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Posts tagged "Hindi Essay" (Page 184)
मजदूर Majdoor मैं मजदूर हूँ। मेरे कंधों पर निर्माण का भार टिका हुआ है। मैंने नए भारत का निर्माण किया है। मैं निर्माता हूँ। मैं मजदूर होते हुए भी अपने काम में निरंतर लगा रहता हूँ। मैंने अपने कंधे कभी नहीं गिराए। मैं काम करने से कभी नहीं घबराता। मैं अनेक पीढ़ियों से निरंतर काम करता चला आ रहा हूँ। मैंने बड़े-बड़े पुल बनाए, बड़ी-बड़ी भव्य आलीशान इमारतें बनाई।...
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June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
समरथ को नहिं दोष गोसाँई Samrth ko nahi dosh Gosain इस कहावत का अर्थ है- समर्थ व्यक्ति को किसी भी प्रकार का दोष नहीं लगता। समर्थ अर्थात् शक्तिशाली व्यक्ति कुछ भी कर ले, कोई उस पर टीका-टिप्पणी नहीं करता। विशेष कमजोर व्यक्ति ही सभी की नजरों में रहता है। सभी उसकी कमियाँ ढूँढ कर निकालते हैं। कहा भी जाता है- ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ अर्थात् ताकतवर की ही सब बातें...
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June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
भारत का भविष्य Bharat ka Bhavishya भारत का भविष्य उज्जवल है। भरत इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर गया है। यह सदी भारत के लिए अत्यंत शुभ है। इस सदी में भारत सफलता के नए आयाम छुएगा। भारत एक सशक्त लोकतांत्रिक देश है भारत एक शक्तिशाली देश के रूप में उभरेगा। यह विश्व की महान शक्ति के रूप में उभरेगा। इस समय भारत विकासशील देशों की श्रेणी में है। 2030 तक...
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June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages2 Comments
आधुनिक नारी की भूमिका Aadhunik Nari ki Bhumika आधुनिक काल में नारी सामाजिक व्यवस्था में स्थान रखती है। पुरूषों की भाँति ही वह उच्च शिक्षा ग्रहण करती है, सभी प्रकार के प्रशिक्षण या टेªनिंग लेती है और घर की सीमाओं से बाहर निकलकर स्कूल, काॅलेजों कार्यालयों, अस्पतालों आदि में अपनी कार्यक्षमतानुसार स्थान प्राप्त करती हैं। राजनीति, वैज्ञानिक संस्थान, पर्वतारोहण, क्रीड़़ा जगत्, पुलिस, सेना आदि कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं जहाँ...
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June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
हिन्दी भाषा की वर्तमान दशा Hindi Bhasha ki Vartman Dasha हिन्दी पढ़ना मेरा सौभाग्य है, मेरी विवशता कतई नहीं है। मुझे अपनी भाषा हिंदी पर गर्व है। हिंदी हमारे देश की राष्ट्रभाषा है। अपनी राष्ट्रभाषा पर मेरा गर्व होना स्वाभाविक ही है। यह प्रश्न मेरी अस्मिता से जुड़ा है। कोई भी राष्ट्र तब तक स्वतंत्र होने का दावा नहीं कर सकता जब तक उसकी अपनी ही राष्ट्रभाषा न हो।...
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June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
सांप्रदायिकता Sampradayikta धार्मिक असहिष्णुता का दूसरा नाम है- सांप्रदायिकता। हमारे देश में यद्यपि हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई आदि विभिन्न धर्मों के मानने वाले निवास करते हैं परंतु फिर भी हमारे देश में जो धर्म-निरपेक्षता के सिद्धांत को मान्यता देता है, सांप्रदायिक एकता बनी हुई है। सामान्यतः लागों का धर्मों तथा विचारों की विभिन्नता के कारण विभिन्न संप्रदायों से संबंधित होना अस्वाभाविक नहीं है। परंतु जब विभिन्न संप्रदायों के लोग केवल...
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June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
मित्र हो तो ऐसा Mitra ho to Esa मित्रता एक पवित्र वस्तु है। संसार में सब कुछ मिल सकता है, परंतु सच्चा और स्वार्थहीन मित्र मिलना अत्यंत दुर्लभ है। जिस व्यक्ति को संसार में मित्र-रत्न मिल गया, समझो उसने अपने जीवन में एक बहुत ही बड़ी निधि पा ली। मनुष्य जब संसार में जीवन-यात्रा प्रारंभ करता है तो उसे सबसे अधिक कठिनाई मित्र खोजने में ही होती है। यदि उसका...
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June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
एक आतंकी घटना का अनुभव Ek Aatanki Ghatna ka Anubhav वह घड़ी जब जीवन और मृत्यु में एक कदम का फासला था जीवन बड़ा विचित्र है। इसमें कब क्या घटित हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। पिछले दिनों की बात हैं मैं सरोजिनी नगर मार्किट में खरीदारी कर रहा था। घर में एक समारोह था, उसकी तैयारियाँ बड़े जोर-शोर से चल रही थीं। हम बड़े उत्साह में थे।...
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June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment