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Posts tagged "Hindi Essay" (Page 182)
देश-भक्ति Desh Bhakti अथवा स्वदेश प्रेम Swadesh Prem ‘‘वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं’’ ‘‘देशप्रेम वह पुण्य क्षेत्र है, अमल असीम त्याग से विलसित। जिसकी दिव्य रश्मियाँ पाकर, मनुष्यता होती हैं विकसित।।’’ देश-भक्ति पवित्रसलिला भागीरथी के समान है जिसमें स्नान करने से शरीर ही नहीं अपतिु मनुष्य का मन और अन्तरात्मा भी पवित्र हो जाती हैं स्वदेश की रक्षा और उसकी उन्नति के लिये...
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June 15, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बेरोजगारी की समस्या Berojgari ki Samasya आधुनिक युग में विज्ञान की प्रगति ने मानव-जीवन को प्रत्येक क्षेत्र में सुखद, समृद्ध तथा समुन्नत बनाया है। नित नयी वैज्ञानिक खोजों तथा आविष्कारों ने महान उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। परन्तु उस विज्ञान ने कुछ ऐसी समस्याएँ भी उत्पन्न कर दी हैं जो समस्त विश्व के सामने सुरसा के मुँह की भाँति बढ़ती जा रही है। इन समस्याओं में प्रमुख हैं- महँगाई, बढ़ती जनसंख्या...
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June 15, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
छात्र असंतोष- कारण और समाधान Chatra Asantosh-Karan aur Samadhan शिक्षा प्राप्ति के उद्देयस से विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वालों को छात्र या छात्रा की संज्ञा दी जाती है। ये शिक्षालयों में विद्यार्जन के साथ-साथ जीविकोपार्जन में सहायक ज्ञान भी प्राप्त करना चाहते हैं। विद्या और जीविका को पाने के उद्देश्य से उत्साहपूर्वक आने वाले इन छात्रों को गम्भीर होकर पढ़ाई-लिखाई में लग जाना चाहिए किंतु बहुत बार...
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June 15, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
आदर्श विद्यार्थी Aadarsh Vidyarthi विद्या प्राप्त करने वाला विद्यार्थी कहलाता है। आदर्श विद्यार्थी वह है जो स्वभाव से ही विद्यानुरागी और विद्या व्यसनी हो। पढ़ना उसका शौक हो और ज्ञानार्जन उसका लक्ष्य। इस शब्द से मन की आँखों के सामने एक ऐसे व्यक्ति का चित्र उभरता है जो विनम्र, सुशील, परिश्रमी, सत्यवादी और आज्ञाकारी हो। जो समय पर विद्यालय जाता हो, वहाँ मन लगाकर पढ़ता हो, पाठशाला से घर...
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June 15, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
आज के विद्यार्थी के सामने चुनौतियाँ Aaj ke Vidyarthi ke Samne Chunotiyan आज का विद्यार्थी कल का नेता है। वहीं राष्ट्र का निर्माता है। वह देश की आशा का केन्द्र है। विद्यार्थी जीवन में वह जो सीखता है, वही बातें उसके भावी जीवन को नियंत्रण करती है। इस दृष्टि से उसे विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का पालन करना अनिवार्य हो जाता है। ‘विद्यार्थी’ शब्द विद्या $ अर्थी के योग...
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June 15, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भाग्य और पुरूषार्थ Bhagya Aur Purusharth इस संसार में कुछ व्यक्ति भाग्यवादी होते हैं और कुछ केवल अपने पुरूषार्थ पर भरोसा रखते हैं। प्रायः ऐसा देखा जाता है कि भाग्यवादी व्यक्ति ईश्वरीय इच्छा को सर्वोपरि मानते हैं और अपने प्रयत्नों को क्षीण मान बैठते हैं। ये विधाता का ही दूसरा नाम भाग्य को मान लेते हैं। भाग्यवादी कभी-कभी अकर्मण्यता की स्थिति में भी आ जाते हैं। उनका कथन होता...
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June 15, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
गर्मी की एक दोपहर Garmi ki Ek Dopahar जून का महीना था। गर्मी चरम सीमा पर थी। ऐसी ही गर्मी की एक झुलसा देने वाली दोपहर थी। सूरज बुरी तरह तमतमा रहा था। धरती तवे की तरह जल रही थी। लू चल रही थी। घर से बाहर निकलना कठिन प्रतीत होता था। गर्मी सभी को झुलसा रही थी। मनुष्यों के साथ-साथ पुशु-पक्षी तथा पेड़-पौंधें भी गर्मी की मार झेलने...
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June 15, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बदलते समाज में महिलाओं की स्थिति Badalte Samaj me Mahilaon ki Stithi भारतीय समाज में प्रारंभ से ही नारी का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। यह देवी तथा पूज्या है। मनु के शब्दों में ‘‘य़त्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता’’ अर्थात् जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवता निवास करते हैं। नारी तथा पुरूष एक-दूसरे के पूरक हैं। एक के अभाव में दूसरे का व्यक्तित्व अपूर्ण है। नारी राष्ट्र की निर्माता...
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June 15, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment