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Hindi Essay on “Pani kera Budbuda as Manush ki Jaat” , ”पानी केरा बुदबुदा अस मानुष की जात” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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पानी केरा बुदबुदा अस मानुष की जात Pani kera Budbuda as Manush ki Jaat संसार की प्रत्येक वस्तु, यहाँ तक कि उन वस्तुओं को बनाने और उपयोग करने वाला सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी मनुष्य भी हमेशा रहने वाला नहीं। देखने में जो कुछ भी सुन्दर और स्थायी लगता है, मन को आकर्षित करता है, अच्छे-बुरे कर्म करके उसे पा लेने की मन को प्रेरणा दिया करता है; वह सब भी नाशवान...
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Hindi Essay on “Jaisa Karam Karoge Wesa Phal Milega” , ”जैसा कर्म करोगे वैसा फल मिलेगा” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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जैसा कर्म करोगे वैसा फल मिलेगा Jaisa Karam Karoge Wesa Phal Milega   जिस प्रकार चन्दन जैसा जड़ भूरुह अपनी शीतलता के स्वभाव को नहीं त्यागता। उसी प्रकार हमें भी अपनी कल्याणकारी महान् प्रवृत्ति का त्याग नहीं करना चाहिए और हमारे प्रति भले ही कोई व्यक्ति दुर्व्यवहार करे; किन्तु हमें उसके साथ भी सद्व्यवहार ही करना चाहिये, यही इस सूक्ति की सीख है। फलतः जो व्यक्ति दूसरों के प्रति दुर्व्यवहार करता...
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Hindi Essay on “Hani Labh, Jeevan Maran Vidhi Hath” , ”हानि-लाभ, जीवन-मरण विधि हाथ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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हानि-लाभ, जीवन-मरण विधि हाथ Hani Labh, Jeevan Maran Vidhi Hath   इस वैज्ञानिक युग का मानव हृदय प्रधान नहीं अपितु बुद्धि प्रधान है। वह प्रत्येक कार्य को अपने बुद्धि कौशल के द्वारा पूर्ण करना चाहता है। आज वह चन्द्रलोक में सुख-वैभव के उपभोग के स्वप्न देख रहा है। आज वह प्रत्येक कार्य को अपने अधीन मानता है। इस काव्योक्ति के अनुसार किसी भी कर्म को करने के पश्चात् उस कार्य के...
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Hindi Essay on “Manushya wahi hai jo Manushya ke liye Mare” , ”मनुष्य वही है जो मनुष्य के लिए मरे” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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मनुष्य वही है जो मनुष्य के लिए मरे Manushya wahi hai jo Manushya ke liye Mare निबंध संख्या:- 01  मानव एक सामाजिक प्राणी है। वास्तव में मानवों के संगठन का ही नाम समाज है। आपस में संगठित होने के कारण मानवों में परस्पर सम्बन्ध एवं सम्पर्क भी है। यह पारस्परिक सहयोग एवं प्रेम की धारणा परोपकार के अन्तर्गत मानी जाती है। इस काव्योक्ति का तात्पर्य है कि जो मानव दूसरों के...
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Hindi Essay on “Dheeraj Dharam Mitra Aru Nari” , ”धीरज धर्म मित्र अरु नारी” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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धीरज धर्म मित्र अरु नारी Dheeraj Dharam Mitra Aru Nari   यह काव्योक्ति रामचरितमानस से उद्धृत है। इन शब्दों में बहुत बड़ा सार, गम्भीरता एवं अर्थगौरव है। वैसे तो सभी अपने बनते हैं; परन्तु वास्तव में आपत्ति के दिनों ही में धैर्य, मित्र और नारी की परीक्षा होती है। धीर तो वही हैं जो गरजती हुई आपत्ति-घटायें गिरने पर भी विचलित न हों। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को राज्य सिंहासन के स्थान...
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Hindi Essay on “Sab Din Jaat na Ek Saman” , ”सब दिन जात न एक समाना” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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सब दिन जात न एक समाना Sab Din Jaat na Ek Saman   समय परिवर्तनशील है, यह कठोर सत्य है। समय हमेशा एकसा नहीं रहता। इसके सहस्रों उदाहरण वर्तमान हैं। समय-समय पर समाज में अनेक प्रकार के परिवर्तन हए। ये परिवर्तन ही इस उक्ति के द्योतक हैं। इतिहास इस बात का साक्षी है कि ‘मन दिन जात न एक समाना’ । उदाहरणताः भारत का वैभव सूर्य कभी विश्व-गगन में पूर्ण तेज...
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Hindi Essay on “Sur-Sur Tulsi Shashi” , ”सूर-सूर तुलसी शशिComplete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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सूर-सूर तुलसी शशि Sur-Sur Tulsi Shashi   भक्त कवि सूर और तुलसी हिन्दी साहित्याकाश के सूर्य और चन्द्र हैं। सूरदास सागर’ और तुलसीदास का ‘रामचरितमानस’ ऐसे दो काव्य ग्रन्थ हैं, जिनके अभाव हन्दी साहित्य प्रकाशहीन होकर नाममात्र को ही स्थिर रह जायेगा। इन्होंने जीवन के क्षत्र को पहचानकर अपनी पीयूषधारा से प्लावित किया है। यदि काव्य में हृदय लापक्ष का दृष्टि से इन महाकवियों की तलना की जाए तो अन्त में यह...
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Hindi Essay on “Shath Sudhrahi Satsangati Pai” , ”शठ सुधरहिं सत्संगति पाई” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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शठ सुधरहिं सत्संगति पाई Shath Sudhrahi Satsangati Pai   मानव एक सामाजिक प्राणी है। वह संगति की अपेक्षा करता है। मानव को संगति चयन में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिये। बडा सोच-विचार कर साथियों का चयन, बच्चे को बचपन ही से कराना चाहिए। एक बार जो संस्कार पड़ जाते हैं वे फिर आसानी से समाप्त नहीं होते हैं। “सत्संग ‘ शब्द सत+संग से बना है। सत् का अर्थ सज्जन एवं संग का...
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