Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Daan Punya” , ”दान-पुण्य” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
दान-पुण्य
दान करना एक अच्छा कार्य है। दान-पुण्य वाली भावना वाला व्यक्ति मानवता का सच्चा प्रेमी होता है। मुसीबत में पड़े व्यक्ति की सहायता करना एक दैविक गुण है। दुनिया में अनगिनत लोग द:खी हैं। दुनिया में अरबों लोग ऐसे हैं जिन्हें दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता। जो लोग अमीर हैं उन्हें सदा गरीबों की सहायता करनी चाहिए। किसी लाचार तथा भूखे की मदद करने से सच्ची खुशी प्राप्त होती है।
दान कई प्रकार से किया जा सकता है। यदि कोई भिखारी हमारे दरवाजे पर खड़ा होता इसे उतना ही देना चाहिए जितना हम आसानी से दे सकें। उसे पैसे देने से पहले देखना चाहिए कि उसकी जरूरतें सही भी हो। नहीं तो दान-पुण्य की भावना का गलत किया जा सकता है। कई बार दान करना अधिक आवश्यक होता है। जब कभी भी प्राकृतिक आपदा जैसे कि तूफान, बाद या भूचाल आदि आ जाएँ तो सभी को दिल खोल कर दान करना चाहिए।
दान सदा सोच समझ कर करना चाहिए। यदि हर भिखारी को बिना सोचे दान दे दिया को समाज में खाली बैठकर खाने वालों की गिनती बहुत बढ़ जाएगी। अपने हाथ पांव इस्तेमाल किए बिना ही हर नुक्कर में हमें कटोरा पकड़े भिखारी नजर आएगा। ऐसे बहुत लोग हैं जो आँखें बंद करके दान कर देते हैं। शारीरिक रूप से स्वस्थ भिखारी ऐसे लोगों -आश्रित हो जाते हैं। वह जीवनयापन करने के लिए काम करने का प्रयास तक नहीं करते। इसलिए यह एक सही सलाह है कि दानशील संस्थाओं को ही दान देना चाहिए।
दान कभी दिखा कर नहीं करना चाहिए। यह खुद को मशहूर करने के लिए नहीं करना चाहिए। ऐसे बहुत से लोग हैं जो दान-पुण्य करके खुद को मशहूर करते हैं। इस प्रकार का दान छोटे दर्जे का कहलाता है। दान करने के पीछे कोई निजी स्वार्थ नहीं होना चाहिए। यह हमारा कर्तव्य है कि हमें इस समाज में रह रहे लोगों का दुःख दूर करने के लिए दान-पुण्य करते रहना चाहिए।