Hindi Essay on “Khudiram Bose” , ”खुदीराम बोस” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
खुदीराम बोस
Khudiram Bose
खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 को मिदनापुर जिले के बहुवेनी गांव (बंगाल) में हुआ था। खुदीराम जब छह वर्ष के थे तब उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी। ऐसे में उनकी बड़ी बहन अनुरूपा देवी तथा बहनोई अमृतलाल ने खुदीराम का पालन-पोषण किया।
जब बालक खुदीराम आठ वर्ष के थे तभी उनके मन में विचार आया-भारत मेरा देश है। बंकिमचंद के ‘वंदे मातरम’ नामक राष्ट्रीय और ‘आनंदमठ’ नामक उपन्यास से खुदीराम बहुत प्रभावित हुए। वे ‘वंदे मातरम’ के प्रसार-कार्य में जुट गए।
एक ओर ‘वंदे मातरम’ का घोष होने लगा, दूसरी ओर दमन की नीति शुरू हो गई। अंतत: ‘वंदे मातरम’ का घोष करना ‘राजद्रोह’ घोषित कर दिया गया।
उन दिनों किंज्स फोर्ड नाम का अंग्रेज मजिस्टे्रट था। उसने कई निर्दोष भारतीयों को कठोर सजा दी थी। सन 1908 की बात है। क्रंातिकारियों ने किंज्स फोर्ड की हत्या की योजना बनाई। हत्या को अंजाम देने के लिए खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी सामने आए। 30 अप्रैल 1908 की घटना है। रात का समय था। खुदीराम और प्रफुल्ल चाकी घात लगाए बैठे रहे। तभी किंज्स फोर्ड के बंगले से एक घोड़ागाड़ी निकली। गाड़ी पास आते ही प्रफुल्ल को भाग जाने का संकेत करते हुए खुदीराम ने बम फेंका। एक धमाके के साथ विस्फोट हुआ। संयोग से जिस गाड़ी में बम फेंका गया, उसमें किंज्स फोर्ड नहीं था। उसमें उसके अतिथि थे। सभी की मृत्यु हो गई थी।
बम फेंकने के बाद खुदीराम भी भाग निकले। घटना के तीसरे दिन खुदीराम के सहयोगी प्रफुल्ल चाकी ने पुलिस द्वारा पकड़े जाने के भय से पिस्टल से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। प्रफुल्ल जीते-जी अपने शरीर का स्पर्श अंग्रेजों को करने देना नहीं चाहते थे। दूसरी ओर, खुफिया तंत्र की मदद से खुदीराम बोस गिरफ्तार कर लिए गए। उन पर मुकदमा चलाया गया और अंतत: उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई।
19 अगस्त 1908 को सुबह छह बजे अत्याचारी अंग्रेज सरकार द्वारा खुदीराम बोस को फांसी दे दी गई। ‘वंदे मातरम’ के उदघोष के साथ भारत मता का एक और लाडला अपने प्राण न्यौछावर कर शहीद हो गया।