Hamara Desh Bharat “हमारा देश भारत” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 12 Students.
हमारा देश भारत
Hamara Desh Bharat
हमारा देश भारत अति प्राचीन और महान है। यहाँ अनेक अनूठी विविधताएँ विदयमान हैं। यहाँ हिमालय-विन्ध्याचल जैसे ऊँचे-ऊँचे पर्वत हैं; गंगा-यमुना जैसी पावन नदियाँ हैं, अनेक घाटियाँ, मैदान और कछार हैं। इस देश में अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है। भारत को राम, कृष्ण, बुद्ध का देश कहा जाता है। गाँधी, सुभाष, पटेल जैसे महापुरुषों ने इस देश को धन्य किया।
इस देश की संस्कृति अत्यंत समृद्धशाली और गौरवशाली रही है। धन-धान्य से भी यह देश इतना समृद्ध था कि पहले इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था। आगरा का ताजमहल, कोणार्क का सूर्य मंदिर, अजंता एलोरा की गुफाएँ, जगन्नाथ पुरी और सोमनाथ के मंदिर इस देश के प्राचीन वैभव, कला, शिल्प और संस्कृति के जीवंत प्रमाण हैं।
आज भी भारत के वेद, उपनिषद, महाभारत, रामायण जैसे महान ग्रंथ दुनिया भर में प्रशंसित, उपादेय और प्रेरणादायक हैं। महावीर, चाणक्य, आर्यभट्ट, भास्कर जैसे विचारक इसी महान देश में जन्मे हैं।
विविधता में एकता ही इस देश की अनूठी विशेषता है। सदियों से भारत में अनेक सम्प्रदाय, पंथ, जातियों और संस्कृतियों के लोग एक साथ भाई-चारे के साथ रहते आये हैं। मराठी, बंगाली, पंजाबी, हिन्दी, मलयालम, तेलुगू, कन्नड़, तमिल जैसी भाषाएँ इस देश में प्रचलित हैं। हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, पारसी आदि धर्मों के लोग यहाँ हिल-मिलकर रहते हैं।
अंग्रेजों की दासता से मुक्ति दिलाने में देश के सभी धर्म, जाति, भाषा के लोगों ने कंधे से कंधे मिलाकर संघर्ष किया और 15 अगस्त 1947 को देश को आजाद कराया। जब 26 जनवरी 1950 से भारत का संविधान लागू हुआ, तब से सभी धर्म, जाति, भाषा के लोग इस देश की सत्ता और सेवा; विकास और उत्थान में बराबर के भागीदार रहे हैं।
उत्तर से दक्षिण तक और पूर्व से पश्चिम तक हमारे देश में भौगोलिक, वानस्पतिक, जन्तवीय, मौसमी विविधता है। तीज त्योहारों में विविधता है; रीति-रिवाजों में विविधता है। मुम्बई, कलकत्ता जैसे महानगरों से लेकर मड़ई जैसे छोटे से गाँवों तक की जीवन शैली में विविधता भी व्याप्त है। लेकिन इस सबके बावजूद भी हम अपने देश को बहुत प्यार करते हैं। देश की आन-बान और शान के लिए मर-मिटने को तैयार रहते हैं।
आज हमारा देश अनेक सामाजिक कुरीतियों की जकड़ में है। अशिक्षा, आतंकवाद, अलगाववाद, अकर्मण्यता, आबादी विस्फोट, अनुशासनहीनता, गरीबी, भ्रष्टाचार, जातिवाद, दहेज प्रथा, वैमनस्यता जैसी बुराइयाँ देश की एकता, अखंडता, समृद्धि और संस्कृति को खोखला कर रहीं हैं।
आज की यह प्रथम जरूरत है कि हम सब मिलकर कुछ ऐसे प्रयास करें कि इन बुराइयों का निर्मूल नाश हो और देश पुनः प्राचीन गौरव को प्राप्त कर सके।