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Rashtrapita Mahatma Ghandi “राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी” Hindi Essay, Paragraph in 1000 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी Rashtrapita Mahatma Ghandi भारतीय संस्कृति की ‘धर्मपरायणता’ अपनी विशेषता है। इसी की आस्था से प्रत्येक भारतीय के अन्तस् में गीता का श्लोक यदा यदा हि धर्मस्य… गूँजता है। अब धरा पर अन्याय होता है, मानव-आत्मा उससे चीत्कार कर उठती ह, तभी प्रभु किसी महापुरुष के रूप में अवतरित होते है। राष्ट्रपिता गांधी जी ऐसे ही महापुरुष के अवतार थे। अपने जीवन-काल में अपने जिस मार्ग का भारतीयों को...
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Rabindranath Thakur “रवीन्द्रनाथ ठाकुर” Hindi Essay, Paragraph in 1000 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

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रवीन्द्रनाथ ठाकुर Rabindranath Thakur भारत की पावन भूमि सदैव ऋषि-महर्षि, कलाकार, साहित्यकार, दर्शन-वेत्ता और युगीन महापुरुषों की जन्म-भूमि रही है। आधुनिक युग में कवीन्द्र रवीन्द्रनाथ का वही स्थान है। जहाँ महात्मा गांधी ने राजनीति को अपना क्षेत्र बनाकर अपने महान् व्यक्तिव से संसार के गर्व का खण्डन किया है वहीं कवीन्द रवीन्द्रनाथ ने गीत साहित्य के रूप में उसे आश्चर्य निमग्न किया है। पं. नेहरू के शब्दों में “भारत के ये...
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Ramdhari Singh Dinkar “रामधारी सिंह दिनकर” Hindi Essay, Paragraph in 800 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

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रामधारी सिंह दिनकर Ramdhari Singh Dinkar   कोई भी साहित्य अपने युग का प्रतिनिधि होता है और साहित्यकार अपने भावों की अभिव्यक्ति उसी के अनुकूल अपनी कृति में करता है। यही कारण है कि प्रत्येक युग के साहित्य तथा उसके रूप-चित्रण में कुछ-न-कुछ अन्तर अवश्य रहता है। बदलती हुई मानवीय विचारधारा के साथ उसके कलेवर में भी परिवर्तन हो जाता है। जब यह बदलती प्रवृत्ति किन्ही सीमित व्यक्तियों तक ही उफन...
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Munshi Premchand “मुंशी प्रेमचन्द” Hindi Essay, Paragraph in 800 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

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मुंशी प्रेमचन्द Munshi Premchand सच्चा साहित्यकार चाहे वह कवि हो या गद्यकार अपने युग का प्रतिनिधि होता है। उस काल की सभी सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और राजनैतिक परिस्थितियों एवं समस्याओं का उसकी कृतियों में पूर्ण विवरण होता है। लेकिन वह अपने कर्म की यहीं इतिश्री नहीं कर देता, उन समस्याओं का हल भी प्रस्तुत करता है, यथार्थ की भूमि पर आदर्श के सहारे जीवन में एक दिव्य ज्योति को छिटकाता है।...
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Bharatendu Harishchandra “भारतेन्दु हरिश्चन्द्र” Hindi Essay, Paragraph in 800 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

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भारतेन्दु हरिश्चन्द्र Bharatendu Harishchandra अंग्रेजों के भारत आगमन से ही जैसे हिन्दी भाषा और साहित्य का पतन प्रारम्भ हो गया था। दीन भारतीय पेट की खातिर अंग्रेजी पढ़ने लगे थे। इससे पूर्व भी उर्दू-फारसी का ही अत्यधिक प्रयोग होता था। एक नवीन भाषा के रूप का प्रयोग अंग्रेजों ने आरम्भ किया, जिसे ‘हिन्दुस्तानी’ कहा जाता था। जो न पूर्णतः उर्दू-फारसी वाला रूप था न हिन्दी का। परन्तु राज-काज हिन्दी में होने...
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Hindi Bhasha par English ka Prabhav “हिन्दी भाषा पर अंग्रेजी का प्रभाव” Hindi Essay, Paragraph in 1000 Words for Class 10, 12 Students.

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हिन्दी भाषा पर अंग्रेजी का प्रभाव Hindi Bhasha par English ka Prabhav मनुष्य स्वभावतः अन्य लोगों से कुछ-न-कुछ सीखने का आकांक्षी होता है। इसके लिए वह उनकी भाषा तथा साहित्य के सम्पर्क में आता है। इस प्रकार वह जहाँ कुछ ग्रहण करता है वहाँ कुछ प्रदान भी करता है। इसके अतिरिक्त जब दो जातियां राजनीति आदि के माध्यम से परस्पर एक-दूसरे के सम्पर्क में आती हैं तब उनकी भाषा तथा साहित्य...
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Meri Priya Pustak – Ramcharitmanas “मेरी प्रिय पुस्तक : रामचरितमानस” Hindi Essay, Paragraph in 800 Words for Class 10, 12 Students.

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मेरी प्रिय पुस्तक : रामचरितमानस Meri Priya Pustak – Ramcharitmanas प्रत्येक युग में मानव हृदय अपने काव्य साहित्य में ही आत्मशान्ति के मूल को खोजता रहा है। रामचरितमानस इस मानव को आत्मशांति की अलग दुनिया में ले जाता है जहाँ शिष्टाचार, सदाचार और सद्व्यवहार को ही सर्वोपरि माना गया है। जहाँ लज्जा मनुष्य का आभूषण बन जाती है, जहाँ आत्मा में झांकने पर परमात्मा साक्षात् दिख जाते हैं। ‘स्वान्तः सुखाय तुलसी...
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Goswami Tulstidas “गोस्वामी तुलसीदास” Hindi Essay, Paragraph in 1200 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

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गोस्वामी तुलसीदास Goswami Tulstidas   “कविता करके तुलसी न लसै, कविता लसी पा तुलसी की कला।” कविता रचने से तुलसीदास धन्य नहीं हुए बल्कि वह कविता धन्य हो गई जिसे अपनी लेखनी से उन्होंने रच दिया। इससे अधिक तुलसी की काव्य-कला के विषय में कुछ कहना आवश्यक नहीं हैं। तुलसी विश्व साहित्य में सर्वश्रेष्ठ रचनाकार के रूप में अपनी पहचान के मुहताज नहीं है। कवि कुल-कुमुद दिवाकर तुलसीदास हिन्दी काव्य-जगत् में...
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