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Posts tagged "Hindi Nibandh" (Page 18)
यदि मैं सीमान्त सिपाही होता Yadi me Border Sipahi Hota निबंध नंबर : 01 प्रस्तावना : भारत विशाल देश है। इसलिए इसका सीमांत भी अधिक विस्तृत है। इसके सीमांत के छोरों में बड़े-बड़े पहाड़, जंगल, मरुस्थल, नगर और सागर आदि हैं। चीन, पाकिस्ताने, बंगलादेश, नेपाल, बर्मा और तिब्बत आदि देशों की भूपटियाँ इसके सीमान्त छोरों पर पड़ती हैं। सीमान्त की महत्ता : सुरक्षा की दृष्टि से सीमांत छोरों की अधिक महत्ता...
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April 11, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
यदि मैं पुलिस अधिकारी होता Yadi mein Police Adhikari Hota निबंध नंबर : 01 प्रस्तावना : वह क्या बनना चाहता है ? यह प्रश्न शैशवकाल से ही हर व्यक्ति के मन में उभर आता है। मेरे मन रूपी आकाश में भी ऐसे ही प्रश्नों ने खूब चक्कर काटे हैं। मैंने तभी से पुलिस अधिकारी बनने का निश्चय कर लिया था। उसका रौबदार चेहरा और शानदार वर्दी हमेशा आकर्षित करती रहती थी;...
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April 11, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages2 Comments
सैनिक की आत्मकथा Sainik Ki Aatma Katha प्रस्तावना : मेरा नाम सुमेर सिंह है। मुरादाबाद के पास मेरा छोटा-सा गाँव है। सिरसी। मेरे पूर्वज शौर्य के प्रतीक थे। बाल्यावस्था से ही उनके शौर्य और बलिदान की कहानियाँ मेरे कानों में पड़ती रही हैं। उनसे विचित्र-सी हिल्लौर मेरे मन में पैदा हो गई। बड़े होने पर मेरी भी इच्छा सैनिक बन कर देश के लिए कुछ करने की हो गई। सेना में...
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April 11, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
चाय की आत्म-कथा Chaye ki Aatma Katha प्रस्तावना : मैं चाय हूँ। आधुनिक पेय पदार्थों में सर्वोत्तम समझी जाती हैं। हर समाज में मेरा सम्मान हैं। आज की सभ्यता की मैं अमर देन हूँ। मैं सर्वत्र व्यापिनी हूँ। मेरे प्रेम में भेदभाव के लिए रंचमात्र भी स्थान नहीं है। मैं सभी को समान स्फूर्ति प्रदान करती हूँ। जीवन में शक्ति और स्फूर्ति संचारित करने के लिए मैं संजीवनी का काम करती...
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April 11, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
पुस्तक की आत्म-कथा Pustak ki Aatma Katha निबन्ध-रूपरेखा प्रस्तावना : पुस्तक मानव की सच्ची साथिन है। यह अपने अक्षय कोश से उसकी ज्ञान पिपासा को शांत करती है। मानव ने उसे जन्म देकर एक अमर निधि प्राप्त कर ली है। इसकी सृष्टि मानव की तपस्या और साधना का फल है। इसीलिए उसने मानव के लिए अपने हृदय के द्वार खोल रखे हैं। उसे ज्ञान-विचारों का सदा दान देती रहती है। जन्म...
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April 11, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
एक विद्यार्थी की आत्म-कथा Ek Vidyarthi ki Aatma Katha जीवन परिचय : आज से 22 वर्ष पूर्व मेरा जन्म एक निर्धन ग्रामीण। परिवार में हुआ था। परिवार में केवल पिता ही थोड़ा-बहुत पढे लिखे थे। घर-गृहस्थी कृषि पर चलती थी। समय और समाज की परिवर्तन स्थिति से उनका शिक्षा के प्रति अनुराग बढ़ गया। फलत: मेरे जन्म के दिन ही मुझे समाज का एक सभ्य एवं शिक्षित प्राणी बनाने का निश्चय...
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April 11, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भिखारी की आत्म-कथा Bhikhari ki Aatma Katha निबंध नंबर : 01 भिखारी का स्वरूप : समाज में तिरस्कृत, जीर्णकाय, थका-माँदा, फटे-पुराने वस्त्रों से शरीर छिपाए, मैं भिखारी हूँ। आज मेरे देश में भिक्षा माँगना एक अपराध बन चुका है। इस पर भी लुके-छुपे जीवन का पहिया उसी गति पर चल रहा है ; किन्तु कभी-कभी अपनी इस अवस्था पर रोना आ जाता है और तत्क्षण कोसने लग जाता हूँ प्रारब्ध को...
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April 11, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
रुपये की आत्म-कथा Rupye ki Aatma Katha विषय प्रवेश : रविवार का दिन था। कार्यालय से छुट्टी थी। मैं लान में बैठा समाचारपत्र देख रहा था। मेरे समीप ही श्रेय बैठा हिसाब का काम कर रहा था। सहसा वह पूछ उठा कि रुपया कैसा होता है बाबा जी? मैं किसी विशेष समाचार को पढ़ने में तल्लीन था। उसकी ओर। ध्यान न दे सका। लेकिन मेरी चुप्पी तीन वर्षीय बच्चे की जिज्ञासा...
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April 11, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
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