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Mrityu se pehle kayar kai baar marta hai “मृत्यु से पहले कायर कई बार मरते हैं” Hindi Essay 500 Words for Class 10, 12.

मृत्यु से पहले कायर कई बार मरते हैं

Mrityu se pehle kayar kai baar marta hai

लगातार मृत्यु से डरते हुए जीना स्वयं ही मृत्यु के समान है। कायर व्यक्ति की आत्मा मामूली भय अथवा हानि की थोड़ी सी आशंका से काँपने लगती है। तब उसकी सभी शक्तियाँ कुण्ठित हो जाती हैं और उसकी इच्छा-शक्ति दुर्बल हो जाती है। ऐसा व्यक्ति कीड़े की तरह जीता है जिसे कभी भी कुचला और मसला जा सकता है। वह प्रतिदिन ही नहीं, अपितु प्रति मिनट मरता रहता है।

कायर व्यक्ति कष्टों को बुलावा देते हैं। वह सदा दुःखी और चिंतित रहते हैं। इस विषय में एक व्यक्ति की गाथा सुनायी जाती है जो केवल इस चिन्ता के कारण ही मर गया कि उसके पास दस वर्षों के लिए गुजारे का सब सामान था परन्तु ग्यारहवें वर्ष में जीवन-यापन का कोई साधन नहीं था। ऐसे शूरवीर को कभी शांति नहीं मिलती।

परन्तु वीर पुरुष जीवन की चुनौतियों का सामना अपना सिर ऊपर करके छाती ठोंक कर करता है। कुछ भी हो, वह सदा प्रसन्न और आशावादी ही रहता है। जब एक अंग्रेज से यह पूछा गया कि क्या वह यह जानता है कि किसी त्रिभुज के तीन कोण दो समकोणों के बराबर होते हैं तो उसने उत्तर दिया, “जब त्रिभुज मेरे पास आयेगा तब मैं देखूँगा।” वीर पुरुष इसी प्रकार की मिट्टी का बना होता है। वह शांत और सन्तुलित जीवन जीता है परन्तु जब कष्ट आते हैं तो वह उनका सामना साहस और धैर्य से करता है। वह स्थिति का सामना करने के लिए तत्पर हो जाता है और यदि मृत्यु भी आती है तो प्रसन्नता से उसे वरण कर लेता है। वह सदा तैयार और निडर रहता है।

वर्तमान शताब्दी के प्रारम्भ में दक्षिण अफ्रीका में बंधुआ मजदूरों के रूप में ले जाये गये भारतीयों के साथ उस देश में बड़ा अपमानजनक और निर्दयतापूर्ण व्यवहार किया जाता था। परन्तु वहाँ पर एक ऐसा व्यक्ति उठ खड़ा हुआ जिसने अत्याचार के सामने नतमस्तक होने से इंकार कर दिया। एक दिन जब उसे एक गाड़ी से बाहर फेंक दिया गया तो उसने सत्ता को चुनौती दी। यद्यपि प्रत्येक पग पर मृत्यु उसके सामने खड़ी थी फिर भी उसने निरंकुश शासकों की अवज्ञा की। यह एक साहसी व्यक्ति के आत्मिक बल और पाशविक शक्ति के अपार बल के बीच की टक्कर थी। इसमें आत्मिक बल की विजय हुई। कायर डगमगा जाता है परन्तु जो साहस से काम लेते हैं वे प्रायः खतरों को पार कर लेते हैं। जहाँ साधारण व्यक्ति सामने आने वाले कष्टों और विपत्तियों के बारे में ही सोचता रहता है वहाँ तेनसिंह और हिलेरी जैसे वीर, अपने झण्डे उठाये, हवा और पानी का सामना करते हुए पथरीली चट्टानों और पर्वतों पर चढ़ते हुए आगे ही बढ़ते गये। अन्ततोगत्वा वे ऐवरेस्ट पर पहुँच ही गये। केवल को ही पुरस्कार पाने का अधिकार है। छोटे दिल वाला व्यापारी किसी जोखिम भरे काम पर पैसा लगाने से हमेशा ही डरता रहेगा। वह अपनी पूँजी को सुरक्षित रखना चाहता है और अपने हजारों रुपयों से चिपटा रहता है जबकि उत्साही व्यापारी अपना सब कुछ जोखिम में डालकर लखपति बन जाता है।

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