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Hindi Essay on “Sahitya Ke Udeshya” , ” साहित्य का उद्देश्य” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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साहित्य का उद्देश्य Sahitya ka Udeshya  निबंध नंबर :- 01 ‘साहित्य’ शब्द में मानव हित साधन का भाव स्वत: ही अन्तर्हित रहा करता है और यह सोद्दश्य होता है। सृष्टि में कोई भी प्राणी, पर्दााि या अन्य कुछ निरुद्देश्य नहीं है। मानव इस सृष्टि का सर्वोत्कृष्ट प्राणी है। इस मानव ने अपने सतत प्रयत्न और साधना से आज तक जो कुछ भी प्राप्त किया है, उस सबमें कला और सहित्य और...
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Hindi Essay on “Vigyan aur Manav Kalyan” “Vigyan ek Vardan” , ” विज्ञान और मानव-कल्याण या विज्ञान एक वरदान” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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विज्ञान और मानव-कल्याण या विज्ञान एक वरदान  निबंध नंबर :- 01 शास्त्र, साहित्य, कला, सभी प्रकार के ज्ञान-विज्ञान तथा अन्य जो कुछ भी इस विश्व में अपने सूक्ष्म या स्थूल स्वरूप में विद्यमान है, उन सबका एकमात्र एंव अंतिम लक्ष्य मानव-कल्याण या हित-साधन ही है। इससे बाहर या इधर-उधर अन्य कुछ भी नहीं। इससे भटकने वाले, इधर-उधर होने वालीं प्रत्येक उपलब्धि, योजना और प्रक्रिया अपने आपमें निरर्थक और इसलिए त्याज्य है।...
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Hindi Essay on “Acche Swasthya ke Labh” , ” अच्छे स्वास्थ्य के लाभ ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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अच्छा स्वास्थ्य महावरदान या  अच्छे स्वास्थ्य के लाभ  अंग्रेजी में एक कहावत है स्वास्थ्य ही सच्चा धन है। ध्यान से, व्यवहार की दृष्टि से वचिार करने में स्पष्ट हो जाता है कि कहावत में कही गई बात एकदम सत्य है। अच्छे स्वास्थ्य को सच्चा धन या महावरदान मानने में कुछ भी झूठ या अतिशियोक्ति नहीं है। वह इसलिए कि स्वस्थ व्यक्ति ही इस संसार और जीवन में इच्छित कार्य पूरे कर...
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Hindi Essay on “Majhab Nahi Sikhata Aapas me ber Rakhna” , ” मजहब नहीं सिखाता आपास में बैर रखना” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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मजहब नहीं सिखाता आपास में बैर रखना सभी धर्म या मजहब महान मानवीय मूल्यों को महत्व देते हैं। किसी भी मजहब या धर्म का संबंध व्यक्ति के मस्तिष्क या तर्क-शक्ति के साथ नहीं, बल्कि हदय और भावना के साथ स्वीकार किया जाता है। इसी कारण भावना प्रवण व्यक्ति किसी तर्क-वितर्क पर ध्यान न दे प्राय: भावनाओं में ही बहता जाता है। भावनाओं में बहाव व्यक्ति के सतर पर तो बुरा नहीं,...
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Hindi Essay on “Man ke hare haar hai” , ”मन के हारे हार है” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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मन के हारे हार है Man ke Hare Haar Hai Best 4 Hindi Essay on ” Man Ke Hare Haar Hai” निबंध नंबर : 01  मन क्योंकि सभी इच्छाओं का केंद्र है, सभी दृश्य-अदृश्य इंद्रियों का नियामक और स्वामी है। अत: व्यवहार के स्तर पर उसकी हार के वास्तविक हार और जीत को सच्ची जीत माना जाता है। इसलिए मन पर नियंत्रण और मन की दृढ़ता की बात भी बार-बार कही...
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Hindi Essay on “Yadi mein Shikshak Hota” , ”यदि मैं शिक्षक होता” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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यदि मैं शिक्षक होता Yadi mein Shikshak Hota निबंध नंबर : 01 हर युग में शिक्षा का महत्व रहा है। जब तक धरती पर मनुष्य का जीवन रहेगा, तब तक शिक्षा का महत्व भी बना रहेगा। इसमें तनिक सा भी संदेह नहीं। शिक्षा को प्रकाश तो कहा ही जाता है, मनुष्य की आंख भी माना जाता है। शिक्षा देने वाले व्यक्ति को शिक्षक कहा जाता है। प्रकाश और आंख होने के...
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Hindi Essay on “Meri Jeevanakanksha ” “Meri Iccha” , ” मेरी जीवनाकांक्षा या मेरी इच्छा ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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मेरी जीवनाकांक्षा या  मेरी इच्छा  बुद्धिमान और इच्छा-प्रधान होने के कारण ही मनुष्य सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी माना जाता है। स्वभावत: मनुष्य मात्र इच्छा प्रधान ही नहीं, बल्कि महत्वाकांक्षी होता है। सभी की अपनी-अपनी इच्छा-आकांक्षांए रहा करती हैं। विचित्र-विशेष। सभी की तरह ही मेरी जीवकांक्षा भी बड़ी अदभुत है। अदभुत ही नहीं वह रोमांचकारी भी है। यदि मुझे छह मास की छुट्टी मिल जाए और दस-बीस हजार रुपए मिल जांए, तो...
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Hindi Essay on “Bharat Mein Shiksha ka Prasar” , ” भारत में शिक्षा का प्रसार” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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भारत में शिक्षा का प्रसार (Bharat mein Shiksha ka Prasar) शिक्षा शब्द जिस गुरुता को प्रगट करता है उसका महत्व अपरिमेय है। शिक्षा द्वारा मानव मन और वृद्धि का स्वाभाविक विकास होता है। आज के युग में इस किसी परिभाषा विशेष में बांधने का प्रयत्न चांद-तारों तक पहुंच सके। आज शिक्षा का रूप भी कुछ अजीब और अस्पष्ट है। आध्यात्मवाद से पलायनोन्मुख या अदासीन शिक्षा-शिक्षा नहीं हो सकती। एतदर्थ आज कोई...
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