Hindi Letter “Rin ki Adayagi ke bare me Patra ”, “ऋण की अदायगी का ध्यानाकर्षण” Hindi Letter for Class 10, Class 12 and Graduate Classes
ऋण की अदायगी का ध्यानाकर्षण
Rin ki Adayagi ke bare me Patra
मुझे यह कहते हुए दुःख हो रहा है कि आप उस 2500/- के ऋण की अदायगी से बचना चाह रहे हैं जिसे आपने गत वर्ष अपनी पुत्री के विवाह के अवसर पर मुझसे लिया था।
आपने मेरे ध्यानाकर्षण कराने वाले पत्रों का उत्तर देने का भी कष्ट न किया। इससे यही प्रतीत होता है कि अब मेरी ओर से वह तरीका अपनाया जाना चाहते हैं, जिसके बारे में मैं समझता हूँ कि आपको भी पसन्द न होगा।
मेरे सामने इसके अलावा अब कोई रास्ता नहीं बन्द रहता है कि मैं कानूनी कार्यवाही हेतु अपने वकील को केस सौंप दूँ।
आपको इस मामले में विचार हेतु मैं एक माह का समय देता हूँ।
भवदीय,
चरनजीत लाल
उपरोक्त का उत्तर
श्रीमान् चरनजीत,
मुझे ध्यान नहीं पड़ता कि अपनी पुत्री के विवाह के अवसर पर मैंने आपसे कोई ऋण लिया था। अगर ऐसा कुछ हुआ है कि उस अवसर पर आपकी ओर से कुछ खर्च किया गया है तो इस सम्बन्ध में यही कह सकता हूँ, आपने सामाजिक कर्तव्य समझते हुए खर्च किया। इसमे कर्ज देने जैसी कोई बात नहीं बनती।
इस प्रकार मैं कह सकता हूँ कि आपका मुझ पर कोई बकाया नहीं।
आपका,
सुरेश चन्द्र
उपरोक्त के संदर्भ में स्वीकारत्मक उत्तर
चरनजीत जी,
मुझे इस बात से कोई इन्कार नहीं कि अपनी पुत्री के विवाह के अवसर पर मैंने आपसे 2500/- लिये थे। पर अभी भी मुझे कुछ दिनों की मोहलत चाहिए ताकि मैं आपके कर्ज की वापसी कर सकूँ।
आशा करता हूँ कि आप मुझे कुछ समय की मोहलत अवश्य देने की कृपा करेंगे।
आपका,
सुरेश चन्द्र