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Hindi Essay on “Tyoharo ka Jeevan mein Mahatav” , ”त्यौहारों का जीवन में महत्व” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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त्यौहारों का जीवन में महत्व त्यौहार समय-समय पर आकर हमारे जीवन में नई चेतना, नई स्फूर्ति, उमंग तथा सामूहिक चेतना जगाकर हमारे जीवन को सही दिशा में प्रवृत करते हैं। ये किसी राष्ट्र एंव जाति-वर्ग की सामूहिक चेतना को उजागर करने वाले जीवित तत्व के रूप में प्रकट हुआ करते हैं। कोई राष्ट्र त्यौहारों के माध्यम से अपने सामूहिक आनंद को उजागर किया करते हैं। व्यक्ति का मन आनंद तथा मौजप्रिय...
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Hindi Essay on “Apne Aap Par Vishvas” , ”स्वंय पर विश्वास” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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स्वंय पर विश्वास संस्कूत में कहा गया है कि मत ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण है ‘मन एंव मनुष्याणां कारण बंधा न मोक्ष्यों।’ मन की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है। मन ही व्यक्ति को सांसारिक बंधनों से बांधता है, मन ही उसे अन बंधनों से छुटकारा दिलाता है। मन ही मन उसे अनेक प्रकार की बुराईयों की ओर प्रवृत्त करता है, तो मन ही उसे अज्ञान से ज्ञान की...
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Hindi Essay on “Jo Hua Acche Hua” , ”जो हुआ अच्छा हुआ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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जो हुआ अच्छा हुआ अक्सर लोगों को कहते सुना है कि अपना मान-सम्मान, अपना यश-अपयश, अपना सुख-दुख और आनि लाभ आदि सभी कुछ मनुष्य के अपने हाथों ही रहा करता है। एक दृष्टि से यह मान्यता काो सत्य एंव उचित भी कहा जा सकता है। वह इस प्रकार कि मनुष्य अच्छे-बुरे जैसे भी कर्म किया करता है, उसी प्रकार से उसे हानि-लाभ तो उठाने ही पड़ते हैं। उन्हें जान-सुनकर विश्व का...
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Hindi Essay on “Satya Ki Shakti” , ”सत्य की शक्ति ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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सत्य की शक्ति Satya ki Shakti या सत्यमेव जयते Satyamev Jayate निबंध नंबर :01   ‘सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप। जाके हिरदय सांच है, ताकि हिरदय आप।।’ संत कबीर द्वाारा सचे गए इस सूक्ति परक दोहे का सीधा और सरल अर्थ इस प्रकार किया जा सकता है कि इस नाशवान और तरह-तरह की बुराईयों से भरे विश्व में सच बोलना सबसे बड़ी सहज-सरल तपस्या है। सत्य बोलने, सच्चा व्यवहार करने सत्य...
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Hindi Essay on “Aatamnirbhar” , ”आत्मनिर्भर” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

आत्मनिर्भर या स्वावलंबी   ‘खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर सं पहले खुदा बंदे से ये पूछे- बता तेरी रजा क्या है?’ शायर की उपर्युक्त पंक्तियां स्वावलंबी मनुष्य के बारे में है। जिनका आशय है कि स्वावलंबी या आत्मनिर्भर व्यक्तियों के सामने ईश्वर को भी झुकना पड़ता है। ऐसे व्यक्तियों का भाज्य लिखने से पहले ईश्वर को भी उनसे पूछना पड़ता है ‘बता तेरी रजा (इच्छा) क्या है।’ परमुखापेक्षी...
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Hindi Essay on “Karat-Karat Abhyas ke Jadmati hot Sujaan” , ”करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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  करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान Karat Karat Abhyas ke Jadmati hot Sujaan Best 8 Essay on ” Karat Karat Abhyas ke Jadmati hot Sujaan” निबंध नंबर : 01  कविवर वृंद के रचे दोहे की एक पंक्ति वास्तव में निरंतर परिश्रम का महत्व बताने वाली है। साथ ही निरंतर परिश्रम करने वाला व्यक्ति के लिए अनिवार्य सफलता प्रदान करने वाली है दोहे की यह पंक्ति। पूरा दोहा इस प्रकार है...
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Hindi Essay on “Yadi mein Pradhan Mantri Hota” , ” यदि मैं प्रधानमंत्री होता” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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यदि मैं प्रधानमंत्री होता Yadi mein Pradhan Mantri Hota Best 5 Essays on ” Yadi Mein Pradhan Mantri Hota” निबंध नंबर :-01  मानव संभवत : महत्वकांक्षी प्राणी है। अपने भविष्य के बारे में वह अनेक प्रकार के सपने देखा करता है तथा कल्पना की उड़ान में खोया रहता है। कभी-कभी मेरे मस्तिष्क में भी एक अभिलाषा होती है -यदि में देश का प्रधानमंत्री होता। पर यह अकांक्षा आकाश के तारे तोडऩे...
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Hindi Essay on “Yadi mein Shiksha Mantri Hota” , ” यदि मैं शिक्षामंत्री होता” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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यदि मैं शिक्षामंत्री होता कल्पना करना और अपने भावी जीवन के लिए मधुर स्वप्न संजोना मानव की सहज प्रवृत्ति है। एक विद्यार्थी होने के कारण जब आज मैं देश में चल रही शिक्षा पद्धिति पर नजर डालता हूँ तो मन खिन्न हो उठता है। मुझे लगता है कि आज देश में जितनी दुर्दशा शिक्षा की हो रही है, उतनी संभवत: किसी अन्य वस्तु की नहीं। लार्ड मैकाले ने भारत में स्वार्थवृत्ति...
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