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Posts tagged "Hindi Speech" (Page 46)
दैव–दैव आलसी पुकारा Dev-Dev Aalasi Pukara प्रगति के मार्ग का सबसे बड़ा बाधक है-आलस्य। व्यक्ति तन-मन से स्वस्थ, समर्थ और सक्षम होते हुए भी यदि प्रयत्न न करे तो सफल नहीं हो सकता। तन की शिथिलता आलस्य है तो मन की शिथिलता को प्रमाद कहते हैं। आलसी और प्रमादी व्यक्ति को न अपनी असफलता अखरती है और न ही उन्नति पाने का उनमें उत्साह जगता है। न वे कुछ नया सीखना...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जब आवै संतोष धन, सब धन धूरि समान Jab Aave Santosh Dhan Best 4 Hindi Essay on “Jab Aave Santosh Dhan” निबंध नंबर :- 01 ‘हरि अनंत, हरिकथा अनंता’ की भाँति हमारी इच्छाओं का भी कोई अंत नहीं होता। एक इच्छा पूरी होती नहीं कि दूसरी इच्छा पैदा हो जाती है। पूरा जीवन हम इच्छाओं के मूकड-जाल में फंसे रहते हैं। इच्छाओं के इस असीम सागर को पार करना तो किसी...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
गति ही जीवन है Gati Hi Jeevan Hai जिस प्रकार बहता जल ही स्वच्छ रह सकता है उसी प्रकार गतिशील जीवन ही सफल और सार्थक बन सकता है। ठहरा जल दूषित हो जाता है, उसमें काई जम जाती है, रोगाणु पनपने लगते हैं। ठहरे विचारों या परंपराओं का भी कुछ ऐसा ही हश्र होता है। जो समाज या देश समयानुसार अपनी जीवन-शैली, विचार और परंपराओं में परिवर्तन नहीं लाता, वह पिछड़...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साँच को आँच नहीं Saanch ko Aanch Nahi सत्य की सदा विजय होती है-यह वह शाश्वत सत्य है, जो देश-काल की हर कसौटी पर खरा उतरा है। इतिहास साक्षी है कि असत्य जब-जब हावी हुआ है तब-तब अंततः उसे पराजय का मुख देखना पड़ा है। पौराणिक युग के चाहे वे रावण, कंस या कौरव हों अथवा इतिहास के हिटलर, मुसोलिनी या चंगेज़ खान। असत्य पर टिका अंग्रेज़ी-साम्राज्य, जिसके लिए कहा जाता...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जैसा बोओगे, वैसा काटोगे Jaisa Boge, Waisa Katoge कहते हैं न ‘बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से होय’। यह प्रकृति का नियम है, विज्ञान द्वारा प्रमाणित तथ्य है कि प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया तद्नुरूप ही होती है। भगवद् गीता’ का तो आधार ही ‘कर्म-सिद्धांत है।’ हम जैसे कर्म करेंगे वैसा ही फल पाएगा। जिसे लोग सौभाग्य या ‘भगवद्-कृपा’ कहते हैं, वास्तव में वह भी हमारे सुकर्मों का ही सुफल होता...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बीती ताहि बिसार दे Biti Tahi Bisar De बच्चन जी की कविता की एक पंक्ति में सुखमय जीवन का मंत्र निहित है-‘अंधेरी रात है पर दीवा जलाना कब मना है?’ जीवन में कितनी भी निराशाजनक स्थितियों से क्यों न गुजरना पड़े उन्हें भूलकर आगे बढ़ना ही श्रेयस्कर है। जिस प्रकार ठहरा हुआ जल विषाक्त हो जाता है उसी प्रकार अतीत के दुखद क्षणों में डूबे रहने से जीवन नरकतुल्य बन जाता...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जो तोको काँटा बुवै, ताहि बोव तू फूल Jo Toko Kanta Buve, Tahi Bove Tu Phool प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसका जीवन फल-सा सुंदर हो, उसमें आनंद की महक हो। वह नहीं चाहता कि जीवन इतना कष्टों और दुखों से भर जाए कि काँटों की सेज प्रतीत होने लगे। ऐसा जीवन तभी संभव है, जब हम अपने हृदय से घृणा, द्वेष, ईर्ष्या जैसे अवगुण त्यागकर: क्षमा सहनशीलता और परोपकार जैसे...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत ‘मैं समय हूँ, देख मुझको, लौट कर न आऊँगा। कद्र कर मेरी हे मानव! सर्वस्व तुझे दे जाऊँगा।‘ कवि की इन पंक्तियों में ऐसा सत्य निहित है कि व्यक्ति चाहे तो समय का सदुपयोग कर सर्वस्व प्राप्त कर सकता है और उसका दरुपयोग कर जो है, उसे भी खो सकता है। समय की धारा बस आगे ही आगे ही आगे बहती...
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