Hindi Letter “Pustaqko ke Mulyo me Nirantar hone vali Vridhi par Sampadak ko Patra ”,”पुस्तकों के मूल्यों में निरंतर होने वाली वृद्धि पर संपादक को पत्र”.
किसी दैनिक सामाचारपत्र के प्रधान संपादक को सुमन की ओर से पत्र लिखिए, जिसमें पुस्तकों के मूल्यों में निरंतर होने वाली वृद्धि पर चिंता प्रकट की गई हो।
सेवा में
संपादक,
दैनिक जागरण,
नई दिल्ली।
महोदय,
मैं आपके दैनिक लोकप्रिय समाचारपत्र के माध्यम से पुस्ताकों के मूल्यों में निंरतर हो रही वृद्धि पर अपनी चिंता प्रकट करना चाहता हूँ। आशा है आप इसे जनहित में अवश्य प्रकाशित करेंगे।
आजकल पाठ्यपुस्तकों की कीमतें आसमान को छू रही हैं। इस काम में सरकारी प्रकाशन और प्राइवेट वब्लिशर दोनों एक-दूसरे से होड़ ले रहे है। एन.सी. ई. की पुस्तकें, जो सस्ती कीमतों के लिए जानी जाती थीं, अब काफी महँगी होती जा रही हैं। प्राइवेट पब्लिशर तो एक मामूली सी किताब के भी 150-200 रूपये कीमत रखते हैं। इसको बेचने के लिए विक्रेता को 30-35 प्रतिशत तक कमीशन देते हैं औश्र ग्राहक को लुटवाते हैं। पुस्ताकों की कीमतों में हो रही निरंतर वृद्धि के कारण को लुटवाते है। पुस्तकों की कीमतों में हो रही निरंतर वृद्धि के कारण विद्यार्थियों को पूरी पुस्तकें खरीदना कठिन होता जा रहा है। शायद इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।
मैं सभी प्रकाशकों से कहना चाहता है कि पुस्तकों के बढते मूल्यों पर नियंत्रण करें। उन्हें पाठकों के हित का भी ध्यान रखना चाहिए।
सधन्यवाद
भवदीय
सुमन
संयोजक, पुस्तक हितकारी संघ नई दिल्ली
दिंनाक………..