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Posts tagged "Hindi Essay" (Page 129)
निःशस्त्रीकरण Nishashtrikaran समय परिवर्तनशील है। समय के साथ ही मानव अपने जीवन को सुखी व समृद्ध बनाने का चक्र चलाता रहता है। इस चक्र को चलाने के लिए उसने विज्ञान का सहारा शान की प्रगति के साथ-साथ उसकी युगों की छिपी दानवीय प्रवृत्ति भी जागृत गई। फलतः उसने विध्वंसकारी शस्त्रों का निर्माण आरम्भ कर दिया। इस में ऐसे आणविक शस्त्र व बम भी बने जो विश्व के शक्तिशाली राष्ट्र को क्षणभर...
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November 13, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारत में हरित क्रान्ति Bharat me Harit Kranti कषि प्रधान देश भारत में खाद्य समस्या के अनेक कारण रहे हैं। इसकी राष्टीय आय का पचास प्रतिशत भाग कृषि पर आधारित है। स्वतंत्र भारत में उसकी प्रगति के लिए पंचवर्षीय योजनाएँ प्रारम्भ की गईं। उन पंचवर्षीय योजनाओं की पूर्ति के लिए विदेशों से कुछ लेना पड़ा और कुछ देना भी पड़ा। कृषि से हमें खाद्यानों की प्राप्ति हेतु अन्य उद्योगों के...
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November 13, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
वर्तमान भारत में गान्धी की अप्रासंगिकता Vartman Bharat me Gandhi ki Aprasangikta गान्धी! महात्मा गान्धी! जी हाँ, मोहन दास कर्मचन्द गान्धी, जिन का नाम सत्तारूढ़ दल द्वारा अक्सर बार-बार, भूले-बिसरे रूप में अक्सर अन्य दलों द्वारा भी कभी-कभार लिया जाता है, सोचने की बात है कि आखिर आज उनकी प्रासंगिकता क्या रह गई है? अपने खून-पसीने से सींच कर खड़ी की गई उन्हीं की संस्था राष्ट्रीय कांग्रेस ने उन का नाम...
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November 13, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
मनुष्य हो, मनुष्यता को प्यार दो Manushya ho Manushya ko Pyar do मनुष्य सृष्टि के सभी प्राणियों में से श्रेष्ठ माना जाता है। इस का कारण स्पष्ट है। वह यह कि मनुष्य सोच-समझ सकता है। अच्छे-बुरे की पहचान और दोनों में विवेक कर सकता है। अन्य समस्त प्राणियों की तुलना में केवल मनुष्य ही अच्छे को अच्छा, बुरे को बुरा कह सकने की बुद्धि और क्षमता रखता है। संसार में...
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November 11, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
गया वक्त फिर हाथ आता नहीं Gaya Waqt phir hath aata nahi वक्त-अर्थात् समय, गया-अर्थात् बीता या समाप्त हो गया। यदि धन समाप्त या नष्ट हो जाए, उसे दुबारा पाया-कमाया जा सकता है। किसी कारणवश यदि मान-सम्मान भी जाता रहे (हालाँकि जाने देना बहुत ठीक नहीं), तो प्रयत्न करके, अच्छे कार्य करके उसे दुबारा पाया या बनाया जा सकता है। ऊँचे से ऊँचा भवन यदि ढह जाए, निःसंदेह दुबारा खड़ा...
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November 11, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सज्जनता मानव का आभूषण है Sajjanta Manav ka Abhushan भूषण का अर्थ होता है-गहना। गहने शरीर को सजाने, उसकी बाहरी सुन्दरता बढ़ाने के काम आया करते हैं। इसके लिए मनुष्य जाति हर वर्ष, बल्कि हर दिन लाखों-करोड़ों रुपया खर्च कर दिया करती है। फिर भी अपनेपन की सुन्दरता को शायद पाती, जैसा कि वह चाहती है। इस कारण तन को सजाने वाले गहने आकार, रंग-ढंग हर दिन बदलता रहता है।...
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November 11, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
स्वास्थ्य ही सम्पत्ति है Swasthya hi Sampatti hai प्रसिद्ध कहावत है कि अगर मनुष्य की धन-सम्पत्ति नष्ट हो जाए, तो समझो कुछ भी नष्ट नहीं हुआ या फिर कोई बड़ी बात नहीं। एक स्वस्थ व्यक्ति लगातार परिश्रम सम्पत्ति दुबारा कमा और बना सकता है। लेकिन अगर उस का स्वास्थ्य ही रण नष्ट हो गया, तो समझो कि सभी कुछ गया, नष्ट हो गया। क्योंकि उस का अवस्था में व्यक्ति कुछ...
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November 11, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages3 Comments
अपनी करनी पार उतरनी Apni karni Paar Utarni आज क्या, किसी भी युग में व्यक्ति का अपना कर्म ही सब से बढ़कर उसका विश्वसनीय सहायक रहा और हमेशा रहेगा भी। आज के युग में तो अपने कर्म पर और भी भरोसा इस कारण आवश्यक है कि आज हर व्यक्ति केवल अपने लिए जी रहा है। उसे दूसरों के जीने-मरने की कतई कोई चिन्ता नहीं। वैसे भी जमाना आत्मविश्वासी और स्वावलम्बी...
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November 11, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment