Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Shahro ka Vatavaran”, “शहरों का वातावरण” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
शहरों का वातावरण
Shahro ka Vatavaran
आज का शहरी वातावरण दमघोंटू प्रतीत होता है। शहरों में बाहरी चमक-दमक तो बहुत है, पर यहाँ के वातावरण में खुलेपन का अभाव है। यहाँ हमें अपना दम घुटता हुआ प्रतीत होता है। इस प्रकार का वातावरण क्यों बना है। इस पर विचार करना आवश्यक हो गया है।
शहर कंकरीट के जंगल बनकर रह गए हैं। यहाँ से हरियाली गायब होती जा रही है। लोगों ने तो मुंबई के समुद्री इलाके को भी नही बख्शा है। बस चारों ओर ऊँची-ऊँची इमारतें खड़ी करने की होड़ मची हुई है। शहरों में इतना शोर है कि कुछ भी स्पष्ट सुनाई नहीं पड़ता। मशीनों का शोर, संगीत का कानफोडू शोर, प्रेशर हार्नों का शोर सभी जगह शोर ही शोर है।
शहरों में सांस लेने तक के लिए स्वच्छ वायु नहीं है। प्रदुषण के विषैले धुएँ ने शहरों को बुरी तरह जकड़ रखा है। इससे बिमारियाँ निरंतर बढ़ती जा रही हैं। लोग खुली हवा में साँस लेने के लिए तरस गए हैं। साँस के रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। हर वक्त, हर जगह दम घुटता सा लगता है। इसके बावजूद गाँवों से लोगों का शहरों की ओर पलायन जारी है। शहरों के वातावरण को सुधारना आवश्यक हो गया है।