Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Shekh Saadi” , ”शेख सादी” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
शेख सादी
Shekh Saadi
इरान : फारसी-गद्य के जन्मदाता
जन्म : 1213 मृत्यु : 1292
शेख मुसलिद्दीन सादी फारसी के महान विद्वान एवं दार्शनिक ही नहीं, बल्कि फारसी-गद्य के भी जन्मदाता माने जाते हैं। उनके आदर्श जीवन के बारे में कई किस्से मशहूर रहे हैं। वह अपने युग के महान कवि एवं साहित्यकार थे। उनके द्वारा लिखे लगभग सोलह ग्रंथ पाए गए हैं। उनके गजल संग्रह फारसी साहित्य का आधार बन गए हैं। उन्हें इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि उन्होंने सदाचार और नीति का प्रचार किया तथा जीवन के उद्देश्यों को अपनी रचनाओं में उद्घाटित किया।
शेख सादी का जीवन-काल लगभग सात शताब्दी पूर्व का माना जाता है। संसार की प्रमुख भाषाओं में उनकी रचनाओं का अनुवाद हो चुका है। शायद ही कोई ऐसा देश हो, जो उनकी शिक्षा के बारे में न जानता हो। संसार के महाकवियों में उनको सम्मानित स्थान प्राप्त है। उनकी महानतम कृतियों में ‘गुलिस्तां’ और ‘बोस्तां’ शामिल हैं। उनकी रचनाएं स्वाभाविकता, सादगी का प्रतीक हैं और जीवन के सही अर्थ का अनुभव कराती हैं।
शेख सादी को उमर खय्याम एवं खलील जिब्रान से भी अधिक श्रेष्ठ माना जाता है। उनकी लेखनी विश्व में संभवतः सर्वाधिक शक्तिशाली रही है। उनकी प्रतिभा ने जादू का-सा काम किया है। ओज और माधुर्य का अद्भुत समन्वय उनके साहित्य में स्पष्ट है। एक स्थान पर उन्होंने लिखा है: “शहद बेचने वाले की आवाज इतनी मीठी थी कि लोगों के दिल अपने आप उसकी तरफ खिंचते चले जाते थे और खरीदने वाले मक्खियों की तरह उसके इर्द-गिर्द जमा थे। अगर वह जहर भी बेचता, तो शायद लोग उसके हाथ से शहद समझकर खा जाते।”
शेख मसलिदददीन सादी का जन्म 1213 ई. को शिराज (इरान) में हुआ था। सन् 1226 में वह कई देशों की यात्रा पर निकले। संभवतः वह भारत भी आए थे, क्योंकि उनके सोमनाथ मंदिर देखे जाने के प्रमाण मिले हैं। वह 79 वर्षों तक जीवित रहे। वह कहते थे … “जमीन वालों पर जुल्म न कर, नहीं तो लोगों की बदुआएं आसमान तक जा पहुंचेंगी।” विश्व साहित्य में सादी का नाम अमर रहेगा।