Sadak Durghatna “सड़क दुर्घटना” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 12 Students.
सड़क दुर्घटना
Sadak Durghatna
निबंध नंबर- 01
सड़क पर होने वाली दुर्घटना सड़क दुर्घटना कहलाती है। यह अकसर चालक की लापरवाही का परिणाम है। वाहन चलाते समय या सड़क पार करते समय लोग अकसर दुर्घटना होती है। ये जानलेवा भी होती है और कभी-कभी पूरा परिवार इसमें नष्ट हो जाता है। कुछ दुर्घटनाओं में व्यक्ति जीवन-भर अपंगता का दंश भोगता है। इन दुर्घटनाओं का कारण वाहनों द्वारा यातायात के नियमों का उल्लंघन करना है। गैर जिम्मेदार वाहन चालकों पर कानून की सख्त कार्रवाई करनी होगी। कठोर दंड मिलने पर वाहन चालक सतर्कता से वाहन चलाएँगे तथा दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है। दूसरे, जनजागरण अभियान से लोगों को दुर्घटनाओं से बचाव के तरीके बताए जा सकते हैं। मानव जीवन बहुत कीमती है। इसकी रक्षा करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है।
सड़क दुर्घटना
Sadak Durghatna
निबंध नंबर- 02
संकेत बिंदुः। वाहनों द्वारा यातायात नियमों की उपेक्षा । असावधानी । नियंत्रण के उपाय
मानव जीवन में कभी खुशी कभी गम के उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। जहाँ त्योहार और उत्सव हमारे जीवन में उल्लास और उमंग का संचार करते हैं, तो वहीं दुर्घटनाएँ और अनहोनी हमें अवसाद और शोक संतप्त कर देती हैं।
दुर्घटनाएँ हमारी असावधानी, लापरवाही, अज्ञानता, अक्षमता या नियमों के पालन में शिथिलता के कारण होती हैं, फिर चाहे वह सड़क दुर्घटना हो, अग्नि दुर्घटना हो, या अन्य कोई।।
उस रविवार को मैं शहर जाने के लिए सड़क पर चौराहे के पास बायें ओर खड़ा बस का इंतजार कर रहा था। उस समय शाम के लगभग चार बजे होंगे। बहत तेज गति से एक मिनी बस शहर की ओर जाने के लिए आ रही थी। उसी समय मेरी नजर दूसरी पटरी पर साइकिल सवार लड़के पर पड़ी। वह लड़का चौराहा पार करना चाहता था। अचानक उस 14-15 साल के लड़के ने अपनी साईकिल तेजी से सड़क पार करने के लिए बढ़ायी। तभी शहर की ओर से एक ट्रक सामने से आ गया। लड़के ने अपनी साईकिल की चाल बढ़ाकर सड़क पार करने की कोशिश की, लेकिन तब तक वह मिनी बस भी समीप आ गयी थी। लडके को बचाने के चक्कर में मिनी बस ने किनारे चलते एक आदमी को बुरी तरह जख्मी कर दिया। वह आदमी मरणासन्न सा हो गया।
यह सब देख लड़का घबराकर अपना संतुलन खो बैठा। वह सड़क पर गिर पड़ा। बाजू से आते ट्रक ने उसकी साईकिल के पिछले चके को बुरी तरह रौंद दिया।
सौभाग्य से लड़का बच गया। उसे हाथ-पैर और सिर में चोटें आईं थीं। लोगों ने उस लड़के और आदमी को समीप के चिकित्सक के पास पहुंचा दिया। लोग मिनी बस के चालक को ढूँढ़ रहे थे, लेकिन वह रफू-चक्कर हो गया था।
धीरे-धीरे भीड़ छटने लगी थी। अचानक मेरी नजर सड़क किनारे लगे विज्ञापन पटल पर पड़ी, जिस पर लिखा था – ‘दुर्घटना से देर भली’। यह मुहावरा हम सबने पढ़ा सुना जरूर है, पर इस पर चिंतन-मनन करने की आवश्यकता अधिक है।