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Charitra Nirman main Khel-Kood ki Bhumika “चरित्र निर्माण में खेल-कूद की भूमिका” Hindi Essay, Nibandh 500 Words for Class 10, 12 Students.

चरित्र निर्माण में खेल-कूद की भूमिका

Charitra Nirman main Khel-Kood ki Bhumika

वाटरलू के मैदान में नेपोलियन को पराजित करने के बाद वेलिंगटन के ड्यूक अपने पुराने विद्यालय को देखने एटन गए और उन्होंने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा “वाटरलू के युद्ध को एटन के खेल के मैदान में जीता गया।” इसके द्वारा वे कहना चाहते थे कि अनुशासन का ज्ञान और साहचर्य की मनोवृत्ति, जो उन्होंने इस खेल के मैदान में ग्रहण की थी, वह युद्ध के आयोजन और उसे जीतने में बहुत काम आयी।

एक प्रचलित कहावत है कि जो कोई भी अमेरिकियों के हृदय एवं मस्तिष्क को जानना चाहता है, बेहतर है बेसबॉल सीखे। यह खेल अमेरिकियों के श्रम एवं लगन का घोतक है । जिन्दगी की तुलना क्रिकेट के खेल से की जाती है। खिलाड़ियों का अपने कप्तान की आज्ञाओं का पालन करना आवश्यक है। जिस किसी भी स्थान पर कप्तान ने हमें नियुक्त किया हो, हमारा यह प्रयत्न होना चाहिए कि हम अपने ऊपर कप्तान द्वारा किए गये विश्वास को न्यायसंगत बनाएँ। कोई भी स्थान साधारण नहीं होता जब तक हम अपने उदासीन क्रिया से उसे ऐसा न बना दें। जब हम बोल्ड हो जाएँ तो हमें उस मौके को विनम्रता और मुस्कुराते हुए स्वीकार कर लेना चाहिए। हमें जिन्दगी के खेल में अपना सब कुछ दांव पर लगा देना चाहिए और जब बुलावा आ जाए तो बिना किसी अफसोस के वापस पैवेलियन में चले जाना चाहिए।

अगर खेलकूद हमें कुछ सिखाता है तो वह है, साहस, धैर्य और सहनशक्ति, जिससे दुःख और जिन्दगी की कठिनाइयों का सामना किया जा सके। आँसू और मुस्कान, सिसकी और सूँ-सूँ, आनन्द और हँसी सभी जीवन की अनिवार्य संगतें हैं और इसे सहज में पार करना चाहिए। जिन्दगी अच्छे और बुरे धागों का सम्मिश्रण है। “खेलते रहो, खेलते रहो” यह एक महान अंग्रेजी कथन है। ईमानदारी खिलाड़ी का पहना श्वास होता है। उसमें कोई धोखेबाजी न हो, कोई कपट न हो, कोई गुप्त सौदा न हो।

विद्यालयों, महाविद्यालयों यहाँ तक कि विश्वविद्यालयों में मैच घृणित सौदों द्वारा खेले और जीते जाते हैं। बाहरी खिलाड़ियों को खिलाने का मामला भी देखने को मिलता है। किन्तु जब इसका पता चल जाता है तो लड़ाई, मार-पीट आदि का सहारा लिया जाता है।

खेल खेलने के लिए हमें अभी बहुत आगे जाना है। खिलाड़ी का दूसरा नाम होता है; ईमानदारी, एकता, निष्ठा और वफादारी। इस प्रकार एक अच्छा खिलाड़ी आदर्श नागरिक होता है। वह देश का प्रतिनिधित्त्व करने के लिए सही व्यक्ति होता है। यदि हमारे राजनीतिज्ञों के पास उनके सद्गुणो का एक अंश भी हो तो देश भ्रष्टाचार, घूसखोरी और सभी गलत रोगों से मुक्त हो जायेगा। भविष्य के विधायकों के लिए खेलकूद एक आवश्यक योग्यता होनी चाहिए। यही रास्ता हमारे देश को सही अर्थ में मुक्ति दिलायेगा।

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