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Scout Diwas – 7 November “स्काउट दिवस – 7 नवम्बर” Hindi Nibandh, Essay for Class 9, 10 and 12 Students.

स्काउट दिवस – 7 नवम्बर (Scout Diwas – 7 November)

हमारे देश में स्काउट/गाइड संगठन की स्थापना 07 नवम्बर, 1950 को की गई। इसी कारण से प्रतिवर्ष 07 नवम्बर को यह दिवस मनाया जाता है।

स्काउट-गाइड का इतिहास (History of Scout-Guide)

स्काउट-गाइड के जन्मदाता अंग्रेज सैनिक अधिकारी लार्ड वेडेन पॉवेल थे। इनका पूरा नाम लार्ड रॉबर्ट स्टीवेन्सन स्मिथ वेडेन पॉवेल था। इनका जन्म इंग्लैण्ड में 22 फरवरी, 1857 में हुआ था। बचपन में इनकी तैरना, नौका चलाना आदि में विशेष रुचि थी। यह साहसी कार्य करते थे। 1876 में ये रॉयल अकादमी की सैनिक परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। उन्हें सैनिक अधिकारी बनाया गया। फिर यह भारत आए। यह सैनिक टुकड़ी के साथ बचपन में अभ्यास किया करते थे। 1884 में इन्हें अंग्रेज सरकार ने अफ्रीका भेजा और वहाँ भी इन्हें प्रशिक्षण दिया गया।

झूलू अफ्रीकन अफ्रीका में विद्रोह किया करते थे। उनका सामना डेवेन पॉवेल की टुकड़ी ने किया। झूलू लोग इनकी धाक मानने लगे। जासूसी क्रिया में ब्रिटिश सरकार के सामने इन्होंने धाक जमा ली। इनकी इन क्रियाओं की वजह से वेडेन पॉवेल को एक नाम इम्पासी (कभी न सोने वाला भेड़िया) दिया गया। अंग्रेज सरकार ने इन्हें कर्नल बनाया। इन्हें भारत में सैनिक टुकड़ी प्रशिक्षण के लिए दे दी गई। इन्होंने बचपन के अभ्यास सिखाए। इन्हीं दिनों वेडेन पॉवेल ने एक नये विज्ञान अथवा विषय की खोज की, जिसका नाम (स्काउटिंग) दिया। जिसका अर्थ भ्रमण का विज्ञान होता है।

के प्रशिक्षण के लिए वेडेन पॉवेल ने एक किताब ‘Aids स्काउटिंग (Scouting) to Scouting’ लिखी, जो प्रकाशित हुई। अफ्रीका में बोअर जाति के साथ युद्ध छिड़ा। इन्हें फिर अफ्रीका भेजा गया। वहाँ सावधानी से युद्ध लड़ा गया। मेफकिन नगर को शत्रुओं ने घेर लिया। 217 दिन तक युद्ध चला। अंग्रेजों ने बोअर जाति के साथ युद्ध जीत लिया। छोटे उम्र के लड़कों को निम्नलिखित कार्य सिखाए गए (1) पहरा देना, (2) संदेश वाहक का काम करना, (3) प्राथमिक उपचार करना एवं (4) सन्देश भेजना (संकेतों के माध्यम से)।

वेडेन पॉवेल विश्व भर में सैनिक क्रिया में कुशल हो गए। अंग्रेज सरकार ने अफ्रीका में सैनिकों का भार इन्हें सौंप दिया। किताब से इन्हें प्रेरणा मिली, फिर इन्होंने बालकों को स्काउटिंग सिखाई। 1907 में इस योजना को कार्य रूप में परिणित किया व ब्राउन सी नामक द्वीप पर बच्चों को प्रशिक्षण देने के लिए शिविर लगाया। कहानी के रूप में पात्रों का चयन कर पाठ किया व कैम्प फायर भी किया।

1908 में वेडेन पॉवेल ने ‘स्काउटिंग फॉर बोयज’ नामक किताब लिखी, जो बच्चों के लिए लाभप्रद सिद्ध हुई। यह किताब पहले पाक्षिक पत्र के रूप में थी, उसमें एक प्रक्रिया को लिखते थे। 1908 में किताब का प्रकाशन हो गया। धीरे-धीरे बालकों में यह पुस्तक पसंद की जाने लगी। अभ्यास करने वाले बालक आपस में यह कार्य करने लगे। इसी को हम स्काउटिंग आंदोलन कहते हैं। इस प्रकार स्काउटिंग का जन्म हुआ।

क्रिस्टिल पेलिस लन्दन में 1909 में स्काउटिंग (Scouting) रैली हुई। छोटे-छोटे दलों को आने का निमंत्रण दिया गया। इस रैली में लड़कियाँ भी पहुँची। वह भी अपना यूनिफार्म पहनकर आई। एग्नेस वेडेन पॉवेल जो लार्ड वेडेन पॉवेल की बहन थी, उन्हें गाइडिंग पर पुस्तक लिखने को कहा गया। उन्होंने ‘How Girls can help the Empire ‘ पुस्तक लिखी।

अब स्काउटिंग तथा गाइडिंग को मान्यता मिली। एग्नेस ब्रिटिश गाइडिंग संस्था की प्रेसीडेण्ट चुनी गई। 1918 में उन्हें उच्च गाइड (Chief Guide) बना दिया गया। बाद में बच्चों के उत्साह को देखकर उन्हें भी उम्र के अनुसार अभ्यास कराया जाने लगा।

इस प्रकार छोटे-छोटे बच्चों के उत्साह को देखते हुए कब्स और ब्राउनीज जो 6 से 12 वर्ष के बच्चे होते हैं, उनके लिए अभ्यास व प्रशिक्षण का प्रावधान किया गया। बाद में गेवर Scouts व Ranger Guide जो 18 से 25 वर्ष के युवा हैं, इनके लिए भी उपयुक्त प्रशिक्षण एवं अभ्यासों का विस्तार किया गया। इस प्रकार Scout Guide प्रशिक्षण का पूर्ण रूप से तैयार हो गया। इसके विभिन्न स्तरों की जानकारी इस प्रकार है-

आयु सीमा              बालक          बालिकाएँ             आदर्श वाक्य

6 वर्ष से 10 वर्ष तक  कब्स             बुलबुल                   भरसक प्रयत्न करो           

10 वर्ष से 18 वर्ष       स्काउट           गाइड                     तैयार रहो

18 वर्ष से 25 वर्ष       रोवर                रेंजर                      सेवा करो

ऊपर दर्शित तीन खण्डों के आदर्श वाक्यों को एक साथ रखने से विदित होता है।

 

सेवा करने के लिए तैयार रहने की कोशिश करो। “

भारत में स्काउटिंग-गाइडिंग (Scouting-Guiding in India)

भारत में 1909 में गाइडिंग की संस्था को मान्यता मिली। उस समय भारत में ब्रिटिश साम्राज्य था। सर्वप्रथम यूरोपीय व एंग्लो इण्डियन लड़कों के लिए 1909 में स्काउटिंग संस्था का सूत्रपात हुआ। 1913 से भारतीय बालकों के दल भी बनने लगे। 1915 में श्रीमती एनीबेसेन्ट ने भारत में भारतीय छात्र स्काउट संघ (Indian Boys Scout Association) की स्थापना की। यह स्वतन्त्रता प्राप्ति तक चलती रही।

1921 में लार्ड वेडेन पॉवेल व लेडी वेडेन पॉवेल भारत आए। वह भारत के बच्चों की गतिविधियाँ देखकर प्रभावित हुए। 1922 में भारत का छात्र स्काउट संघ (Boys Scout Association of India) की स्थापना की गई। 1933 में हरिद्वार में एक भारतीय स्काउट गाइड की रैली हुई। पॉवेल ने इसमें भाग लिया। 1937 में पुनः वेडेन पॉवेल भारत आए। बहुत सारे संघ को मिलाकर हिन्दुस्तान स्काउट संघ (Hindustan Scout Association) की स्थापना की। यह स्वतन्त्रता प्राप्ति तक चलती रही।

7 नवम्बर, 1940 में भारत स्काउट गाइड संघ (Scout Guide Association) की स्थापना की गई। इसे अन्तर्राष्ट्रीय गाइड संघ (International Scout Guide Association) के नाम से जाना जाता है। इस संस्था के संगठक राष्ट्रपति तथा उपसंरक्षक उपराष्ट्रपति हैं।

अपने जीवन के अन्तिम दिनों में लार्ड वेडेन पॉवेल अफ्रीका के कीनिया प्रदेश में रहते थे और यहीं जनवरी, 1949 में उनका देहान्त हो गया।

भारत में स्काउट गाइड संस्था (Scout Guide Institute) का मुख्य कार्यालय दिल्ली में है। भारत में छात्राओं की गाइडिंग (Girls Guiding) का कार्य भी इसी संस्था को सौंपा गया। इसमें सभी स्काउट-गाइड भाई-बहन एक ही झण्डे के नीचे साथ-साथ कार्य कर रहे हैं।

राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले स्काउट शिविर को जम्बूरी कहते हैं।

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