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De hein to de, “दे हैं तो दे” Hindi motivational moral story of “Peary Chand Mitra” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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दे हैं तो दे De hein to de सुप्रसिद्ध बंग्ला साहित्यकार प्यारी चन्द्र मित्र बड़े मज़ाकिया थे। उनके एक घनिष्ठ मित्र देव नारायण दे के पुत्र के विवाह के सिलसिले में खर्च का हिसाब लगाया जा रहा था। प्यारे बाबू पर ही दे साहब ने खर्च की राशि निश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। प्यारी बाबू ने खूब बड़ा-चढ़ा कर सूची पेश कर दी। देव नारायण बौखला कर बोले, ‘इतने रुपये...
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Bhool Ka Dand, “भूल का दण्ड” Hindi motivational moral story of “Rabindranath Tagore” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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भूल का दण्ड Bhool Ka Dand एक बार अन्तरायण में शान्ति निकेतन के अध्यापकों की सभा थी, गुरूदेव रवीन्द्र नाथ भी उस सभा में आने वाले थे। अध्यापक खुशी में बातचीत कर रहे थे। गुरूदेव सहसा कक्ष में आए और गम्भीर भाव से कहा, “नेपाल बाबू, आजकल आप काम में बहुत भूलें करते हैं। इसके लिए आपको दण्ड लेना होगा।” गुरूदेव को उस ढंग से बातें करते देख सभी एक दूसरे...
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Kasht mere pair, “कष्ट मेरे पैर” Hindi motivational moral story of “Rabindranath Tagore” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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कष्ट मेरे पैर Kasht mere pair  गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर के पैर में एक बार बिच्छू ने काट लिया था। इधर-उधर से जो सुनता दौड़ा चला आता। कई डॉक्टर भी आये लेकिन गुरूदेव शान्त भाव से मुस्करा रहे थे। वेदना का रंचमात्र भी आभास उनके चेहरे पर नहीं था। उनसे जब पूछा गया, “गुरूदेव आपको क्या कष्ट नहीं है ?” “कष्ट मेरे पैर को है, मुझे नहीं।” सहज उत्तर था।
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Mere Bade Bhaii, “मेरे बड़े भाई” Hindi motivational moral story of “Rabindranath Tagore” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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मेरे बड़े भाई Mere Bade Bhai एक बार चीन यात्रा के दौरान गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर की आम खाने की बहुत इच्छा हुई। मेहमानों ने आम मंगाये तो गुरूदेव बड़ी अभिलाषा से खाने बैठ गये। पर आमों में रेशे बहुत थे और उन्हें चाकू से काटकर खाना भी मुश्किल हो रहा था। गुरूदेव आमों की ढेरी के सामने करबद्ध नमस्कार कर बैठ गए। जब वहाँ उपस्थित लोगों ने उनसे पूछा-“गुरूदेव, यह...
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Thali, “थाली” Hindi motivational moral story of “Santram” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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थाली Thali संतराम (बी०ए०) गवर्नमेंट कालेज, लाहौर में बी०ए० के छात्र थे। एक दिन भोजन कक्ष में भोजन करने बैठे और एक साथी से जानबूझ कर छू गए। वह भी भोजन कर रहा था। बस फिर क्या था ? वह छात्र तो आग-बबूला हो उठा। अपनी थाली वहीं छोड़ते हुए रसोइए से बोला, ‘सांतु, मुझ से छू गया है, मेरी थाली का खर्च इसके नाम लिखना। दुष्ट कहीं का।’ संतराम ने...
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Niruttar, “निरुत्तर” Hindi motivational moral story of “Sampurnanand” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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निरुत्तर Niruttar  सन् 1958 में ज्योतिषियों के अनुसार बहुत बड़ा बवंडर, वज्रपात होने की आशंका थी। इसका सबसे अधिक प्रभाव मकर राशि पर बताया गया था। डॉ० सम्पूर्णानंद ज्योतिष व संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। वह नेहरू जी के पास गए और उन्हें बताया, आपका नाम ‘ज’ शब्द से आरम्भ होता है, इसलिए आपको विशेष पूजा, अनुष्ठान करना चाहिए। जवाहर लाल जी इन बातों को नहीं मानते थे। उन्होंने डॉ० साहब...
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Upmayen, “उपमाएँ” Hindi motivational moral story of “Bedhab Banarasi” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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उपमाएँ Upmayen एक बाद हिन्दी साहित्य सम्मेलन में उपन्यासकार गोस्वामी किशोरी लाल के विषय में बोलते हुए प्रेमचन्द जी ने उन्हें ‘उपन्यास साहित्य का पर्वत’ कहा। इस पर हास्य-व्यंग्य के सुप्रसिद्ध लेखक बेढब बनारसी ने अपने एक अखबारी स्तम्भ में चुटीली टिप्पणी की- “उपन्यास सम्राट ने भौगोलिक उपमा दी है। इसी तरह कहा जा सकता है कि हरिऔध काव्य के जंगल है, राय कृष्णदास कला के टापू और श्री सुमित्रानन्दन पंत...
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Bhookh ka Mahatva, “भूख का महत्त्व” Hindi motivational moral story of “Rahul Sankrityayan” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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भूख का महत्त्व Bhookh ka Mahatva एक बार महापंडित राहुल सांकृत्यायन अपने मित्र के घर गए। मित्र के घर दो अन्य सज्जन भी ठहरे हुए थे। मित्र ने सभी के लिए खिचड़ी बनाई। खिचड़ी सबसे पहले राहुल जी ने खाई। जब अन्य सज्जनों ने खिचड़ी खाई तो ज्ञात हुआ कि खिचड़ी में नमक बिल्कुल भी नहीं है। सभी को इस बात पर आश्चर्य हुआ कि राहुल जी ने बिना नमक वाली...
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