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Posts tagged "Hindi Essay" (Page 176)
टेलीविज़न के लाभ और हानियाँ Television ke Labh aur Haniya निबंध नंबर :- 01 वर्तमान युग में दूरदर्शन घर-परिवार का एक अनिवार्य अंग बन चुका है। उच्च वर्ग तथा मध्य वर्ग के लोगों के अतिरिक्त निम्न वर्ग के लोग भी दूरदर्शन के बिना नही रह सकते। दूरदर्शन का आधुनिक जीवन पर गहरा प्रभाव लक्षित होता है। वर्तमान युग में दूरदर्शन सभी लोगों के आकर्षक का केन्द्र है। घर के...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
बाल मजदूरी एक अभिशाप Bal Majduri Ek Abhishap ’बाल मजदूरी’ हमारे समाज के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। यद्यपि पिछले दशक से बाल मजदूरी (बीपसक संइवनत) के विरूद्ध आवाज उठा रही है और ’बचपन बचाओ’ आंदोलन अत्यंत सक्रियता से चल रहा है, पर फिर भी यह समस्या इतनी छोटी और सरल नहीं, जितनी यह प्रतीत होती है। आइए हम इसके स्वरूप एवं इससे होने वाली हानियों के बारे...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
स्टिंग आपरेशन सही या गलत Sting Operation Sahi ya Galat आजकल मीडिया की भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है। टेलीविजन के विभिन्न चैनलों में स्टिंग आपरेशन करने की होड़ लगी हुई है। इन स्टिंग आपरेशनों का एक ही उद्देश्य रहता है- लोगों में सनसनी फैलाकर अपनी टी.आर.पी. बढ़ाना। पहले जब ये स्टिंग आपरेशन शूरू हुए थे तब इनसे लगा था कि मीडिया अपनी जिम्मेदारी का ईमानदारीपूर्वक निर्वाह कर रहा है।...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
लोकतंत्र में मीडिया का दायित्व Loktantra me Media ka Dayitva मीडिया को लोकतंत्र का चैथा स्तंभ माना गया है। लोकतंत्र में जहाँ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका है, वहीं मीडिया की भी भूमिका महत्वपूर्ण है। लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व मीडिया पर भी है। अब हम मीडिया के स्वरूप और कार्यों पर चर्चा कर लें। मीडिया के दो रूप हैं- प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्राॅनिक मीडिया। प्रिंट मीडिया...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
नैतिक शिक्षा का मूल्य Naitik Shiksha ka Mulya संसार के विभिन्न धर्मों के कर्मकांड या बाह्य विधिविधानों में भले ही भिन्नता हो, परंतु एक ऐसी बात है जिस पर सभी धर्म एक मत हैं नैतिक शिक्षा। सच बोलना, चोरी न करना, किसी की वस्तु पर बलात् अधिकार न करना, दुर्बलों को न सताना, बड़ों का आदर करना, मनुष्य-मात्र को ईश्वर की सन्तान समझना, प्राणिमात्र पर दया, न्याय भावना आदि बातें...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
लोकतंत्र का महत्त्व Loktantra ka Mahatva विश्व में अनेक शासन प्रणालियाँ हैं। उनमें लोकतंत्र सर्वश्रेष्ठ शासन-प्रणाली मानी जाती है। अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र या प्रजातंत्र की परिभाषा इस प्रकार दी है- ‘‘लोकतंत्र जनता के लिए, जनता द्वारा जनता का शासन हैं।’’ जाॅर्ज बर्नार्ड शाॅ के शब्दों में- ‘‘प्रजातंत्र एक सामाजिक व्यवस्था है, जिसका लक्ष्य सभी लोगों का यथासंभव अधिक से अधिक कल्याण करना है।’’ लोकतंत्रात्मक शासन-पद्धति में जनता...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बचपन के वहप्यारे दिन Bachpan ke vah Pyare din बचपन के वे प्यारे दिन जीवन भर याद रहते हैं। बचपन में साथ खेलने वाले बच्चों का एक-सा ही हाल हुआ करता था। सभी की हालत खस्ता थी। उन्हें, फटे-पुराने कपड़े पहनने को मिलते थे। इधर-उधर भागने पर बच्चे गिर पड़ते थे और उनके कपड़े तार-तार हो जाते थे। तब उनके हाथ-पैरों में चोट लग जाती थी। उनकी चोटें देखकर माँ-बाप,...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जातिवाद और सांप्रदायिकता का विष Jativaad aur Sampradayikta ka Vish हमारे देश में यद्यपि हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई आदि विभिन्न धर्मों के मानने वाले निवास करते हैं परंतु फिर भी हमारे देश में जो धर्म-निरपेक्षता के सिद्धांत को मान्यता देता है, सांप्रदायिक एकता बनी हुई है। सामान्यतः लागों का धर्मों तथा विचारों की विभिन्नता के कारण विभिन्न संप्रदायों से संबंधित होना अस्वाभाविक नहीं है। परंतु जब विभिन्न संप्रदायों के लोग...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment