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Posts tagged "Hindi Grammar" (Page 3)
उपमा अलंकार Upma Alankar उपमा का अर्थ है (उप + मा – उप-समीप, मा-तौलना) समीप से तौलना । उपमा का सामान्य अर्थ है तुलना करना। परिभाषा – जब काव्य में एक व्यक्ति या वस्तु की गुणों के आधार पर किसी दूसरे व्यक्ति अथवा वस्तु से तुलना की जाये, तो वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। उदाहरण – राधा मुख चंद्र सौ सुंदर । यहाँ पर सुंदरता के गुण के आधार पर...
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अर्थालंकार Arth Alankar जहाँ काव्य में अर्थ के कारण काव्य के सौंदर्य में अभिवृद्धि हो, उसे अर्थालंकार कहते हैं। शब्दालंकार में शब्दों के कारण काव्य में चमत्कार उत्पन्न होता है और अर्थालंकार में अर्थ के कारण। शब्दालंकार में यदि चमत्कार लाने वाले शब्दों के स्थान पर उनके पर्यायवाची शब्द रख दिये जावें, तो चमत्कार नष्ट हो जावेगा, किन्तु अर्थालंकार में जिन शब्दों के माध्यम से अर्थ में चमत्कारिकता आती है, उन...
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
वक्रोक्ति अलंकार Vakrokti Alankar वक्रोक्ति अलंकार तब होता है, जब वक्ता कुछ कहे और सुनने वाला जानबूझकर उसका अन्य अर्थ समझे। इसमे स्वर द्वारा भी अर्थ में विचित्रता उत्पन्न की जाती है। इस आधार पर इसके दो भेद हैं – श्लेष वक्रोक्ति और काकु वक्रोक्ति। श्लेष वक्रोक्ति – जहाँ पर शब्द के अर्थ का दूसरा अर्थ लगाकर व्यंग या हास्य उत्पन्न किया जावे, वहाँ श्लेष वक्रोक्ति अलंकार होता है। जैसे- ‘को...
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
श्लेष अलंकार Salesh Alankar एक ही शब्द में छुपे रहें, कई-कई उनके अर्थ । चिपका हुआ श्लेष है, और नहीं कोई शर्त | श्लेष शब्द का अर्थ है – चिपका हुआ। परिभाषा – जब काव्य में किसी एक शब्द का इस तरह प्रयोग किया जाये कि उसमें अनेक अर्थ हुए हों, तो वहाँ श्लेष अलंकार होता है। जैसे – सुबरन को खोजत फिरैं, कवि व्याभिचारी चोर। यहाँ पर सुबरन का अर्थ...
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July 20, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
यमक अलंकार Yamak Alankar एक ही शब्द प्रयुक्त हो, जब कविता में कई बार। यमक वहाँ कहलायेगा, जहाँ अर्थ बदले बार-बार। परिभाषा – जब काव्य में एक ही शब्द कई बार आये और हर बार उसका अर्थ बदल जाये तो वहाँ पर यमक अलंकार होता है। ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहनवारी, ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाति हैं। कंद मूल भोग करें, कंद मूल भोग करें। तीन नेर खातीं तों,...
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July 19, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अनुप्रास अलंकार Anupras Alankar जहाँ एक ही वर्ण का एक से अधिक बार प्रयोग होता है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। जैसे – प्रति भट कटक कटीले केते काटि-काटि, कालिका सी किलकि कलेऊ देत काल को। यहाँ ‘क’ वर्ण की अनेक बार आवृत्ति से कविता में सौंदर्य की अभिवृद्धि हुई है। अतएव यहाँ अनुप्रास अलंकार है। बाल-बिनोद मोद मन मोह्यो। यहाँ ‘ब’ तथा ‘म’ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार...
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July 19, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अलंकार की परिभाषा Alankar Ki Paribhasha ‘अलंकार’ शब्द अलं + कार से निर्मित हुआ है। अर्थात् अलं (सौंदर्य या शोभा) + कार (वृद्धि करने वाला) – अलंकरोति इति अलंकारं – सौंदर्य की वृद्धि करने वाला। अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है आभूषण। जिस प्रकार स्त्रियों की शोभा आभूषण के द्वारा और भी बढ़ जाती है, उसी प्रकार कविता की शोभा बढ़ाने वाले तत्व को अलंकार कहते हैं। हिन्दी में अलंकारों की...
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July 19, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
वर्णिक छंद Varnik Chhand जिस छंद में वर्णों की संख्या तथा क्रम निश्चित हो, उसे वर्णिक छंद कहते हैं। यहाँ सम वर्णिक छंदों में से कुछ का वर्णन किया जा रहा है। वर्णों की समानता रहने पर भी ये छंद एक दूसरे से रचना में भिन्न होते हैं। जैसे इन्द्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा और उपजाति छंदों में 11 वर्ण होते हैं। इसी तरह वंशस्थ, तोटक और द्रुतविलम्बित छंदों में 12 वर्ण होते हैं,...
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July 19, 2024 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
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