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Archive by category "Hindi (Sr. Secondary)" (Page 227)
मंहगी शिक्षा की समस्या Mahangi Shiksha ki Samasya भारत में शिक्षा निरंतर मंहगी होती चली जा रही है। अब शिक्षा दो प्रकार की हो गई है- गरीबों की शिक्षा और अमीरों की शिक्षा। गरीब सरकारी रहमोकरम पर छोड़ दिए गए हैं जबकि अमीर अपने धन के बल पर महंगी शिक्षा पाने में सफल हो जाते हैं। अब शिक्षा एक व्यवसाय का रूप ले चुकी है। इसमें केवल धन...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जातिवाद का विष Jativad ka Vish हमारे देश में विगत एक दशक से जातीयता का विष बुरी तरह से व्याप्त होता चला जा रहा है। वैसे तो जातीयता की भावना बहुत पुरानी है, पर राजनीति ने इसको एक नई धार दे दी है। वोटों की राजनीति जातीयता पर आधारित रहती है। सभी पार्टियाँ मंच पर तो आदर्शवादिता की दुहाई देती हैं, पर उनके चिंतन में जातीयता घुसी होती है।...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बंधुआ मजदूर की समस्या Badhua Majdoor ki Samasya निबंध नंबर :- 01 बंधुआ मजदूर वे होते हैं जिन्हें कोई व्यक्ति अपना काम करने के लिए विवश किए रहता है। इन व्यक्तियों का अपना स्वतंत्र जीवन नहीं होता। इन मजदूरों ने अपने मालिक से थोड़ा बहुत कर्ज लिया होता हैं और मालिक इन्हें बंधुआ मजदूर बना लेता है और इनसे मनचाहा काम करवाता है। कई बार तो किसी व्यक्ति की कई...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बाल श्रमिक की समस्या Bal Shramik ki Samasya बाल श्रमिक की समस्या अत्यंत विकट है। यद्यपि कानून बनाकर बाल-मजदूरी पर रोक लगा दी गई है, पर व्यवहार में कुछ और ही हो रहा है। आज भी ढाबों पर, घरेलू उद्योगों में इन बाल श्रमिकों को देखा जा सकता है। इन बच्चों से इनका बचपन छीना जा रहा है। यह आयु उनके पढ़ने-लिखने की है, पर उन्हें काम पर जाने...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
शहरों का वातावरण Shahro ka Vatavaran आज का शहरी वातावरण दमघोंटू प्रतीत होता है। शहरों में बाहरी चमक-दमक तो बहुत है, पर यहाँ के वातावरण में खुलेपन का अभाव है। यहाँ हमें अपना दम घुटता हुआ प्रतीत होता है। इस प्रकार का वातावरण क्यों बना है। इस पर विचार करना आवश्यक हो गया है। शहर कंकरीट के जंगल बनकर रह गए हैं। यहाँ से हरियाली गायब होती जा रही...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
किसानो में आत्महत्या की समस्या Kisano me Aatmhatya ki Samasya भारत के कृषकों में आत्महत्या की प्रवृति निरंतर बढ़ती जा रही है, विशेषकर महाराष्ट्र और विदर्भ के किसानों में। विगत एक दशक में भारत ने भले ही अन्य क्षेत्रों में प्रगति की हो, पर कृषि के क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली है। आज भी किसानों को बैकों और साहूकारों से कर्ज लेना पड़ता है जो चुकाने का नाम...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
पलायन की समस्या Palayan ki Samasya आज गाँवों तथा छोटे नगरों में यह प्रवृति पनपती जा रही है कि महानगर की ओर चला जाए। अब लोगों का गाँवों के जीवन के प्रति कोई लगाव नहीं रह गया है। गाँव के लोगों का शहरी जीवन लुभाता है। अब उनका मन भी शहरी सुख-सुविधाएँ भोगने को उतावला हो रहा है। हमे इस प्रवृति की तह में जाकर इसके कारणो को जानना-समझना होगा।...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बस्ते का बढ़ते बोझ Baste ka Badhta Bojh वर्तमान समय में विद्यार्थी पर बस्ते का बोझ बढ़ता चला जा रहा है। अब यह बोझ उनकी सहनशक्ति से बाहर हो गया है। बस्ते के बढ़ते बोझ ने बालक के स्वाभाविक विकास पर बड़ा प्रतिकूल प्रभाव डाला है। पुस्तको की संख्या इतनी होती जा रही है कि उनको सँभाल पाना उनके लिए कठिन हो गया है। यद्यपि राष्ट्रीय शैक्षिक एवं अनुसंधान...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages8 Comments