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Posts tagged "Hindi Essay" (Page 175)
किसानो में आत्महत्या की समस्या Kisano me Aatmhatya ki Samasya भारत के कृषकों में आत्महत्या की प्रवृति निरंतर बढ़ती जा रही है, विशेषकर महाराष्ट्र और विदर्भ के किसानों में। विगत एक दशक में भारत ने भले ही अन्य क्षेत्रों में प्रगति की हो, पर कृषि के क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली है। आज भी किसानों को बैकों और साहूकारों से कर्ज लेना पड़ता है जो चुकाने का नाम...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
पलायन की समस्या Palayan ki Samasya आज गाँवों तथा छोटे नगरों में यह प्रवृति पनपती जा रही है कि महानगर की ओर चला जाए। अब लोगों का गाँवों के जीवन के प्रति कोई लगाव नहीं रह गया है। गाँव के लोगों का शहरी जीवन लुभाता है। अब उनका मन भी शहरी सुख-सुविधाएँ भोगने को उतावला हो रहा है। हमे इस प्रवृति की तह में जाकर इसके कारणो को जानना-समझना होगा।...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बस्ते का बढ़ते बोझ Baste ka Badhta Bojh वर्तमान समय में विद्यार्थी पर बस्ते का बोझ बढ़ता चला जा रहा है। अब यह बोझ उनकी सहनशक्ति से बाहर हो गया है। बस्ते के बढ़ते बोझ ने बालक के स्वाभाविक विकास पर बड़ा प्रतिकूल प्रभाव डाला है। पुस्तको की संख्या इतनी होती जा रही है कि उनको सँभाल पाना उनके लिए कठिन हो गया है। यद्यपि राष्ट्रीय शैक्षिक एवं अनुसंधान...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages8 Comments
फुटपाथ पर सोते लोग Foot Path par sote Log आज भी फुटपाथों पर सोते लोग देखने को मिल जाते हैं। यद्यपि भारत अपनी आजादी की साठवीं सालगिरह मनाकर फूला नहीं समा पा रहा, पर इन अभागों को क्या पता कि आजादी किस चिड़िया का नाम है। इन्हें तो किसी प्रकार का परिवर्तन दिखाई नहीं देता ये तो दो जून की रोटी के लिए सारे दिन खटते हैं, किसी तंदूर पर सस्ती...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
महानगरों में पक्षी Mahanagro me Pakshi महानगरों से पक्षियों की चहचहाहट गुम होती चली जा रही है। इसका कारण है बड़े शहरों अर्थात् महानगरों मे जगह का अकाल रहता है। वहाँ वृक्षों को काटकर जमीन साफ करके कंकरीट के जंगल खड़े किए जा रहे हैं। इस कारण पेड़ घटते जा रहे हैं और पक्षी उड़कर अन्यत्र जाने को विवश हो रहे हैं। जब प़क्षी ही नहीं रहेंगे तो भला...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जल प्रदुषण Jal Pradushan धरती तवे के समान बिक रही है। जेठ मास की धूप और झुलसाने वाली लू के साथ आई तेज गरमी पूरे शवाब पर है। पसीना, उमस और चिपचिपाहट ने मन को व्याकुल कर रखा है। प्यास के मारे सूखता गला दुनिया भर का पानी पी जाता है। गर्मी से बेहाल व्यक्ति छाया और शीतल जल की तलाश में इधर-उधर नजर दौड़ता है। तब उसकी दृष्टि ठंडे...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
होली का त्योहार Holi Ka Tyohar होली त्योहार एक है, लेकिन पूरे देश में अगर होली खेलने के तरीके खोजने निकलें, तो इसी त्योहार के न जाने कितने रूप निकल आएँगें। दरअसल, हर जगह होली खेलने के तरीके और उससे जुड़ी अनूठी परंपराएँ हैं। जैस की बरसाने की लठमार होली को तो सब जानते हैं। बहुतों ने उसे टीवी पर या असल में देखा भी होगा, लेकिन हरियाणा में भी...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी Hamari Rashtriya Bhasha Hindi भारतवर्ष शताब्दियों तक दासता की बेड़ियों में जकड़ा रहा। विदेशी शासकों ने हमारे देश के धन-संपत्ति भंडार को तो खूब लूटा ही, हमारी संस्कृति तथा भाषा के विनाश का प्रयत्न भी जी भरकर किया। पहले मुसलमानों ने उर्दू तथा फारसी को हमारी भाषाओं के ऊपर लादा। कालांतर में अंग्रेजों ने हमारे ऊपर अंग्रजी लाद दी। अंग्रेजो की सलाह पर शिक्षा का अंग्रेजीकरण कर...
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June 26, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment