Raudra Ras Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | रौद्र रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

रौद्र रस की परिभाषा Raudra Ras Ki Paribhasha  परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित क्रोध नामक स्थायी भाव का संयोग जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से होता है, तब वहाँ रौद्र रस की निष्पत्ति होती है। विपक्षी अथवा अहितकर व्यक्ति को देखकर मन में उत्पन्न होने वाला प्रतिशोध का भाव उभरने पर रौद्र रस का संचार होता है। स्थायी भाव – क्रोध| आलम्बन विषय – विपक्षी व्यक्ति। आश्रय –...
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Veer Ras Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | वीर रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

वीर रस की परिभाषा  Veer Ras Ki Paribhsha  परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित उत्साह नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव एवं संचारी भाव से संयोग हो जाता है, तब वीर रस की निष्पत्ति होती है। शत्रु, अधर्म या दरिद्रता की बढ़त देखकर उसे परास्त करने के निमित्त कठिन से कठिन प्रयास के प्रति उत्पन्न होने वाले उत्साह के भाव को ही वीर रस का सूचक माना जाता है।...
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Karun Ras Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | करुण रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

करुण रस की परिभाषा Karun Ras Ki Paribhasha परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित शोक नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है, तब करुण रस की निष्पत्ति होती है। प्रिय वस्तु या प्रिय व्यक्ति का अनिष्ट या नाश होने तथा उसे फिर से पाने की आशा न रहने पर हृदय में शोक और दुःख के भाव जागने पर करुण रस की सृष्टि होती...
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Hasya Ras Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran हास्य रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण।

हास्य रस की परिभाषा  परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित हास नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के साथ संयोग होता है, तब हास्य रस की निष्पति होती है। विकृत, अनोखी, विचित्र या असंगत बात को देखकर विनोद का भाव उत्पन्न होता है। स्थायी भाव – हास (विनोद का भाव)। आलम्बन विषय – व्यक्ति या वस्तु की विकृत आकृति या विचित्र वेश । आश्रय – दर्शक...
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Shringar Ras Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran श्रृंगार रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

श्रृंगार रस Shringar Ras परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित ‘रति’ नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है, तब श्रृंगार रस की निष्पत्ति होती है। स्थायी भाव – रति (यौन- प्रेम या दाम्पत्य प्रीति)। आलम्बन विषय – नायक और नायिका। आश्रय – नायक अथवा नायिका अथवा दोनों। उद्दीपन विभाव – रति-भाव उत्पन्न करने वाला वातावरण, जैसे-चाँदनी रात, वसंत ऋतु, कुंज, एकांत स्थान, वेश-भूषा,...
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साहित्य में रस का परिचय, रस के अंग, रस के भाव इत्यादि कर वर्णन करो। Sahitya mein Ras ka Parichay, Ras ke Ang, Ras ke bhav ityadi ka varnan.

रस शब्द का अर्थ है आनंद । साधारण बोलचाल की भाषा में हम कहा करते हैं – बहुत आनंद आया। खूब मजा आया। साहित्य में इसी भाव को गहरे अर्थों में रस कहा गया है। परिभाषा – काव्य को पढ़ने, सुनने या देखने से जो आनंद प्राप्त होता है, उसे रस कहते हैं। काव्य – यहाँ यह जान लेना जरूरी है कि गद्य एवं पद्य दोनों प्रकार के साहित्य को काव्य...
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Hindi me Suchna Lekhan kaise karein, 10 udahran suchna lekhan.

सूचना लेखन Suchna Lekhan सूचना दिनांक:…………. विद्यालय के समस्त छात्र-छात्राओं को सूचित किया जाता है कि आगामी शनिवार 29 अक्टूबर 20XX को विद्यालय में दीवाली मेले का आयोजन किया जायेगा विद्यालय के सभी छात्र-छात्राएँ अपने मित्रों व कक्षाध्यापकों के साथ मेले में पहुँचकर उसका आनंद उठाएँ। आज्ञा से कुलदीप विद्यालय सचिव दिनांक सूचना दिनांक:…………. अ.ब.स इलाके के समस्त स्थानीय लोगों को सूचित किया जाता है कि मैं डॉ. राकेश सिंह अपने...
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Aaj Ka Yuva Sansar “आज का युवा संसार” Hindi Essay, Nibandh, Paragraph for Class 7, 8, 9 and 10 Class Students.

Hindi-Essay-Hindi-Nibandh-Hindi
आज का युवा संसार Aaj Ka Yuva Sansar युवा या युवक अर्थात् शरीर मस्तिष्क आदि से पूरी तरह विकसित, शिक्षा और कार्य कर सकने की शक्ति से सम्पन्न होता है। इसीलिए यौवन में कदम रखते ही उसके जीवन में कई तरह के निर्वाह का दौर आरम्भ हुआ मान लिया जाता है। अतः घर-परिवार, आस-पास का समाज, जाति, देश और सारा राष्ट्र भी उससे कई प्रकार की आशाएँ करने लगता है। जिस...
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