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Archive by category "Languages" (Page 133)
स्वाध्याय के लाभ मस्तिष्क के लिए स्वाध्याय की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिए व्यायाम की। साथ इस लोक की चिंता-मणि हैं। उनके अध्ययन से सब कुचिताएँ मिट जाती हैं। संशय-पिशाच भाग जाते हैं और मन में सद्भाव जागृत होकर परम शांति प्राप्त होती है। स्वाध्याय से समय का सदुपयोग होता है, ज्ञानवर्धन की सामग्री उपलब्ध होती है तथा मनोरंजन प्राप्त होता है। प्रकृति की अपेक्षा स्वाध्याय के कारण...
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November 17, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सबै दिन जात न एक समान परिवर्तन सृष्टि का नियम है। जीवन में आज दुख है तो कल सुख अवश्य मिलेगा। धूप के साथ छाया अवश्य होगी। ओस से भीगे पत्ते कुम्हला जाते हैं, कलियाँ फूल बनती हैं और फूल मुरझाकर झड़ जाते हैं। पतझड़ और वसंत एक साथ नहीं आते। जो बालक है कल जवान होगा और फिर बूढ़ा होकर मृत्यु को प्राप्त करेगा। जीवन में सुख-दुख, उतार-चढ़ाव, आना-जाना लगा...
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November 17, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साधना के बिना सिद्धि कहाँ जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए साधना बहुत आवश्यक है। परिश्रम करने से ही कार्य सिद्ध होते हैं, इच्छा मात्र से नहीं। पशु सोते हुए सिंह के मुँह में प्रवेश नहीं करते। यदि कोई व्यक्ति संगीत के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना चाहता है तो उसे निरंतर स्वर-साधना करनी पडेगी, कोई व्यक्ति विद्वान बनने का इच्छुक है। तो उसे स्वाध्याय तथा...
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November 17, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अपनी करनी पार उतरनी Apni Karni Paar Utarni मनुष्य-जीवन में उसके कर्मों का बड़ा महत्त्व है। मनुष्य की गति उसके कर्मों के अनुसार होती है। जो जैसा बोता है, वैसा ही काटता है। गीता के अनुसार जो मनुष्य जैसे कर्म करता है, उसका उसे वैसा ही फल भोगना पड़ता है। बबूल का वृक्ष बो कर यदि कोई व्यक्ति इस बात की प्रतीक्षा करे कि उस पर आम के फल लगेंगे तो...
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November 17, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जैसी संगत, वैसी रंगत Jaisi sangat waisi rangat संगति का जीवन में बड़ा महत्त्व है। मनुष्य जैसी संगति करता है-उससे वह अवश्य प्रभावित होता है। स्वाति की एक बूंद भिन्न-भिन्न संगति पाकर उसके अनुरूप परिवर्तित हो जाती है। केले का संपर्क प्राप्त कर वह कपूर, सीपी की संगति प्राप्त कर वह मोती तथा साँप के मुँह में पड़कर वह विष बन जाती है। बुद्धिमानों की संगति करने पर मनुष्य बुद्धिमान हो...
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November 17, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो Purush ho, Purusharth karo पुरुष होने के नाते पुरुषार्थ करना मनुष्य का परम धर्म है। पुरुषार्थ के बिना मनुष्य अपने स्वार्थ की सिदधि भी नहीं कर सकता। जीवन में सभी कार्य पुरुषार्थ से ही सिद्ध होते हैं। सोते हुए सिंह के मुँह में पशु स्वयं नहीं आ गिरते। संसार के किसी भी व्यक्ति अथवा राष्ट्र ने यदि उन्नति की है तो उसके मूल में उसका पुरुषार्थ रहा...
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November 17, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
नैतिक शिक्षा की आवश्यकता Naitik Shiksha ki Aavashyakata नैतिक शिक्षा का अर्थ है-ऐसी शिक्षा जो मनुष्य को उचित-अनुचित का विवेक प्रदान कर नीति सम्मत आचरण करने। की प्रेरणा दे। इस शिक्षा का उद्देश्य मानव को सद्व्यवहार, सदाचार का आधार प्रदान कर उसे मन और आत्मा की उज्ज्वलता प्रदान करना है। यह शिक्षा मानव को जीवन की सही दृष्टि से देखने की प्रेरणा देती है। यह व्यक्ति को संसार के व्यर्थ के...
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November 17, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
एकता में बल है Ekta mein bal hai मिलकर कार्य करने को एकता कहा जाता है। सामूहिक बल में शक्ति होती है। मिलकर कार्य करने से हमारी शक्ति कई गुणा बढ़ जाती है। लक्ष्य की तरफ बढ़ते कदम जब डगमगाने लगते है तो एकता का भाव उसे लक्ष्य की तरफ बढ़ाता है। साथ काम करने से कार्य की गति बढ़ जाती है। इतिहास गवाह है कि जब-जब एकता का भाव खंडित...
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November 17, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment