Shiksha ka Adhikar “शिक्षा का अधिकार” Hindi Essay 500 Words for Class 10, 12 and Higher Classes Students.
शिक्षा का अधिकार
Shiksha ka Adhikar
शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाए जाने के लिए वर्षों बाद संविधान में संशोधन किया गया। इसकी अपनी महत्वपूर्ण कहानी है।
बच्चों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून 2009, प्रत्येक बच्चे के लिए गुणवत्ता युक्त प्रारम्भिक शिक्षा सुनिश्चत करता है।
प्रमुख बिन्दु:
- 6 से 14 वर्ष की आयु-वर्ग के प्रत्येक बच्चे को उसके निकटतम विद्यालय में निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा प्राप्त होगी।
- प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्र अथवा उसके माता-पिता को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से वर्दी, पुस्तकों, दोपहर के भोजन, अथवा परिवहन शुल्क के लिए कोई धन राशि विद्यालय को नहीं देनी होगी।
- जब तक छात्र की प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त नहीं हो जाती, सरकार उसके लिए निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था करेगी।
- सभी विद्यालयों को आधारभूत संरचना तथा अध्यापकीय मानदण्डों को पूरा करना होगा। विद्यालयों को प्राथमिक स्तर पर, प्रति 60 छात्रों पर कम से कम दो प्रशिक्षित अध्यापकों की व्यवस्था करनी होगी।
- किसी भी छात्र को कक्षा 8 की बोर्ड परीक्षा से पूर्व निष्कासित नहीं किया जाएगा।
- सभी सरकारी, निजी तथा अल्पसंख्यक विद्यालयों में भी निर्धन छात्रों हेतु 25 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की जाएगी।
- विद्यालय प्रबन्धन समितियों को छात्रों के माता-पिता के प्रतिनिधियों को भी विद्यालय संचालन प्रक्रियाओं में सम्मिलित करना होगा।
ऐसे लगभग 92 लाख बच्चे, जिन्होंने विद्यालय छोड दिया अथवा जो कभी किसी शिक्षा संस्था में गए ही नहीं, प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करेंगे तथा स्थानीय राज्य सरकारों को 6-14 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों का विद्यालय जाना सुनिश्चित करना होगा।
कानून के अनुसार निजी विद्यालयों तथा व्यक्तिगत शिक्षण संस्थानों को भी 25 प्रतिशत स्थान समाज के कमज़ोर वर्गों के लिए आरक्षित करना होगा। केन्द्र तथा राज्य इस कानून के वित्तीय भार को 55 45 के अनुपात में वहन करने हेतु सहमत हैं। वित्त आयोग इस कानून को प्रतिवर्तित करने हेतु राज्यों को 25000 करोड़ की धनराशि दे चुका है। केन्द्र ने भी 15000 करोड़ की अनुदान राशि, इस कानून हेतु वर्ष 2010-2011 की अवधि के लिए राज्यों को देना स्वीकार किया है।
विद्यालय प्रबन्धन समितियों अथवा स्थानीय अधिकारी, शिक्षण संस्थाओं की परिधि के बाहर 6 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को चिन्हित करने की व्यवस्था करेंगे तथा विशेष प्रशिक्षण देने के बाद उन्हें, उनकी आयु के अनुसार कक्षाओं में प्रवेश देंगे। कानून के अनुसार विद्यालयों को न्यूनतम शिक्षण सुविधाओं यथा शिक्षित अध्यापक, खेल का मैदान तथा अन्य आधारभूत संरचनाओं की व्यवस्था करनी होगी।
25 प्रतिशत आरक्षण की सुनिशितता को स्पष्ट करने हेतु विद्यालयों को कमज़ोर एवं पिछड़ा वर्ग से लिए गए छात्रों की सूची देनी होगी तथा साथ ही यह भी सुनिश्चत करना होगा कि विभिन्नता को सन्तुलित कर लिया गया है।
नियमों में यह पहले से ही कहा जा चुका है कि राज्य सरकारें अपने क्षेत्रों में सर्वेक्षण कराएंगी तथा आस-पास के विद्यालयों के मानचित्रण द्वारा यह सुनिश्चित करेंगी कि सभी बच्चे विद्यालय जा रहे हैं।
राज्य सरकारों तथा स्थानीय अधिकारियों को प्रत्येक एक किमी. के घेरे में एक प्राथमिक विद्यालय की व्यवस्था करनी होगी। कक्षा VI से VII तक की शिक्षा हेतु प्रत्येक 3 किमी. के घेरे में एक विद्यालय की व्यवस्था करनी होगी। इतनी छोटी परिधि में विद्यालय की व्यवस्था न होने पर सरकार को छात्रों हेतु शुल्क परिवहन अथवा रहने के लिए स्थान की सुविधा उपलब्ध करानी होगी।
बाधाएँ:
- इस कानून को व्यवहार में लाने हेतु आगामी पाँच वर्षों में 78 लाख करोड़ की आवश्यकता होगी।
- भारत पहले से ही 510,000 अध्यापकों की कमी का सामना कर रहा है।
- सरकार, निःशुल्क शिक्षा प्रदान न किये जाने पर वाद कर सकती है।
- देश भर में 120,000 प्राथमिक विद्यालय केवल एक अध्यापक के आधार पर चल रहे हैं।
- लगभग 50 प्रतिशत छात्र आठवीं कक्षा के पूर्व ही विद्यालय छोड़ देते हैं।