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Posts tagged "हिन्दी निबंध" (Page 6)
हमारे त्योहार (Hamre Tyohar) भारत त्योहारों का देश है। यहाँ भिन्न-भिन्न धर्म एवं जाति संप्रदाय के लोग निवास करते हैं। भारत के त्योहार इसकी संस्कृति की महानता को उजागर करते हैं। ये जीवन में सुखद परिवर्तन लाकर नई चेतना व स्फूर्ति का संचार करते हैं। हमारे त्योहार करूणा, दया, आतिथ्य सत्कार, पारस्परिक प्रेम एवं सद्भावना तथा परोपकार जैसे नैतिक गुणों का विकास करने में सहायक होते हैं। ये अधिकतर ऋतु चक्र...
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October 7, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
हमारा राष्ट्रध्वज – तिरंगा (Hamara Rashtradwaj Tiranga) हर देश का अपना-अपना राष्ट्रीय ध्वज होता है। हमारे भारतवर्ष का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है। इसमें शामिल केसरिया रंग वीरता एवं त्याग का प्रतीक है। सफेद रंग सुख-शांति तथा हरा रंग खुशहाली एवं हरी-भरी फसलों का प्रतीक है। तिरंगे के बीचों-बीच अशोक चक्र है जो हमें सतत् परिश्रम की प्रेरणा देता है। चक्र अशोक स्तंभ से लिया गया है और इसका रंग नीला है।...
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October 7, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अधिकार ही कर्त्तव्य है Adhikar hi Kartvya Hai “सड़कें गंदी हैं नालियाँ रुकी हुई हैं, गन्दा पानी गली-गली में फैल रहा है। बराबर चेतावनी दी जा रही है कि शहर में हैजा फैल रहा है, मलेरिया जोर पकड़ रहा है, शहर को साफ-सुथरा रखो। कटी, खुली चीजें मत खाओ। पर कौन सुनता है?” रामअवध बराबर मन ही मन बड़बड़ा रहा था। दूरभाष पर जगह-जगह, मोहल्ले-मोहल्ले से उसे यह शिकायत सुनाई जा...
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January 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
होली है Holi Hai होली का पुनीत पर्व सर्वश्रेष्ठ ऋतु बसन्त में मनाया जाता है। इस पर्व का हिन्दी कवियों ने विस्तृत वर्णन किया है। कवियों की होली जन-साधारण जैसी हुल्लडबाजी की होली नहीं है। उन्होंने आत्माभिव्यक्ति एवं अपने युग के आहान को भी होली-कविता में व्यक्त किया है। अतएव हिन्दी कविता में होली का वर्णन विविध रूपों में हुआ है। जन-साधारण तो होली रंग, गलाल, केसर, कीचड़ आदि से...
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January 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
समाज और कुप्रथाएँ Samaj Aur Kuprathaye हम जहाँ रहते हैं, जिनके बीच में रहते हैं, वह समाज है। समाज मनुष्यों के मिल-जुलकर रहने का स्थान है। व्यक्ति अकेला नहीं रह सकता। आज व्यक्ति जो भी कुछ है, वह समाज के कारण हैं। तो व्यक्ति है, उसका विकास या पतन है। बिना समाज के व्यक्ति की कल्पना नहीं की की,जा सकती। सभ्यता, संस्कृति, भाषा आदि सब समाज की देन है। समाज...
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January 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
रोजगार का अधिकार Rojgar Ka Adhikar आज रोजगार पाने की समस्या विकट रूप धारण कर चुकी है। लगभग सारी दुनिया इस समस्या से ग्रस्त हैं तीसरी दुनियाँ के देशों का इसका अभिशाप भोगना पड़ रहा है। भारत में इस समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। जनसंख्या में निरंतर तीव्रगति से संवर्द्धन महिलाओं का रोजगार में तेजी से प्रवेश, प्रौद्योगिकी का तेजी से मनुष्य का स्थान लेना, अकाल मृत्यु से...
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January 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
दहेजः एक दानव Dahej Ek Danav शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब दहेज के कारण किसी वधू को जलाया या मारा नहीं गया हो दहेज की माँग अंधस्वार्थ का प्रतीक है और स्त्री-पुरूष की समानता का विरोधी स्वर है। दहेज लेना और देना दोनों ही अपराध माने जाते हैं। सरकार यह कानून बना चुकी है फिर भी सरेआम दहेज लिया जा रहा है और दिया जा रहा है। ताज्जुब तो...
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January 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
स्वास्थ्य ही जीवन है Swasthya Hi Jeevan Hai यदि हम स्वस्थ हैं तो हम एक साधारण भारत के नागरिक भी है। यदि हम अस्वस्थ हैं तो गरीब, अयोग्य और उपेक्षित भी है। किसी देश, जाति, समाज तथा सम्प्रदाय की उन्नति तभी संभव है, जबकि वे स्वस्थ और स्फूर्त है। संसार के इतिहास को उठाकर इस बात का अध्ययन करें कि कौन-सा देश कब उन्नतिशील, स्मृद्धिशाली, सभ्य तथा सुसंस्कृत रहा, तो...
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