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Posts tagged "Hindi Essay" (Page 131)
अविवेक Avivek विवेक एक ऐसा महान् दोष है जो हमारे सम्पूर्ण सदगुणों पर छा कर उन्हें ढक नगद धन के समान है जो अंदर-अंदर ही मानव के सदकर्म तथा उसकी सदवत्तियों मलनी बना देता है। यह ज्ञान व विद्वता की आँखों में छाया हुआ ऐसा मेघ है जो किसी भी वस्त को स्पष्ट नहीं देखने देता। अविवेक शब्द अ+विवेक दो शब्दों से मिलकर ना है ‘अ’ का अर्थ नहीं ‘विवेक’...
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November 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
स्वावलम्बन Swalamban मानव बुद्धिशील प्राणी है। जिस विषय पर दूसरे प्राणी विचार नहीं कर तकते हैं, वह चिन्तन करता है। इसी कारण वह संसार के समस्त जीवधारियों में श्रेष्ठ माना जाता है। जहाँ एक ओर उसमें विद्या, बुद्धि, प्रेम आदि श्रेष्ठ गुण विद्यमान हैं, वहीं दूसरी तरफ वह राग, द्वेष, हिंसा आदि बुरी प्रवृत्तियों से भी ओत-प्रोत है। श्रेष्ठ तत्त्वों का अपने अन्दर विकास करने के लिए मानव को स्वावलम्बी...
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November 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
परहित सरिस धर्म नहिं भाई Parhit Saris Dharam Nahi Bhai पशुता के बाद जब हमने मनुष्यता के क्षेत्र में पदार्पण किया, तो सर्वप्रथम सभी जाति और देश के मनीषियों ने मनुष्यता की रक्षा के लिए और इसे अधिक से अधिक सुन्दर बनाने के लिए अनेक प्रकार के गुणों तथा अनेक प्रकार के सिद्धान्तों का निरूपण किया। इसके लिए अनेक प्रकार के विधि-विधान बनाए गए। सत्य-भाषण, सच्चरित्रता, परोपकार आदि को सर्व...
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November 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
पराधीन सपनेहु सुख नाहीं Paradhin Sapnehu Sukh Nahi वैसे तो सुख का सम्बन्ध व्यक्ति की भावना और मन के साथ माना जाता है, पर सत्य यह भी है कि एक स्वतंत्र-स्वाधीन भावना से भरा मन ही वास्तविक सुख का अनुभव कर सकता है, पराधीन और परतंत्र व्यक्ति कदापि नहीं। ऐसा क्यों होता है, इसके प्रत्यक्ष और परोक्ष कारण गिनाए जा सकते हैं? पराधीन आदमी पहले तो कुछ सोचने-करने का अवसर...
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November 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साँच बराबर तप नहीं Sanch Barabar Tap Nahi प्रस्तुत काव्योक्ति में सत्य का ही महत्त्व स्वीकार किया गया है जो स्वतः में एक सर्वश्रेष्ठ कठोरतम तप है। सत्य बहमखी प्रतिभा का प्रतीक है और तप कठिनतम साधना का। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पर्ण विकास करने के लिए शिवं एवं सुन्दरम् से संयुक्त तपमय सत्य का सम्बल होना चाहिए। सत्य’ शब्द संस्कत के ‘अस्ति’ क्रिया का अर्थ होता है ‘है’...
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November 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
उपन्यास पढ़ने से लाभ और हानि Upanyas Padhne ke Labh aur Hani इस यांत्रिक युग में मनोरंजन से ही मस्तिष्क को शान्ति प्राप्त होती है। वैसे मनोरंजन के साथ ही ज्ञान प्राप्ति के साधन सत्संग, चित्रपट दर्शन आदि हैं; परन्तु ये साधन सर्वथा सुलभ नहीं हैं। ऐसी स्थिति में बुद्धि विकास एवं मनोरंजन का श्रेष्ठतम साधन पुस्तक अध्ययन ही है। इसमें भी लोग कथा साहित्य या उपन्यास के पठन में...
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November 7, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
मेरा प्रिय ग्रन्थ – रामचरितमानस Mera Priya Granth – Ramcharitmanas मेरा प्रिय ग्रन्थ रामचरितमानस है। लोकनायक तुलसीदास की इस अमर कृति में वे सभी विद्यमान हैं, जिन्होंने केवल मुझे ही नहीं; अपितु भारतीय जन-जीवन को सबसे अधिक प्रभावित किया है। इस महत्त्वपूर्ण कृति ने भारतीय आदर्श, नीति और संस्कृति की रक्षा की है। मेरे प्रिय ग्रन्थ रामचरितमानस का मुख्य उद्देश्य पुरुषोत्तम श्रीराम के लोक रक्षक चरित्र का विशद् चित्रांकन करना है।...
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November 4, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
मेरा प्रिय कवि – रामधारी सिंह ‘दिनकर Mera Priya Kavi- Ramdhari Singh Dinkar आदि काल से लेकर आज तक हिन्दी-साहित्य के क्षेत्र में अनेक कवि हो गुजरे हैं। इन सभी का अपना-अपना योगदान और महत्त्व है। कोई किसी से कम नहीं। सूरदास यदि सूर्य समान है, तो गोस्वामी तुलसीदास चन्द्र समान। किसी ने कहा है कि ‘सुरनारी गंग दोऊन भए, सुकविन के सरदार। किसी ने कबीर की प्रशंसा की है,...
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November 4, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment