aur Rajniti” , ” विद्यार्थी और राजनीति ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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विद्यार्थी और राजनीति Vidyarthi aur Rajniti निबंध नंबर : 01 आयु में अध्ययन का एक विशिष्ट भाग विद्यार्थी जीवन कहलाता है। इस अवस्था में जीवन को सफल बनोन के लिए अनेक प्रकार की विद्यांए प्राप्त करने का इच्छुक व्यक्ति ही सामान्यतया विद्यार्थी कहलाता है। इस कार्य के लिए प्राय: मानव-आयु का एक भाग अर्थात 25 वर्षो तक की आयु भी निर्धारित कर दी गई है। इस काल को भविष्य की तेयारी...
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Hindi Essay on “Vidyarthi Jeevan : Kartavya Aur Adhikar” , ” विद्यार्थी जीवन : कर्तव्य और अधिकार ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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विद्यार्थी जीवन : कर्तव्य और अधिकार आम बोलचाल की सामान्य परिभाषा में विद्या-प्राप्ति का इच्छुक विद्यार्थी कहा जाता है। इस दृष्टि से सामान्यतया शिक्षा-कला को विद्यार्थी-जीवन कहा जा सकता है। यों तो मनुष्य सारा जीवन ही कुछ-न-कुछ सीखता रहता है पर उसे विद्यार्थी नहीं कहा जात। जब तक वह स्कूल-कॉलेज जाता और उनके अनुरूप परीक्षांए देता रहता है, उसी कालावधि को विद्यार्थी काल कहते हैं। इस काल में अपने नाम के...
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Hindi Essay on “Sahitya ka Adhyayan Kyo” , ”साहित्य का अध्ययन क्यों” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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साहित्य का अध्ययन क्यों साहित्य को साहित्य इसलिए कहा गया है कि उसमें बुनियादी तौर पर मानव-जीवन और समाज के ‘हित’ का भाव स्वत: ही अंतर्हित रहा करता है। वह मनुष्यों की आत्मा को एक करने वाली कोमल-कांत कड़ी का काम भी किया करता है। वह हमारी कोमल-कांत भावनाओं को सहलाया ही करता है, हमारे जीवन को सहज व्यवहारों की सीख भी दिया करता है। जीवन के सामने समय-समय पर आने...
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Hindi Essay on “Pragativad” , ” प्रगतिवाद” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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प्रगतिवाद हिंदी-साहित्य का  इतिहास में आधुनिक काल में छायावाद के बाद आरंभ के चौथे चरण को प्रगतिवादी विचारधारा से प्रभावित साहित्य-रचना का युग स्वीकार किया गया है। इसका आरंभ सन 1936 के आस-पास से स्वीकारा जाता है। इससे पहले वाले छायावादी-युग की कविता कल्पना-प्रधान थी, पर अब कविगण कल्पना के आकाश से उतरकर जीवन के यथार्थ से प्रेरणा लेकर धरती पर पैर जमाने लगे। फलस्वरूप कविता की जो नई धारा चली,...
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